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Heeramandi : The Diamond Bazaar | Short Review | Sajeev Sarathie Film Ki Baat 2.0

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अंग्रेजों के दौर का लाहौर शहर जहां का रेड लाइट एरिया था हीरामंडी, वो बदनाम गलियां जहां शहर के तमाम नवाबों की शामें गुजरती हैं, जहां खुद नवाबों की माएं बहनें और बीबीयां उन्हें भेजती है ताकि औरतों के साथ रहन सहन के तौर सलीकें वो सीख सकें। जहां नवाब नई तवायफों की आमद पर पुरानी को छोड़ देते हैं तो वहीं ये तवायफें जो खुद को फनकार कहती हैं, पूरी कोशिश करती है कि नवाबों की मिल्कियत का एक हिस्सा उनकी सेवाओं के बदले उन्हें मिल जाए। और इन सब के बीच तवायफों की आपसी रंजिशें, धोखे, साजिशें और पार्श्व में देश की आजादी की लड़ाई भी। नेटफ्लिक्स की इस सीरीज में संजय लीला भंसाली हमें एक नेवर सीन बिफोर वर्ल्ड में ले जाते हैं।

 

अपनी फिल्मों की तरह ही वो यहां भी एक बहुत ही ग्रैंड, रॉयल और आंखों को चकाचौंध करने वाली तिलस्मी दुनिया रचते हैं जहां हर फ्रेम एक खूबसूरत तस्वीर सा लगता है। विभु पुरी के संवाद एक्सीलेंट हैं, हालांकि आज के संदर्भ में आपको थोड़े ड्रैमेटिक या ओवर द टॉप लग सकते हैं पर एक तरह का गुड ओल्ड चार्म है, इनकी अदायगी में जो मुझे तो बहुत अच्छा लगा। इसके अलावा सिरीज़ का संगीत जो अगेन SLB का ही है शास्त्रीय राग, बंदिश और गायिकी का अद्भुत नमूना पेश करती हैं हालांकि ये SLB के कैलिबर के हिसाब से उतना सेटिस्फाइंग नहीं है।

 

बॉम्बे और दिल से हमने जिस मनीषा को देखा था, दुर्भाग्य ही है कि उनकी कला का भरपूर ईस्तेमाल बॉलीवुड नहीं कर पाया। लेकिन भंसाली की मल्लीकाजान जैसे मनीषा के लिए एक टेलर मेड रोल है and she is simply brilliant. सोनाक्षी की परफॉर्मेंस ऊपर नीचे होती रहती है पर अदिति राव हैदरी सहित अमूनन सभी कलाकारों का काम सराहनीय है विशेषकर इंद्रेश मालिक मास्टरजी के रोल में गजब हैं। हीरामंडी थोड़ी लंबी सीरीज है पर इसे तसल्ली से देखिए, लाहौर की ये पुरानी तंग गलियां आ

अंग्रेजों के दौर का लाहौर शहर जहां का रेड लाइट एरिया था हीरामंडी, वो बदनाम गलियां जहां शहर के तमाम नवाबों की शामें गुजरती हैं, जहां खुद नवाबों की माएं बहनें और बीबीयां उन्हें भेजती है ताकि औरतों के साथ रहन सहन के तौर सलीकें वो सीख सकें। जहां नवाब नई तवायफों की आमद पर पुरानी को छोड़ देते हैं तो वहीं ये तवायफें जो खुद को फनकार कहती हैं, पूरी कोशिश करती है कि नवाबों की मिल्कियत का एक हिस्सा उनकी सेवाओं के बदले उन्हें मिल जाए। और इन सब के बीच तवायफों की आपसी रंजिशें, धोखे, साजिशें और पार्श्व में देश की आजादी की लड़ाई भी। नेटफ्लिक्स की इस सीरीज में संजय लीला भंसाली हमें एक नेवर सीन बिफोर वर्ल्ड में ले जाते हैं।

 

अपनी फिल्मों की तरह ही वो यहां भी एक बहुत ही ग्रैंड, रॉयल और आंखों को चकाचौंध करने वाली तिलस्मी दुनिया रचते हैं जहां हर फ्रेम एक खूबसूरत तस्वीर सा लगता है। विभु पुरी के संवाद एक्सीलेंट हैं, हालांकि आज के संदर्भ में आपको थोड़े ड्रैमेटिक या ओवर द टॉप लग सकते हैं पर एक तरह का गुड ओल्ड चार्म है, इनकी अदायगी में जो मुझे तो बहुत अच्छा लगा। इसके अलावा सिरीज़ का संगीत जो अगेन SLB का ही है शास्त्रीय राग, बंदिश और गायिकी का अद्भुत नमूना पेश करती हैं हालांकि ये SLB के कैलिबर के हिसाब से उतना सेटिस्फाइंग नहीं है।

 

बॉम्बे और दिल से हमने जिस मनीषा को देखा था, दुर्भाग्य ही है कि उनकी कला का भरपूर ईस्तेमाल बॉलीवुड नहीं कर पाया। लेकिन भंसाली की मल्लीकाजान जैसे मनीषा के लिए एक टेलर मेड रोल है and she is simply brilliant. सोनाक्षी की परफॉर्मेंस ऊपर नीचे होती रहती है पर अदिति राव हैदरी सहित अमूनन सभी कलाकारों का काम सराहनीय है विशेषकर इंद्रेश मालिक मास्टरजी के रोल में गजब हैं। हीरामंडी थोड़ी लंबी सीरीज है पर इसे तसल्ली से देखिए, लाहौर की ये पुरानी तंग गलियां आ

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