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कभी जिंदगी से थक जाएं तो कहानियों में मिलियेगा, मैं वहीं मिलूंगी।

Alankaar By Akanksha Akanksha Gupta

    • Artes

कभी जिंदगी से थक जाएं तो कहानियों में मिलियेगा, मैं वहीं मिलूंगी।

    बड़ा शहर और बगीचा

    बड़ा शहर और बगीचा

    प्रत्युष अपने माँ- पापा के साथ दिल्ली आ जाता है और अपनी माँ से बस एक पौधा लगाने की ज़िद करता रहता है.. इस ज़िद का उसके जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ता है यही कहानी है... बड़ा शहर और बगीचा

    • 2 min
    एहसास (Ehsaas) by Akanksha

    एहसास (Ehsaas) by Akanksha

    ये कहानी मैंने कुछ सालों पहले लिखी थी। सोशल मीडिया के इस जमाने में जब कोई बहुत खास एक रोज़ मैसेज करता है तो क्या होता है... शब्दों और जज़्बातों को साझा करना कितना कठिन हो जाता है, जब एक चुप्पी ने सालों से कभी न ख़त्म होने वाली बातों को थाम कर उसमें अपना घर बना लिया हो।

    • 1m
    तुम्हारे बारे में (कविता) नरेश गुर्जर

    तुम्हारे बारे में (कविता) नरेश गुर्जर

    नरेश गुर्जर की कविता-संग्रह "सारे सृजन तुमसे हैं" से ली गई कविता "तुम्हारे बारे में"। यह कविता-संग्रह बहुत खूबसूरत है, लेखक द्वारा सामान्य जीवन पर लिखी गई कविताएं आकर्षित करती हैं।

    • 36 s

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