43 episodes

Its all about life stories.
Love is everywhere.

Vinay Iztirar Vinay इज़्तिरार

    • Arts

Its all about life stories.
Love is everywhere.

    दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल: भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ

    दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल: भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ

     

    भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ 
    आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुद्दआ ।

    मौत ने तो धर दबोचा एक चीते कि तरह 
    ज़िंदगी ने जब छुआ तो फ़ासला रखकर छुआ । 

    गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नही 
    पेट भरकर गालियां दो, आह भरकर बददुआ । 

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    क्या वज़ह है प्यास ज्यादा तेज़ लगती है यहाँ 
    लोग कहते हैं कि पहले इस जगह पर था कुँआ । 

    आप दस्ताने पहनकर छू रहे हैं आग को 
    आप के भी ख़ून का रंग हो गया है साँवला । 

    इस अंगीठी तक गली से कुछ हवा आने तो दो 
    जब तलक खिलते नहीं ये कोयले देंगे धुँआ । 

    दोस्त, अपने मुल्क कि किस्मत पे रंजीदा न हो 
    उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ । 

    इस शहर मे वो कोई बारात हो या वारदात 
    अब किसी भी बात पर खुलती नहीं हैं

    • 3 min
    भगत सिंह ने जब काउंसिल हाउस में बम फेंका, कैसे की थी तैयारी

    भगत सिंह ने जब काउंसिल हाउस में बम फेंका, कैसे की थी तैयारी

    उस ज़माने में काउंसिल हाउस जो कि आज का संसद भवन है, का शुमार दिल्ली की बेहतरीन इमारतों में किया जाता था.

    काउंसिल हाउस में सेफ़्टी बिल पेश होने से दो दिन पहले 6 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त काउंसिल हाउस के असेंबली हॉल गए थे ताकि ये जायज़ा लिया जा सके कि पब्लिक गैलरी किस तरफ़ हैं और किस जगह से वहाँ बम फेंके जाएंगे.

    वो ये हर क़ीमत पर सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके फेंके गए बमों से किसी का नुक़सान न हो. हाँलाकि 'ट्रेड डिस्प्यूट बिल' पास किया जा चुका था जिसमें मज़दूरों द्वारा की जाने वाली हर तरह की हड़ताल पर पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन 'पब्लिक सेफ़्टी बिल' पर अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल ने अभी तक अपना फ़ैसला नहीं सुनाया था. इस बिल में सरकार को संदिग्धों को बिना मुक़दमा चलाए हिरासत में रखने का अधिकार दिया जाना था.

    • 14 min
    अमृता प्रीतम की कुछ कविताएं

    अमृता प्रीतम की कुछ कविताएं

    एक घटना
    तेर याद
    बहत दन बीते ु
    जलावतन हु
    जीतीं ह या मर गयीं-
    कु छ पता नहं
    िसफ' एक बार एक घटना हई थी ु
    *याल+ क
    रात बड़ गहर थी
    और इतनी ःत0ध थी
    क प2ा भी हले
    तो बरस+ के कान च6क जाते..
    फर तीन बार लगा
    जैसे कोई छाती का 9ार खटखटाये
    और दबे पांव छत पर चढ़ता कोई
    और नाखून+ से
    पछली दवार को कु रेदता…..
    तीन बार उठ कर
    म ने सांकल टटोली
    अंधेरे को जैसे एक गभ' पीड़ा थी
    वह कभी कु छ कहता
    और कभी चुप होता
    ?य+ अपनी आवाज को दांत+ म दबाता
    फर जीती जागती एक चीज
    और जीती जागती आवाज
    “म काले कोस+ से आयी हंू
    ूहAरय+ क
    आंख से इस बदन को चुराती

    • 10 min
    !! जीवन का आनंद!!

    !! जीवन का आनंद!!

    💐💐जीवन का आनंद💐💐


    बहुत समय पहले की बात है जब सिकंदर अपने शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था वह अपनी शक्ति पर इतना गुमान करने लगा था कि अब वह अमर होना चाहता था उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है।

    देश-दुनिया में भटकने के बाद आखिरकार सिकंदर ने उस जगह को खोज लिया जहां पर उसे अमृत प्राप्त हो सकता था वह एक पुरानी गुफा थी जहां पर कोई आता जाता नहीं था।

    देखने में वह बहुत डरावनी लग रही थी लेकिन सिकंदर ने एक जोर से सांस ली और गुफा में प्रवेश कर गया वहां पर उसने देखा कि गुफा के अंदर एक अमृत का झरना बह रहा है।

    उसने जल पीने के लिए हाथ ही बढ़ाया था कि एक कौवे की आवाज आई। कौवा गुफा के अंदर ही बैठा था। कौवा जोर से बोला ठहर रुक जा यह भूल मत करना…

    सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा। वह बड़ी ही दयनीय अवस्था में था, पंख झड़ गए थे, पंजे गिर गए थे, वह अंधा भी हो गया था बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था।

    सिकंदर ने कहा तू कौन होता है मुझे रोकने वाला…?

    मैं पूरी दुनिया को जीत सकता हूं तो यह अमृत पीने से मुझे तू कैसे रोकता है! तब कौवे ने आंखों से आंसू टपकाते हुए बोला कि मैं भी अमृत की तलाश में ही इस गुफा में आया था और मैंने जल्दबाजी में अमृत पी लिया। अब मैं कभी मर नहीं सकता, पर अब मैं मरना चाहता हूं लेकिन मर नहीं सकता।

    देख लो मेरी हालत। कौवे की बात सुनकर सिकंदर देर तक सोचता रहा सोचने के बाद फिर बिना अमृत पीए ही चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया।

    सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनंद उस समय तक ही रहता है जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते हैं।

    शिक्षा :-
    जीवन में हमें हमेशा खुश रहना चाहिए। हमें कभी भी खुश रहने के लिए बड़ी सफलता या समय का इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि समय के साथ हम बूढ़े होते जाते हैं और फिर अपने जीवन का असली आनंद नहीं

    • 2 min
    !! चिंता !!

    !! चिंता !!

    *!! चिंता !!*
    ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

    एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके विवाह के लिए योग्य वर नहीं मिल पा रहा था।

    राजा ने पुत्री की भावनाओं को समझते हुए बहुत सोच-विचार करके उसका विवाह एक गरीब संन्यासी से करवा दिया। राजा ने सोचा कि एक संन्यासी ही राजकुमारी की भावनाओं की कद्र कर सकता है।

    विवाह के बाद राजकुमारी खुशी-खुशी संन्यासी की कुटिया में रहने आ गई। कुटिया की सफाई करते समय राजकुमारी को एक बर्तन में दो सूखी रोटियां दिखाई दीं। उसने अपने संन्यासी पति से पूछा कि रोटियां यहां क्यों रखी हैं? संन्यासी ने जवाब दिया कि ये रोटियां कल के लिए रखी हैं, अगर कल खाना नहीं मिला तो हम एक-एक रोटी खा लेंगे। संन्यासी का ये जवाब सुनकर राजकुमारी हंस पड़ी। राजकुमारी ने कहा कि मेरे पिता ने मेरा विवाह आपके साथ इसलिए किया था, क्योंकि उन्हें ये लगता है कि आप भी मेरी ही तरह वैरागी हैं, आप तो सिर्फ भक्ति करते हैं और कल की चिंता करते हैं।

    सच्चा भक्त वही है जो कल की चिंता नहीं करता और भगवान पर पूरा भरोसा करता है। अगले दिन की चिंता तो जानवर भी नहीं करते हैं, हम तो इंसान हैं। अगर भगवान चाहेगा तो हमें खाना मिल जाएगा और नहीं मिलेगा तो रातभर आनंद से प्रार्थना करेंगे।

    ये बातें सुनकर संन्यासी की आंखें खुल गई। उसे समझ आ गया कि उसकी पत्नी ही असली संन्यासी है। उसने राजकुमारी से कहा कि आप तो राजा की बेटी हैं, राजमहल छोड़कर मेरी छोटी सी कुटिया में आई हैं, जबकि मैं तो पहले से ही एक फकीर हूं, फिर भी मुझे कल की चिंता सता रही थी। सिर्फ कहने से ही कोई संन्यासी नहीं होता, संन्यास को जीवन में उतारना पड़ता है। आपने मुझे वैराग्य का महत्व समझा दिया।

    *शिक्षा:-*
    अगर हम भगवान की भक्ति करते हैं तो विश्वास भी होना चाहिए कि भगवान हर समय हमारे स

    • 3 min
    नियत

    नियत

    *!! चावल का दाना !!*
    ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

    एक भिखारी एक दिन सुबह अपने घर के बाहर निकला। त्यौहार का दिन है। आज गाँव में बहुत भिक्षा मिलने की संभावना है। वो अपनी झोली में थोड़े से चावल दाने डाल कर, बाहर आया। चावल के दाने उसने डाल लिये हैं अपनी झोली में, क्योंकि झोली अगर भरी दिखाई पड़े तो देने वाले को आसानी होती है, उसे लगता है कि किसी और ने भी दिया है। सूरज निकलने के क़रीब है। रास्ता सोया है। अभी लोग जाग ही रहे हैं।

    मार्ग पर आते ही सामने से राजा का रथ आता हुआ नजर आता है।सोचता है आज राजा से अच्छी भीख मिल जायेगी, राजा का रथ उसके पास आकर रूक जाता है। उसने सोचा, “धन्य हैं मेरा भाग्य ! आज तक कभी राजा से भिक्षा नहीं माँग पाया, क्योंकि द्वारपाल बाहर से ही लौटा देते हैं। आज राजा स्वयं ही मेरे सामने आकर रूक गया है।

    भिखारी ये सोच ही रहा होता है अचानक राजा उसके सामने एक याचक की भाँति खड़ा होकर उससे भिक्षा देने की मांग करने लगता है। राजा कहता है कि आज देश पर बहुत बड़ा संकट आया हुआ है, ज्योतिषियों ने कहा है इस संकट से उबरने के लिए यदि मैं अपना सब कुछ त्याग कर एक याचक की भाँति भिक्षा ग्रहण करके लाऊँगा तभी इसका उपाय संभव है। तुम आज मुझे पहले आदमी मिले हो इसलिए मैं तुमसे भिक्षा मांग रहा हूँ। यदि तुमने मना कर दिया तो देश का संकट टल नहीं पायेगा इसलिए तुम मुझे भिक्षा में कुछ भी दे दो।

    भिखारी तो सारा जीवन माँगता ही आया था कभी देने के लिए उसका हाथ उठा ही नहीं था। सोच में पड़ गया की ये आज कैसा समय आ गया है, एक भिखारी से भिक्षा माँगी जा रही है, और मना भी नहीं कर सकता। बड़ी मुशकिल से एक चावल का दाना निकाल कर उसने राजा को दिया। राजा वही एक चावल का दाना ले खुश होकर आगे भिक्षा लेने चला गया। सबने उस राजा को बढ़-बढ़कर भिक्षा दी। परन्तु भिखारी को चावल के दाने के जाने का भी गम सताने लगा।

    जैसे

    • 4 min

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