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अलार्म सुने हैं, बस...ये वही है। लालटेन की तरह आप मेरे इस पॉडकास्ट को कभी भी जलाएं ,आपको यहां पर मिलेगा बहुत कुछ। यह कुछ भी हो सकता है। किस्सा,कहानी,किताब और सिनेमा के साथ कलाकार। सिर्फ 2 मिनट में सुनो.. थोड़ा सुन तो लो....😊

Radiovali Ladki- किस्सा,कहानी, कलाका‪र‬ Prachi

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अलार्म सुने हैं, बस...ये वही है। लालटेन की तरह आप मेरे इस पॉडकास्ट को कभी भी जलाएं ,आपको यहां पर मिलेगा बहुत कुछ। यह कुछ भी हो सकता है। किस्सा,कहानी,किताब और सिनेमा के साथ कलाकार। सिर्फ 2 मिनट में सुनो.. थोड़ा सुन तो लो....😊

    Book Review -गीतांजलि श्री का पांचवां उपन्यास 'रेत समाधि'

    Book Review -गीतांजलि श्री का पांचवां उपन्यास 'रेत समाधि'

    गीतांजलि की किताब रेत समाधि

    हाथ में पकड़ी हुई रेत मुट्ठी बंद करने पर हाथ से फिसल जाती है, लेकिन गीतांजलि श्री का पांचवां उपन्यास 'रेत समाधि', केवल कुछ पन्ने पलटने के बाद से आपको अंदरूनी तौर पर जकड़ लेती है। 80 साल की चंद्रप्रभा के चंद्रा बनने के सफर की गाड़ी इस उपन्यास में न केवल बॉर्डर पार करती है, बल्कि आपके मन को भी एक ऐसे सफर पर ले जाती है, जहां हर पन्ने के साथ नई कहानी जन्म देती है, जहां पर दीवारें, पेड़, तितलियां, दरवाजा और यहां तक रेत और हवा भी जीवित होकर संवाद करने लगते हैं। आप इस उपन्यास की अहमियत इसी बात से समझ सकते हैं कि इसके अंग्रेजी ट्रांसलेशन ' टूम ऑफ सेंड को वर्ष 2022 में बुकर प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है। इस उपन्यास का हर वाक्य शब्दों के भावों के साथ आपको विभाजन की त्रासदी, परिवार और अलगाव के साथ एक चंद्रप्रभा के जीवन के पथरीले रास्तों की चुभन महसूस कराता है। बड़ी खूबसूरती से इसमें बताया गया है कि प्यार अधूरा होता है, लेकिन पुराना नहीं। रेत समाधि यह बताती है कि बढ़ती उम्र फिर से जीने की ललक को छीन नहीं सकती है। कहते हैं कि कोई भी उपन्यास अपने अंत के साथ पाठक के लिए एक ऐसी दुनिया का भी अंत कर देता है, जहां पर वह प्रेम, विरोध और जीवन के सारे भावों से होते हुए खुद को पाने की उड़ान तक पहुंचता है और रेत समाधि इस यात्रा को सफल बनाती है।

    • 1 min
    हिंदी वाली वाइब

    हिंदी वाली वाइब

    हिंदी को करीब से तो कुछ अहसास जाग जाते हैं कि 

    हिंदी वाली वाइब अंग्रेजी में कहां

    हैलो जब आदर से बन जाता है नमस्कार और प्रणाम

    अंकल हिंदी में चाचा और मामा से बांधते हैं रिश्तों की डोर

    ड्रीम के आगे सपने भी अपने लगते हैं

    कुछ पाने की ख्वाहिश अचीवमेंट में कहां झलतकते हैं

    इसलिए तो हम कहते हैं कि हिंदी वाली वाइब अंग्रेजी में कहां
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    • 1 min
    Is azadi kyun na..jane diya jaye...

    Is azadi kyun na..jane diya jaye...

    हम महिलाओं की जिंदगी ऐसी ही होती है, जिसे हम सभी पकड़ कर रखना चाहते हैं। कभी अपनी चोटी की उलझनों में, तो कभी अपने बैग के कई खानों के बीच की जगह में ठुस कर। हम उड़ना चो चाहते हैं लेकिन हाथ में घड़ी बांधकर वक्त पर वक्त देखते रहते हैं और कहते हैं कि वक्त ही नहीं है हमारे पास। एक तरऱ हाथों की उगलियां लैपटॅाप पर टिप टिप करती हैं, तो दूसरे ही पल कलाई कढ़ाई में स्वाद की लड़ाई लढ़ती रहती है। क्या आपको नहीं लगता कि कुछ देर ठहर कर सोचा जाए, जीवन की घुटन, दर्द,मान-अपनान के साथ सारे सुख और दुखों को पलके झपका कर जाने दिया जाए। जब भी कोई उलझन हो या मन उदास हो, या फिर दिमाग में टेंशन का पारा परवान पर हो, तो आंख बंद करके लंबी सांस लेकर खुद से ये बोला जाए...ये वक्त गुजर गया, अब इसकी सिलवटों से माथे को आजाद किया जाए...जाने दिया जाए...

    • 1 min
    क्यों न खुद को ऐसे पैंपर किया जाए..एक बार कोशिश करके, तो देखिए..इसमें सुकून है..

    क्यों न खुद को ऐसे पैंपर किया जाए..एक बार कोशिश करके, तो देखिए..इसमें सुकून है..

    इसके बदले क्यों न खुद को खुश रखने के लिए किसी दूसरे शहर से बेहतर घर के पास वाले गार्डन में जाकर घास के बीच बैठा जाए। क्यों न बस पकड़ कर किसी बीच पर जाकर लहरों के शोर में सुकून खोजा जाए। जहां पर चटाई वाले भैया को 100 रुपए देकर बीच के पास चटाई पर बैठ मूंगफली की गर्माहट का मजा लिया जाए। क्यों न आंख बंद करके सुकून से रेत की गोद में सोया जाए।जब आंख खुले तो आसमान के खाली पन में खुद के सपनों को पिरोया जाए। वो कहते हैं न खुद को खुश रखने के लिए किसी योजना नहीं सुकून जरूर है, जो कि आपके भीतर मुफ्त में छिपी होती है। बस,इसकी खोज कीजिए और खुद को पैम्पर के लिए एक प्याली चाय के साथ पुराने गानों की महफिल सजा दीजिए।

    • 1 min
    Mother day sepcial का खास, जिसने मिटाई मां - बेटी के बीच दूरी।

    Mother day sepcial का खास, जिसने मिटाई मां - बेटी के बीच दूरी।

    Dear तकनीक,कैसे तकनीकी हर उस मां-बेटी के लिए चमत्कार बन कर आयीं है, जो किसी न किसी वजह से एक दूसरे से दूर हैं। जो कभी मां की दुआ बन कर बेटी को दुलार देती है, तो कभी एक बेटी के लिए मां की दवा बन जाती है। तकनीकी दुनिया के हर उस माध्यम को मां-बेटी की तरफ से ढेर सारा धन्यवाद।

    • 2 min
    वो महिला नहीं लड़की होती है...,जब भी वो घर से निकलती है.

    वो महिला नहीं लड़की होती है...,जब भी वो घर से निकलती है.

    ट्रेन हो या बस, जब भी वो रास्ते पर होती हैं, अपने पंख खोलकर वो उड़ रही होती हैं। अपने बैग से हेड फोन निकाल कर इंस्टाग्राम पर रील घुमाकर, चिप्स की पैकेट की कर्कश आवाज के साथ मुस्कुराती हुई। खिड़की वाली सीट..

    • 1 min

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