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Short Definition OF AFC Economics Term Definitions In Hindi

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NBFC:- NON BANKING FINANCIAL COMPANY ( गैर वित्तीय कंपनी) ये एक प्रकार से फाइनेंशियल संस्था होती है जो बैंक ना होते हुए भी बैंक की तरह काम करती है। इसमें हम मुद्रा जमा भी के सकते है और उधार भी ले सकते है। जैसे: बीमा , मर्चेंट बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट बिजनेस आदि। कुछ क्षेत्र एनबीएफसी के अन्तर्गत नहीं आते जैसे कृषि, वस्तुओं की खरीद फरोख्त इत्यादि। इतिहास:- 1960 में एनबीएफसी में जिन लोगो ने मुद्रा जमा किया था उन सभी लोगो का पैसे डूब गए थे तो 1963 में आरबीआई ने अलग अलग एनबीएफसी के क्षेत्र के लोगों के लिए नियम बनाने शुरू कर दिए । जैसे बीमा क्षेत्र( इन्शुरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) शेयर मार्केट ( सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) पेशन फंड( पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी) चिटफंड कंपनी ( राज्य सरकार) इत्यादि।दुनिया भर में इसे शैडो बैंकिंग सिस्टम के नाम से जाना जाता है। सरकार की तरफ से एनबीएफसी को ज्यादा फंड नहीं मिलता है तो बैंक से उधार लेकर, नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर्स ( एनसीडी) और कॉमर्शियल पेपर के जरिए अपना फंड जुटाते है। WHAT IS NON CONVERTABLE DIIPENCHARS :- ये एक तरह से बोंड की तरह होता है जिसे कंपनी उधार लेने के लिए जारी करती है इसकी मैच्युरिटी एक साल तक होती है पूरी होने पर कंपनी ब्याज दर का भुगतान कर सकती है। EXAMPLE:- मुद्रा योजना:- एनबीएफसी के माध्यम से चल रही है जिसका पूरा नाम माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड है । इस योजना का उद्देश्य:- गैर कॉरपोरेट उद्यमियों को लॉन मुहैया कराना। कंपनी एक्ट 2013 या 1956 के तहत पंजीकृत किया जाता है एनबीएफसी का। 2014 के डाटा के अनुसार 36 हजार फाइनेंस कंपनी पंजीकृत है। NBFC TYPES:- ASSET FINANCE COMPONY ( संपति वित्तीय कंपनी) जो संपति से सम्बन्धित सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। होम फाइनेंस कंपनी ( जो होम लॉन की सुविधाएं उपलब्ध करवाती है) इन्

NBFC:- NON BANKING FINANCIAL COMPANY ( गैर वित्तीय कंपनी) ये एक प्रकार से फाइनेंशियल संस्था होती है जो बैंक ना होते हुए भी बैंक की तरह काम करती है। इसमें हम मुद्रा जमा भी के सकते है और उधार भी ले सकते है। जैसे: बीमा , मर्चेंट बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट बिजनेस आदि। कुछ क्षेत्र एनबीएफसी के अन्तर्गत नहीं आते जैसे कृषि, वस्तुओं की खरीद फरोख्त इत्यादि। इतिहास:- 1960 में एनबीएफसी में जिन लोगो ने मुद्रा जमा किया था उन सभी लोगो का पैसे डूब गए थे तो 1963 में आरबीआई ने अलग अलग एनबीएफसी के क्षेत्र के लोगों के लिए नियम बनाने शुरू कर दिए । जैसे बीमा क्षेत्र( इन्शुरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) शेयर मार्केट ( सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) पेशन फंड( पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी) चिटफंड कंपनी ( राज्य सरकार) इत्यादि।दुनिया भर में इसे शैडो बैंकिंग सिस्टम के नाम से जाना जाता है। सरकार की तरफ से एनबीएफसी को ज्यादा फंड नहीं मिलता है तो बैंक से उधार लेकर, नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर्स ( एनसीडी) और कॉमर्शियल पेपर के जरिए अपना फंड जुटाते है। WHAT IS NON CONVERTABLE DIIPENCHARS :- ये एक तरह से बोंड की तरह होता है जिसे कंपनी उधार लेने के लिए जारी करती है इसकी मैच्युरिटी एक साल तक होती है पूरी होने पर कंपनी ब्याज दर का भुगतान कर सकती है। EXAMPLE:- मुद्रा योजना:- एनबीएफसी के माध्यम से चल रही है जिसका पूरा नाम माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड है । इस योजना का उद्देश्य:- गैर कॉरपोरेट उद्यमियों को लॉन मुहैया कराना। कंपनी एक्ट 2013 या 1956 के तहत पंजीकृत किया जाता है एनबीएफसी का। 2014 के डाटा के अनुसार 36 हजार फाइनेंस कंपनी पंजीकृत है। NBFC TYPES:- ASSET FINANCE COMPONY ( संपति वित्तीय कंपनी) जो संपति से सम्बन्धित सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। होम फाइनेंस कंपनी ( जो होम लॉन की सुविधाएं उपलब्ध करवाती है) इन्

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