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Pulkit's Podcasts Pulkit Bajaj
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Pulkit's Podcasts
Cover art photo provided by Andrew Ridley on Unsplash: https://unsplash.com/@aridley88
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तुझे मैं क्या लिखूं, तू खुद एक किताब है
तुझे मैं क्या लिखूं, तू खुद एक किताब है
बारिश के मौसम की ठंडी हवा सी है
दो धाराओं को एक करता प्रयाग है
है मंद सी लौ कभी तू, और कभी सुलगती आग है
तुझे मैं क्या लिखूं, तू खुद एक किताब है
सा को स से जोड़ता एक राग है
जीवंत होते हुए भी एक अधूरा सा ख्वाब है
काली स्याह रात का इक चाँद जो बेदाग़ है
तुझे मैं क्या लिखू, तू मेरा ही तो भाग है