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Hindi Poetry: Tum Ramta Jogi- Ishq aur Un-Kahe Alfaaz

    • Artes

Hindi Poetry: TUM



चलो आज तुम्हें रिश्तों में नहीं बांधते,

ये नहीं बताते की तुम परिमाण है कुछ रिश्तों का भी।



आज तुम्हें बयान करने की कोशिश करते हैं।



कुछ अक्षरों से तुम्हारी आंखों के काजल की लकीर बनाते हैं।

बहोत खूबसूरत लगेगी वो आंखें फिर,

जिसे बिन कहे ही, शब्द बयां कर रहें हो ।



और उन मात्राओं में से बिंदु को चुराकर, तुम्हारे झुमके सजाते हैं ।

सुना है तुम्हें झुमकों का शौक बड़ा है।



एक दो शेर लिख,

तुम्हारी हसी बयां करते है,

वो हसी जो लोगों को खुश रखने ले लिए,

बड़े गम छुपाती है।



फिर कुछ शायरी फरमाते है,

तुम्हारा लिबास बताते हैं।

जानते हैं लोग,

तुम्हें अदब से रहना बड़ा पसंद है ।



फिर कुछ शब्दों को उठाकर,

यूं ही छोड़ देते है , पन्नों पर

बिना समझाए,

बिना मतलब निकाले,

क्यों की तुम भी तो कुछ

ऐसे ही रहती हो ना,

उन खयालों में,

जो किसी और को समझ न आए ।



अंत में एक गजल लिख,

तुम्हारी तस्वीर बनाने की कोशिश करते है

और उसे अधूरी ही छोड़ देते हैं



ये सोच कर,

की कहीं वो तस्वीर पूरी हो जाए

और उसे पढ़ ले कोई,

तो नजर न लग जाए तुम्हें।


---

Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/aakash-joshi7/message

Hindi Poetry: TUM



चलो आज तुम्हें रिश्तों में नहीं बांधते,

ये नहीं बताते की तुम परिमाण है कुछ रिश्तों का भी।



आज तुम्हें बयान करने की कोशिश करते हैं।



कुछ अक्षरों से तुम्हारी आंखों के काजल की लकीर बनाते हैं।

बहोत खूबसूरत लगेगी वो आंखें फिर,

जिसे बिन कहे ही, शब्द बयां कर रहें हो ।



और उन मात्राओं में से बिंदु को चुराकर, तुम्हारे झुमके सजाते हैं ।

सुना है तुम्हें झुमकों का शौक बड़ा है।



एक दो शेर लिख,

तुम्हारी हसी बयां करते है,

वो हसी जो लोगों को खुश रखने ले लिए,

बड़े गम छुपाती है।



फिर कुछ शायरी फरमाते है,

तुम्हारा लिबास बताते हैं।

जानते हैं लोग,

तुम्हें अदब से रहना बड़ा पसंद है ।



फिर कुछ शब्दों को उठाकर,

यूं ही छोड़ देते है , पन्नों पर

बिना समझाए,

बिना मतलब निकाले,

क्यों की तुम भी तो कुछ

ऐसे ही रहती हो ना,

उन खयालों में,

जो किसी और को समझ न आए ।



अंत में एक गजल लिख,

तुम्हारी तस्वीर बनाने की कोशिश करते है

और उसे अधूरी ही छोड़ देते हैं



ये सोच कर,

की कहीं वो तस्वीर पूरी हो जाए

और उसे पढ़ ले कोई,

तो नजर न लग जाए तुम्हें।


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