Ravi Prakash rprakashgiri
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- Society & Culture
जाति उन्मूलन पर मेरा लेख
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जाति उन्मूलन का रास्ता दिखाता मेरा लेख
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*जाति उन्मूलन का रास्ता दिखाते कुछ लेख, वीडियो, ऑडियो*
http://www.mazdoorbigul.net/anti-caste-material
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प्रिय साथियो,
जाति का सवाल भारतीय समाज के सबसे ज्वलंत सवालों में से एक है। *जनता को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने का ये एक ऐसा तरीका है जो यहां आने वाले हर शासक को भाया है। चाहे वो मुगल हों या अन्य मध्यकालीन शासक या फिर अंग्रेज, सबने जाति का इस्तेमाल यहां की जनता को बांटकर रखने के लिए किया।* भारत के वर्तमान शासक भी अपवाद नहीं है। इसलिए भारत में मजदूर वर्ग को एकजुट करने के लिए व क्रांतिकारी परिवर्तन की किसी भी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए *जाति उन्मूलन के कार्यभार को ठीक से समझना होगा व उसके आधार पर एक देशव्यापी जाति विरोधी आन्दोलन खड़ा करना होगा।* ‘मजदूर बिगुल’ से जुड़े हुए तमाम साथी भी पिछले लम्बे समय से जाति के सवाल पर सैद्धान्तिक और व्यवहारिक दोनों स्तर पर जुझ रहे हैं व संघर्ष कर रहे हैं। आज जाति उन्मूलन आन्दोलन को अगर आगे बढ़ना है तो उसे सबसे पहले जाति की जड़ों तक जाना होगा व उसी के आधार पर फिर उसके उन्मूलन की एक व्यवहारिक परियोजना पेश करनी होगी। ऐसा करते हुए हमें जाति के विरूद्ध लड़ने का दावा करने वाली अलग अलग विचार सरणियों का भी आलोचनात्मक मूल्यांकन करना होगा।आरक्षण का मुद्दा भी इसी सवाल से जुड़ा है। बहुतेरे स्वर्ण नौजवान ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि आरक्षण की वजह से उन्हें नौकरियां नहीं मिल पा रही हैं जबकि वो इस हकीकत को नहीं देख पाते कि आज नौकरियां ही खत्म हो रही हैं। अपने जातिगत पूर्वाग्रहों की वजह से उन्हें लगता है कि दलित उनका हक मार रहे हैं जबकि हकीकत ये है कि सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक हर स्तर पर दलित आबादी का बहुलांश बेहद पीछे है। दूसरी ओर दलित आबादी का एक ठीक ठाक हिस्सा ये सोचता है कि अगर आरक्