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Poems from well known Hindi poets recited for your listening pleasure.

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Poems from well known Hindi poets recited for your listening pleasure.

    Ayodhaya Dharm Aur Sanskriti Ki Gatha - Aks

    Ayodhaya Dharm Aur Sanskriti Ki Gatha - Aks

    Listen in to a recitation of the poem "Ayodhaya Dharm Aur Sanskriti Ki Gatha" written by Aks.



    Lyrics in Hindi:



    सुना नहीं शायद तुमने फैसला न्यायालय का,राम लला हैं विराजमान, देव भूमि है जन्मस्थान।

    अयोध्या की इस पावन धरा पर,इतिहास के पन्नों में मिलता संस्कृति का सार।

    जहां राम की पदचाप से, मिटते सभी अंधकार,वहीं उजाला फैला हर घर, हर द्वार।

    न्याय की इस जीत ने जोड़ा हर दिल,अयोध्या अब बन गयी है आस्था का गिल।



    धरा पर जहाँ धर्म और आदर्श की ज्योत जली,वहां राम की महिमा से बदली हर गली।

    सदियों से जो गूँज रहा था हर हृदय में,अब लय मिली, अनुराग मिला, इस अद्भुत छवि में।

    राम के चरणों में जहाँ बसती है संस्कृति,उस अयोध्या में है हर रंग, हर ऋतु की सुगंधित वृत्ति।

    समय की धारा में भी, यहाँ अटल है आस्था,जहां एकता और प्रेम का, बहता निर्मल वास्ता।



    अयोध्या की इस धरा पर, जहाँ हर दिन है दिवाली,राम राज्य की इस भूमि पर, जहाँ प्रेम है अति विशाली।

    इस पावन भूमि की महिमा, अनंत काल तक गूँजे,जहां हर भाव, हर कर्म, राम के नाम को दूँजे।

    वहां प्रकृति भी गाती है, रामायण के गीत सुनहरे,अयोध्या की इस पावन भूमि पर, जहाँ सदा सत्य के दीप जले।

    अयोध्या, जहां धर्म और इतिहास का, मिलता है संगम,जहां हर रंग है राम का, जहां हर ध्वनि में है राम का दम।



    यह अयोध्या की गाथा, जो हृदय में बस जाती है,

    जीवन के हर पथ पर, जो सत्य और धर्म की राह दिखाती है।

    इस गाथा में समाया सभी का प्यार, यहाँ की मिट्टी में है संस्कार,

    सद्भावना और प्रेम का संचार, यही अयोध्या का है आधार।


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    • 3 min
    Kab Tak Geet Sunau Radha - Kumar Vishwas

    Kab Tak Geet Sunau Radha - Kumar Vishwas

    Listen in to a recitation of the poem "Kab Tak Geet Sunau Radha" written by Kumar Vishwas.

    Lyrics in Hindi:

    कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
    मथुरा छूटी, छूटी द्वारिका, इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं
    बंसी छूटी, गोकुल छूटा, कब तक चक्र उठाऊं
    पिछले जन्म जानकी तुझ बिन जैसे तैसे बीता
    महासमर में रीता रीता, कब तक गाउ गीता
    और अभी कितने जन्मों तक तुझे दूर बिताऊं.... कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

    बचपन से प्रभुता का बोजा ढोते कटी जवानी
    हरपल षडयंत्रो में उलझी सांसे आनी जानी
    युगकी आंखे अमृत पीती रही मुझे तक तक कर
    अधर मधुर देखे सबने पर पीड़ा न पहचानी
    इस पीडाको यार सुदामा कबतक महल दिखाऊ' कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

    दो माँ ओने लाड लड़ाया, दो चहेरोने चाहा
    फिरभी भरी द्वरिकामे में खुदको लगा पराया
    मेरा क्या अपराध के मेरा गाँव गली घर छूटा
    आँचलसे बिछडेको जग ने पीताम्बर पहनाया
    चाहे जाते जाते भी बंसी मधुर बजाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

    जग भरके अपराध सदा हीं, अपने शीश उठाये
    रस का माखन समने चाखा, चोर हमी कहलाये
    युगके दुर्योधनके जब जब अहंकार को कुचला
    दुनिया जीती, गांधारी के शाप हमीने खाये
    मुझको गले लगाओ या में ही गले लगाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

    In this poem, god Krishna is talking to his beloved Radha. He is lamenting the fact that he has to be away from her for so long, and he is asking her how long he has to keep singing songs to her before she will come back to him.


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    • 3 min
    Kuch Chote Sapno Ke Badle - Kumar Vishwas

    Kuch Chote Sapno Ke Badle - Kumar Vishwas

    Listen in to a recitation of a "Kuch Chote Sapno Ke Badle" written by Kumar Vishwas.

    Lyrics in Hindi:

    कुछ छोटे सपनो के बदले,बड़ी नींद का सौदा करने,निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !वही प्यास के अनगढ़ मोती,वही धूप की सुर्ख कहानी,वही आंख में घुटकर मरती,आंसू की खुद्दार जवानी,हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जानेहार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगेनिकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !कुछ पलकों में बंद चांदनी,कुछ होठों में कैद तराने,मंजिल के गुमनाम भरोसे,सपनो के लाचार बहाने,जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे,उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगेनिकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे


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    • 2 min
    Woh Aane Wali Hai Ya Aane Wala Hai

    Woh Aane Wali Hai Ya Aane Wala Hai

    Listen in to a recitation of a poem written for the occasion of baby shower “Woh Aane Wali Hai Ya Aane Wala Hai” by an unknown poet.

    Lyrics in Hindi:

    वो आने वाली है, या आने वाला है।

    ये जल्दी ही पता चल जाने वाला है।

    कोई छोटे छोटे हाथों से,

    हमारा संसार सजाने वाला है।

    बचपन जीने का एक मौका फिर से लाने वाला है।

    उनगली पकड़ कर किसी नए रास्ते ले जाने वाला है।

    बेटा तेरी हर ज़िद का मतलब पूछूंगा,

    तू बाप बनेगा जिस दिन, तुझसे तब पूछूंगा।

    दादाजी का ये कहना अब सच होने वाला है।

    कोई नटखट, नानी का आराम चुराने वाला है।

    और वो जिस ने अपना सब कुछ बंटा आधा आधा है।

    प्यार जिस्का बाकी सबसे, नो महिने ज्यादा है।

    कभी हसने कभी रुलाने, रात जगाने वाला है।

    अभी तो बस शुरवात है, वो खूब नचाने वाला है।

    प्यार उससे रोज रोज बार बार होगा,

    अभी बहुत कुछ बाकी है जो पहली बार होगा।

    उसे अपने पेरों पे चलते देखना,

    उसका मा कहते खुद को पिघलते देखना।

    धेर सारे नए नए एहसास करने वाला है,

    कोई कमरे की छत पर अब तारे लगाने वाला है।

    वो आने वाली है, या आने वाला है।

    ये जल्दी ही पता चल जाने वाला है।

    कोई छोटे छोटे हाथों से,

    हमारा संसार सजाने वाला है।


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    • 2 min
    Audience Message - Krishna Upadhyay [Bonus Episode]

    Audience Message - Krishna Upadhyay [Bonus Episode]

    Listen in to a recitation of a few lines of the famous poem “Teri Yaad Aati Hai” by Kumar Vishwas.

    This is a voice message contributed by our listener Krishna Upadhyay.

    For the complete recitation of the poem you can listen to our previous episode - Teri Yaad Aati Hai - Kumar Vishwas


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    • 2 min
    Yeh Kadamb Ka Ped - Subhadra Kumari Chauhan

    Yeh Kadamb Ka Ped - Subhadra Kumari Chauhan

    Listen in to a recitation of the famous poem “Yeh Kadamb Ka Ped” by Subhadra Kumari Chauhan.

    Lyrics in Hindi:

    यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
    मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥

    ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली।
    किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली॥

    तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता।
    उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता॥

    वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता।
    अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता॥

     सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती।
    मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती॥

    तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता।
    पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाता॥

    गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"।
    पर जब मैं ना उतरता, हंसकर कहती "मुन्ना राजा"॥

    "नीचे उतरो मेरे भैया तुम्हें मिठाई दूंगी।
    नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"॥

    बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता।
    माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥

    तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे।
    ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥

    तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता।
    और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता॥

    तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती।
    जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं॥

    इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे।
    यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे॥


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    • 3 min

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