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बचपन के लम्हे Kalpana Rajauriya
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- Mental Health
बचपन के लम्हे हम सभी की यादों में बसते हैं । जब भी हम अपने बचपन की बात करते हैं , अनायास ही हमारे अंदर का बच्चा बाहर झांकने को आतुर हो जाता है और वह हमारी यादों के पन्नो को पलटकर हमको उन्हीं दिनों में ले जाता है जहाँ हम सबसे ज्यादा सुकून में थे ...जहां कोई चिन्ता ,कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी ...थी तो केवल और केवल मस्ती और खुशी , माँ की गोद, दादा की सीख और दादी की कहानी । मेरी इस कविता में आपको ऐसे ही कुछ लम्हे याद आएंगे और वो लम्हे ख़ुशनुमा बन जाएंगे ।
बचपन के लम्हे हम सभी की यादों में बसते हैं । जब भी हम अपने बचपन की बात करते हैं , अनायास ही हमारे अंदर का बच्चा बाहर झांकने को आतुर हो जाता है और वह हमारी यादों के पन्नो को पलटकर हमको उन्हीं दिनों में ले जाता है जहाँ हम सबसे ज्यादा सुकून में थे ...जहां कोई चिन्ता ,कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी ...थी तो केवल और केवल मस्ती और खुशी , माँ की गोद, दादा की सीख और दादी की कहानी । मेरी इस कविता में आपको ऐसे ही कुछ लम्हे याद आएंगे और वो लम्हे ख़ुशनुमा बन जाएंगे ।
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