29 min

Ve Zari Ke Phool | Suryabala | वे ज़री के फूल | सूर्यबाला | Hindi Kahani | Audio Story StoryJam | Listen to stories you always wanted to read! | Hindi Urdu Audio Stories for Kahani lovers

    • Fiction

नमस्कार, मेरा नाम आरती है और में Storyjam में हर हफ्ते आपको सुनाती हूँ
हिंदी में एक कहानी। अगर आप को कहानियां सुनना अच्छा लगता हैं , तो इस चैनल
को सब्सक्राइब ज़रूर करें। धन्यवाद!

सूर्यबाला जी का जन्म 25 अक्टूबर 1944 को वाराणसी में हुआ। वे एक लेखिका
और व्यंगकार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं। अपने जन्मस्थान वाराणसी से
सूर्यबाला जी की बहुत सी यादें जुड़ी हैं, जो उनकी कहानियों में गलियों,
मोहल्लों के वर्णन में दिखलाई देती हैं। उनका बचपन बड़े ही लाड़-प्यार में
धार्मिक, सांस्कृतिक क्रियाकलापों में ही बीता।

सूर्यबाला जी की माँ, श्रीमती केशरकुमारी एक आदर्श गृहिणी थी और पिता, स्व.
श्री वीरप्रतापसिंह श्रीवास्तव जिला विद्यालय में निरीक्षक पद पर कार्यरत
थे। उनके माता-पिता दोनों शिक्षित तथा हिंदी, उर्दू तथा अंग्रेजी भाषा के
ज्ञता थे।डॉ. सूर्यबाला जी ने ‘रीति साहित्य’ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय
के बड़े विद्वान तथा समीक्षक डॉ. बच्चन सिंह के निर्देशन में अपना शोध
कार्य पूर्ण किया परिवार और माता-पिता के आदर्शों का गहरा प्रभाव सूर्यबाला
जी पर पड़ा और लेखन औरज्ञान साधना उन्हें हमेशा भाइ। डॉ. सूर्यबाला जी ने
‘रीति साहित्य’ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विद्वान तथा समीक्षक डॉ.
बच्चन सिंह के निर्देशन में अपना शोध कार्य पूर्ण किया।

सूर्यबाला जी कीअनेक रचनाओं को आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं धारावाहिकों में
प्रसारित किया गया है और
उनकी अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, बंगाली, पंजाबी, तेलुगु,
कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।

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सूर्यबाला जी का जन्म 25 अक्टूबर 1944 को वाराणसी में हुआ। वे एक लेखिका
और व्यंगकार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं। अपने जन्मस्थान वाराणसी से
सूर्यबाला जी की बहुत सी यादें जुड़ी हैं, जो उनकी कहानियों में गलियों,
मोहल्लों के वर्णन में दिखलाई देती हैं। उनका बचपन बड़े ही लाड़-प्यार में
धार्मिक, सांस्कृतिक क्रियाकलापों में ही बीता।

सूर्यबाला जी की माँ, श्रीमती केशरकुमारी एक आदर्श गृहिणी थी और पिता, स्व.
श्री वीरप्रतापसिंह श्रीवास्तव जिला विद्यालय में निरीक्षक पद पर कार्यरत
थे। उनके माता-पिता दोनों शिक्षित तथा हिंदी, उर्दू तथा अंग्रेजी भाषा के
ज्ञता थे।डॉ. सूर्यबाला जी ने ‘रीति साहित्य’ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय
के बड़े विद्वान तथा समीक्षक डॉ. बच्चन सिंह के निर्देशन में अपना शोध
कार्य पूर्ण किया परिवार और माता-पिता के आदर्शों का गहरा प्रभाव सूर्यबाला
जी पर पड़ा और लेखन औरज्ञान साधना उन्हें हमेशा भाइ। डॉ. सूर्यबाला जी ने
‘रीति साहित्य’ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विद्वान तथा समीक्षक डॉ.
बच्चन सिंह के निर्देशन में अपना शोध कार्य पूर्ण किया।

सूर्यबाला जी कीअनेक रचनाओं को आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं धारावाहिकों में
प्रसारित किया गया है और
उनकी अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, बंगाली, पंजाबी, तेलुगु,
कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।

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