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Tum Aawaz Ho by Ved Na Kahani na kavita

    • Drama

ये लिखते लिखते कुछ बातें थी जेहन में और उनमें से सबसे ज्यादा जो बात मेरे दिमाग में घर कर गई, वो थी इंतज़ार। इसी के आसपास कुछ लिखा है, उन सब के लिए जो प्रेम कहानियों से परे है। वो रिश्ते जो आज भी इस आस में है कि तुम लौट आओगे किसी दिन, आँगन, कमरे, दरवाज़े सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है।  तुम आवज़ हो लौट आओ   -वेद

ये लिखते लिखते कुछ बातें थी जेहन में और उनमें से सबसे ज्यादा जो बात मेरे दिमाग में घर कर गई, वो थी इंतज़ार। इसी के आसपास कुछ लिखा है, उन सब के लिए जो प्रेम कहानियों से परे है। वो रिश्ते जो आज भी इस आस में है कि तुम लौट आओगे किसी दिन, आँगन, कमरे, दरवाज़े सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है।  तुम आवज़ हो लौट आओ   -वेद

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