4 min

Lord Krishna | Krishna Bachpan | God Krishna Pradip Daki Podcast (Motivation)

    • Självhjälp

In this podcast, I am talking about Lord Krishna's childhood.

#lordkrishna

#krishna

#lordkrishnapodcast



भारतीय संस्कृति का एक महान और उज्वल चरित्र, जो अपने आपमें पूर्ण पुरुषोत्तम है, वो आज भी वैसे ही जिंदा है, जैसे वो बरसो पहले था, वो आज भी हर दिल में दीप्तमान है, सभी के मन को हर लेने वाला वो मनोहर, और कोई नहीं ,नंदलाल गोपाल श्री कृष्ण है.।  जिसने बचपन जिया तो ऐसे जिया की  आज भी सारी मा ए अपने बेटे को  कान्हा कहके बुलाती है। वो अदभुत जिसका जन्म भी किसी और की कोख से हुआ ओर वो पला बड़ा भी किसी और की गोद में।  जैसा तुम्हारा मेरा था, ऐसा बचपन नहीं था उसका, क्योंकि वो हम सबसे अलग अनोखा ,निराला था।।  भलेहि वो दिखता हम सब जैसा , पर उसके चहेरे की चमक सूरज को भी फिका करदे, वो जो मुस्कुराए तो हवामे प्रेम की खुश्बू फेल जाए,  हर आखो में उसका चेहरा  बसता है, उसे देखने को हर दिल तरसता है।। वो बसा है सब में एक समान सा, माथे पे उसके रहेता मोरपीछ  अधरो पर बासुरी का सुर जो करदे सभी को विस्मित सभी को तंग करने वाला , पर सभी के दिल में रहने वाला  कोई इससे दो पल भी अलग नहीं  रह सकता, ना जाए वो एक दिन भी कोई घर, तो किसी घर में यहां चूल्हा नहीं जलता।  वो था माखन चोर, अपना घर छोड़ सभी के घर में माखन खाता, वो मांगता थोड़ी किसीसे , सखाओ की टोली में चुराके माखन खाता , पकड़ा जाए वो किसान कनैया, तो मंद मंद मुस्कुराता , बाद मे बतलाता की मैया माखन नही देती, इसलिए में चुरके  माखन खाता।  फिर तो क्या, पहोचती सारी ग्वालिन यशोदा kr घर, और गुस्सा होकर बताती तुम हमारे कान्हा का ध्यान नहीं रखती, बिचारा सुख के बेहाल हो गया है, देखो तो सही ये कितना कमजोर हो गया है।  माँ यशोदा गुस्सा होकर कहती , तुम सारी ग्वालिने पहले तो मुजिसे कान्हा की फरियाद करती  और बाद में मुजीसे आके कहेती के में अपने लाल का ध्यान नहीं रखती, जाव तुम सब जूठी हो, और बाद में वो कान्हा को बुलाती और क

In this podcast, I am talking about Lord Krishna's childhood.

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भारतीय संस्कृति का एक महान और उज्वल चरित्र, जो अपने आपमें पूर्ण पुरुषोत्तम है, वो आज भी वैसे ही जिंदा है, जैसे वो बरसो पहले था, वो आज भी हर दिल में दीप्तमान है, सभी के मन को हर लेने वाला वो मनोहर, और कोई नहीं ,नंदलाल गोपाल श्री कृष्ण है.।  जिसने बचपन जिया तो ऐसे जिया की  आज भी सारी मा ए अपने बेटे को  कान्हा कहके बुलाती है। वो अदभुत जिसका जन्म भी किसी और की कोख से हुआ ओर वो पला बड़ा भी किसी और की गोद में।  जैसा तुम्हारा मेरा था, ऐसा बचपन नहीं था उसका, क्योंकि वो हम सबसे अलग अनोखा ,निराला था।।  भलेहि वो दिखता हम सब जैसा , पर उसके चहेरे की चमक सूरज को भी फिका करदे, वो जो मुस्कुराए तो हवामे प्रेम की खुश्बू फेल जाए,  हर आखो में उसका चेहरा  बसता है, उसे देखने को हर दिल तरसता है।। वो बसा है सब में एक समान सा, माथे पे उसके रहेता मोरपीछ  अधरो पर बासुरी का सुर जो करदे सभी को विस्मित सभी को तंग करने वाला , पर सभी के दिल में रहने वाला  कोई इससे दो पल भी अलग नहीं  रह सकता, ना जाए वो एक दिन भी कोई घर, तो किसी घर में यहां चूल्हा नहीं जलता।  वो था माखन चोर, अपना घर छोड़ सभी के घर में माखन खाता, वो मांगता थोड़ी किसीसे , सखाओ की टोली में चुराके माखन खाता , पकड़ा जाए वो किसान कनैया, तो मंद मंद मुस्कुराता , बाद मे बतलाता की मैया माखन नही देती, इसलिए में चुरके  माखन खाता।  फिर तो क्या, पहोचती सारी ग्वालिन यशोदा kr घर, और गुस्सा होकर बताती तुम हमारे कान्हा का ध्यान नहीं रखती, बिचारा सुख के बेहाल हो गया है, देखो तो सही ये कितना कमजोर हो गया है।  माँ यशोदा गुस्सा होकर कहती , तुम सारी ग्वालिने पहले तो मुजिसे कान्हा की फरियाद करती  और बाद में मुजीसे आके कहेती के में अपने लाल का ध्यान नहीं रखती, जाव तुम सब जूठी हो, और बाद में वो कान्हा को बुलाती और क

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