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Hi and welcome to my podcast. I love to write i.e., I am poet/shayar. Take a journey of your real feelings and real thoughts with my words.

Deepak Alfaaz Deepak Pandey

    • Kunst

Hi and welcome to my podcast. I love to write i.e., I am poet/shayar. Take a journey of your real feelings and real thoughts with my words.

    Corona-Comic Love Poetry By Deepak Alfaaz

    Corona-Comic Love Poetry By Deepak Alfaaz

    बेफिक्र मिला करते थे,
    चाहने वाले;
    Callory Burn करते थे पार्कों में,
    होठों में होंठ डाले;
    Extra Class Group Study शाम को टहलना,
    School College Coaching बंद;
    बहानों की बत्ती नाक मुंह में,
    डालके रख दी है;
    घर को जेल बना दिया है,
    इस Corona नें;

    मम्मी Kitchen में पापा TV में,
    भाई रिश्तेदार कमरों के इर्द-गिर्द;
    Store Room में धूल कबाड़;
    छत Gallery कोने में जाना सिर दर्द;
    एक दूजे की फोटो देखें,
    हाथ धोएं Mobile पोंछें;
    लग गई है पाबंदी करने में,
    Video Call fb what's app पे Chat;
    दो Strwa से एक कॉफी पीने के सपने पर छींक दिया है,
    इस Corona नें;

    सोना को सोने में समस्या,
    बाबू अपने बापू के साथ है;
    Singles को ज्ञान बांटने वाले,
    Singles जैसा रहने में परेशान है;
    अब थाना नहीं खाना खा रहे हैं,
    Hashtag Feeling Happy नहीं सड़ा Face बना रहे हैं;
    चाट फुल्की आइसक्रीम दुकान की रौनक,
    एकांत की तलाश में फेरे लगा रहे हैं;
    2100 के चढ़ावे की मांग रख दी है शायद,
    इस को Corona नें;

    चल बैठ सामने,
    थोड़ी Setting कर लेते हैं;
    चल Corona तुझे तेरी कोरोनी के,
    घर की टिकट दे देते हैं;
    कब तक सुने केजरी की खांसी,
    Dial Tune Caller Tune में,
    अब रास्ता नाप और ना डरा,
    क्योंकि डर के आगे बाबू सोना हैं;
    पहली फुर्सत में सामान बांध लिया है,
    इस Corona नें;

    • 2 Min.
    Chalo Ek Kahani Ki- Hindi Shayari And Poetry By Deepak Alfaaz

    Chalo Ek Kahani Ki- Hindi Shayari And Poetry By Deepak Alfaaz

    चलो एक कहानी की शुरुआत करते हैं, कुछ तुम्हारी कुछ अपनी चलो हमारी बात करते हैं,  वो मंजर वो सफर वो कारवां, जो कभी साथ हुआ करता था हम दोनों के, चलो दोनों के अलग होने की बात करते हैं, कुछ तुम्हारी कुछ अपनी चलो हमारी बात करते हैं,  पत्ते टूटे हैं शाख से, तकलीफ दरख़्त को हुई तो होगी, कुछ वक्त तो गुजरा है पर, उम्मीद तो होगी,  चले जाने वाले कहां लौट के आते हैं, पर दिल है जनाब उम्मीद छोड़ता कहां है, हर सस्ती चीज से पाला पड़ा है, हर महंगी चीज से वास्ता रखा है,   बस नकाब के ऊपर नकाब, ना रख के भी जान लिया, पहले बहुत महंगा फिर बहुत सस्ता मिलता है, आखिर दिल है हर गली में बिकता है,  तैरना नहीं आता फिर भी, अकेले दरिया पार करते हैं,  कुछ तुम्हारी कुछ अपनी चलो हमारी बात करते हैं, चलो एक कहानी की शुरुआत करते हैं,

    • 1 Min.

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