19 min

You, me and our feelings DHADKANE MERI SUN

    • Relationships

क्या खूब समा था 
इश्क़ के महीने में - इश्क़ जवां था 
मौसम के थे नजारे 
आंखों के थे इशारे 
बातों में कशिश थी इतनी 
लहजे में तपिश थी इतनी 
जिस्म था - आग थी 
हर छुअन में एक धुआं था 
हसीना थी कमसिन 
दीवाना जवां था 
इश्क़ के महीने में इश्क़ भी जवां था 
.....ऐसे ही थे एहसास हमारे.....

क्या खूब समा था 
इश्क़ के महीने में - इश्क़ जवां था 
मौसम के थे नजारे 
आंखों के थे इशारे 
बातों में कशिश थी इतनी 
लहजे में तपिश थी इतनी 
जिस्म था - आग थी 
हर छुअन में एक धुआं था 
हसीना थी कमसिन 
दीवाना जवां था 
इश्क़ के महीने में इश्क़ भी जवां था 
.....ऐसे ही थे एहसास हमारे.....

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