19 episodes

A conversation on books, conducted in Hindi.

Sambandh Ka Ke Ki Himanshu Bhagat

    • Arts
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A conversation on books, conducted in Hindi.

    एपिसोड 19: 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' − नंदिता हक्सर

    एपिसोड 19: 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' − नंदिता हक्सर

    नंदिता हक्सर का जन्म नए-नए आज़ाद भारत के एक कुलीन परिवार में हुआ। उनके पिता आला सरकारी अफसर थे और नेहरू परिवार से उनके करीबी रिश्ते थे। मगर, कम उम्र से ही सत्ता से दूरी रखते हुए, नंदिता ने वक़ालत की पढ़ाई की और एक मानवाधिकार कार्यकर्ता बन गईं। आज़ादी के सात साल बाद जन्मी नंदिता के सपनों का भारत, सदैव पंडित नेहरू के समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष आदर्शों का भारत रहा है। इन आदर्शों से प्रेरित हो, वे मानवाधिकार-हनन से पीड़ित भारतियों को न्याय दिलाने के काम में जुट गईं − चाहे वो हिंसा के साये में रहते भयभीत अल्पसंख्यक हों, सैनिक-शासन जैसे हालात के चपेट में आए पूर्वोत्तर के नागा निवासी हों, या गरीबी और भुखमरी से ग्रस्त आदिवासी हों। नंदिता हक्सर के इस लम्बे सफर की दास्ताँ है उनका
    संस्मरण, 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' यानी 'राष्ट्रवाद के रंग।


    (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)

    1. 'द कलर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' अमेज़न पर  

    2. 'द फ्लेवर्स ऑफ़ नैशनलिज़्म' अमेज़न पर  

    3. 'फ्रेम्ड ऐज़ अ टेररिस्ट' अमेज़न पर

    4. नंदिता हक्सर की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर



    (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

    • 1 hr 5 min
    एपिसोड 18: 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' − मनोज मित्ता

    एपिसोड 18: 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' − मनोज मित्ता

    ११ जून १९९७ को मुंबई के घाटकोपर इलाके के रमाबाई नगर नाम के बस्ती में, पुलिस ने १० दलितों की गोली मर के हत्या कर दी। बस्ती में बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति को किसी ने चप्पल की माला पहना
    दी थी और वहाँ के दलित निवासी इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं, १५ जून २००२ को, हरयाणा में दुलीना नाम के कस्बे में 'गोरक्षक' पाँच घायल दलितों को पुलिस चौकी में लाते हैं और गोहत्या के 'जुर्म' में उनको पीट-पीट कर मार देते हैं। पुलिस-कर्मी तमाशा देखते रहते हैं। क्यों था पुलिस का रवैया इतना फ़र्क, इन दोनो वाकयों में? जवाब
    आपको मिलेगा, मनोज मित्ता की किताब 'कास्ट प्राइड − बैटल्स फॉर इक्वालिटी इन हिन्दू इंडिया' में। पिछले २०० सालों में, हिंदुस्तान में
    जाति-प्रथा और समाज में उसके प्रभाव को ले के बने क़ानूनों की कहानी है 'कास्ट प्राइड'।



    (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)



    1.      'कास्ट प्राइड' अमेज़न पर

    2.      मनोज मित्ता की अन्य पुस्तकें अमेज़न पर



    (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

    • 2 hr 16 min
    एपिसोड 17: 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' − वन्या वैदेही भार्गव

    एपिसोड 17: 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' − वन्या वैदेही भार्गव

    अंग्रेजी हुकूमत के पुलिस के डंडों के निर्मम प्रहार ने लाला लाजपत राय की जान ले ली। इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह और राजगुरु ने अंग्रेजी पुलिस अफसर जे. पी. सॉन्डर्स की गोली मार के हत्या कर दी, और फांसी पर चढ़ के देश के लिए शहीद हो गए। आज, लाला लाजपत राय की स्मृति शायद भगत सिंह के स्मृति के साये में रह गयी है। मगर लाजपत राय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राज नेता, विचारक, और लेखक थे। वे आज़ाद भारत के निर्माताओं में से एक थे। हिन्दू समाज के सशक्तिकरण की बात करने वाले लाजपत राय, एक कट्टर 'सेक्युलर' यानी धर्मनिरपेक्ष थे। ये बातें बड़ी स्पष्टता से उजागर होती हैं, वन्या वैदेही भार्गव की किताब 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' में — जो लाजपत राय के उभरते और बदलते सोच, विचारों और सिद्धांतों की जीवनी है।

    (आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।)

    1. इंस्टाग्राम पर वन्या वैदेही भार्गव  

    2. एक्स (ट्विटर) पर वन्या वैदेही भार्गव  

    3. फेसबुक पर वन्या वैदेही भार्गव

    4. 'बीइंग हिन्दू, बीइंग इंडियन' अमेज़न पर

    5. द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ लाला लाजपत राय अमेज़न पर

    (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

    • 1 hr 37 min
    एपिसोड 16: 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — राहुल रामगुंडम

    एपिसोड 16: 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — राहुल रामगुंडम

    जॉर्ज फर्नांडेस की छवि है, एक निर्भीक, प्रखर, बेबाक नेता की जिसने अपना राजनितिक सफर आरम्भ किया मात्र १९ वर्ष की उम्र में, समाजवाद के आदर्शों से प्रेरित हो, कामगारों के हक़ की लड़ाई लड़ते हुए। और, साठ वर्ष पश्चात, उस सफर का अंत किया उन हिन्दूवादी राजनितिक ताकतों से पूरी तरह जुड़े हुए, जो भारत के राजनैतिक नक़्शे पर छाये हुए थे। एक अति-साधारण युवा जिसने सत्ता को निर्भीकता से ललकारा और उससे लोहा लिया, और एक वरिष्ठ राजनेता जो कई वर्षों तक स्वयं सत्ताधारी रहा — इन दो चरणों और उनके बीच की कहानी आपको मिलेगी, राहुल रामगुंडम की किताब 'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' में। 



    आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।



    1.       ट्विटर पर राहुल रामगुंडम

    2.      'द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' अमेज़न पर

    3.      राहुल रामगुंडम द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर

    4.      'द मेनी शेड्स ऑफ़ जॉर्ज फर्नांडेस' — 'द सीन एंड द अनसीन'
    पॉडकास्ट पर एक चर्चा

    5.      'फ्रीडम ऐट मिडनाईट' — लेखक लैरी कॉलिंस व डॉमिनिक ला

    पीयेर — अमेज़न पर

    6.      'इज़ पैरिस बर्निंग' — लेखक लैरी कॉलिंस व डॉमिनिक ला

    पीयेर — अमेज़न पर



    (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

    • 1 hr 32 min
    एपिसोड 15: 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' – हुमरा कुरैशी

    एपिसोड 15: 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' – हुमरा कुरैशी

    चौदह-वर्षीय गुल मुहम्मद अपने माँ-बाप, दादी, और भाई गुलज़ार के साथ स्रीनगर में रहता है। साल २०१६ है, और हालात ठीक नहीं हैं। पिता का शॉल बेचने का काम है, मगर शॉल खरीदने वाले ग्राहक बचे ही नहीं हैं। फिर, गुल मुहम्मद के भाई गुलज़ार की एक आँख में सुरक्षा-कर्मियों के बन्दूक से दागे छर्रे लगते हैं और उस आँख की रौशनी ख़त्म हो जाती है। बिगड़ते हालात और आर्थिक तंगी से परेशान, गुल मुहम्मद के घर वाले उसको दिल्ली के एक मदरसे में भेज देते हैं, जहाँ से शुरू होता है उसके एक शहर से दुसरे कस्बे भटकने का सिलसिला, जिसका कोई अंत नहीं दिखता है। अगस्त २०१६ से सितम्बर २०१७ के बीच घटी अपनी आप-बीती का विवरण गुल मोहम्मद एक डायरी में लिखता जाता है। यही डायरी है, वरिष्ठ लेखक हुमरा कुरैशी का उपन्यास, 'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद'। 

    आप शो-नोट्स https://sambandh-kakeki.com/ पर भी देख सकते हैं।

    1.  इंस्टाग्राम पर हुमरा क़ुरैशी    

    2.  'द डायरी ऑफ़ गुल मोहम्मद' अमेज़न पर

    3.  हुमरा क़ुरैशी द्वारा लिखी गईं अन्य पुस्तकें अमेज़न पर

    4.  'काशीर — बींग अ हिस्ट्री ऑफ़ कश्मीर फ्रॉम द अरलिएस्ट टाइम्स टू आवर ओन' अमेज़न पर

    (‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।)

    • 48 min
    एपिसोड 14: 'सिटी ऑन फायर – अ बॉयहुड इन अलीगढ़' – ज़ेयाद मसरूर खान

    एपिसोड 14: 'सिटी ऑन फायर – अ बॉयहुड इन अलीगढ़' – ज़ेयाद मसरूर खान

    ज़ेयाद मसरूर खान की किताब 'सिटी ऑन फायर--अ बॉयहुड इन अलीगढ़' उनके अलीगढ़ के पुराने इलाके, ऊपर कोट, में पलने-बढ़ने की कहानी है। उत्तर प्रदेश के शहर अलीगढ़ के इस कोने में, हिन्दू और मुसलमान एक दुसरे के अगल-बगल पुराने समय से रह रहे हैं। और शायद, हमको ये सुनके बहुत आश्चर्य नहीं होगा कि हिन्दू-मुस्लिम दंगे भी यहाँ समय-समय पर होते रहे हैं। इसी सांप्रदायिक तनाव—जो जब-तब जानलेवा हिंसा का रूप ले लेता था—के बीच में बीते बचपन, किशोरावस्था, और जवानी के पहले-पहले सालों का ज्वलंत और जीवंत विवरण है 'सिटी ऑन फायर'।

    आप शो-नोट्स sambandh-kakeki.com पर भी देख सकते हैं।

    1.  एक्स (ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर ज़ेयाद खान

    2.  अमेज़न पर 'सिटी ऑन फायर–अ बॉयहुड इन अलीगढ़'

    3.  अमेज़न पर पॉल ब्रास की किताबें

    ‘सम्बन्ध का के की’ के टाइटिल म्यूज़िक की उपलब्धि, पिक्साबे के सौजन्य से।

    • 1 hr 36 min

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