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Murder in Mahim | Short Review | Sajeev Sarathie Film Ki Baat 2.0

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यूं तो वेब सीरीज की दुनिया में LGBTQ समुदाय के लिए एक विशेष स्थान देखा जा सकता है पर मर्डर इन माहिम एक ऐसी सिरीज़ है जिसकी मूल कहानी ही इसी समुदाय के इर्द गिर्द बुनी गई है। दरअसल जब तक समलौगिक यौनाचार को न्याय की नज़र में अपराध माना जाता था तब तक उन लोगों के लिए जो इस प्रवृत्ति के होने के बावजूद खुल कर सामने न आए हों, उनके साथ कई तरह के अपराधों की खबरें आम हुआ करती थी। 8 एपिसोड्स की ये मर्डर मिस्ट्री सिरीज़ इसी दौर की कहानी कहती है। 

 

आशुतोष राणा और विजय राज दोनों ही कहीं न कहीं एक जैसे किरदारों में टाइपकास्ट से हो रहे थे दोनों के लिए ही यहां जो किरदार लिखे गए हैं उनमें दोनों को ही अपनी प्रतिभा को एक बार फिर वैरिएशन के साथ सामने रखने का मौका मिला है। उनके बीच की केमिस्ट्री इस सीरीज का हाइलाइट है। अन्य कलाकारों में दिव्या जगदले मिली की भूमिका में और आशितोष गायकवाड यूनिट के किरदार में इंप्रेसिव हैं। 

 

सस्पेंस को लंबे समय तक बरक़रार रखने के साथ साथ सीरीज एक कोशिश भी करती है इस समुदाय के प्रति संवेदना जगाने की विशेषकर माता पिता की तरफ से। एक जगह आशुतोष कहते हैं कि मुझे किसी के सेक्स प्रेफरेंस से समस्या नहीं है, पर अपने घर में मुझे मंजूर नहीं। एक जगह जहां समलैंगिक रिश्ते को वैलिडिटी न मिलने के कारण हम एक युवा को आत्महत्या करते हुए देखते हैं तो वहीं आशुतोष और विजय दोनों का किरदार इस समुदाय के प्रति अपनी सोच को बदलते हैं लेकिन एक लंबे प्रोसेस के बाद। विजय और उनके रिश्वतखोर पिता के बीच का टसल भी अच्छा निकल कर आया है। 

 

मर्डर इन माहिम कुछ बहुत अलग या नया शायद ऑफर नहीं करती है पर सब्सक्रिप्शन मोड में आए जिओ सिनेमा पर कम से कम कुछ देखने लायक जरूर पेश करती है। सिरीज़ यकीनन आपको होल्ड करके रखती है।

 

#murderinmahim #JioCinema #VijayRaaz #AshutoshRana #shivaniraghuvabshi #DivyaJagdale #SmitaTambe 

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यूं तो वेब सीरीज की दुनिया में LGBTQ समुदाय के लिए एक विशेष स्थान देखा जा सकता है पर मर्डर इन माहिम एक ऐसी सिरीज़ है जिसकी मूल कहानी ही इसी समुदाय के इर्द गिर्द बुनी गई है। दरअसल जब तक समलौगिक यौनाचार को न्याय की नज़र में अपराध माना जाता था तब तक उन लोगों के लिए जो इस प्रवृत्ति के होने के बावजूद खुल कर सामने न आए हों, उनके साथ कई तरह के अपराधों की खबरें आम हुआ करती थी। 8 एपिसोड्स की ये मर्डर मिस्ट्री सिरीज़ इसी दौर की कहानी कहती है। 

 

आशुतोष राणा और विजय राज दोनों ही कहीं न कहीं एक जैसे किरदारों में टाइपकास्ट से हो रहे थे दोनों के लिए ही यहां जो किरदार लिखे गए हैं उनमें दोनों को ही अपनी प्रतिभा को एक बार फिर वैरिएशन के साथ सामने रखने का मौका मिला है। उनके बीच की केमिस्ट्री इस सीरीज का हाइलाइट है। अन्य कलाकारों में दिव्या जगदले मिली की भूमिका में और आशितोष गायकवाड यूनिट के किरदार में इंप्रेसिव हैं। 

 

सस्पेंस को लंबे समय तक बरक़रार रखने के साथ साथ सीरीज एक कोशिश भी करती है इस समुदाय के प्रति संवेदना जगाने की विशेषकर माता पिता की तरफ से। एक जगह आशुतोष कहते हैं कि मुझे किसी के सेक्स प्रेफरेंस से समस्या नहीं है, पर अपने घर में मुझे मंजूर नहीं। एक जगह जहां समलैंगिक रिश्ते को वैलिडिटी न मिलने के कारण हम एक युवा को आत्महत्या करते हुए देखते हैं तो वहीं आशुतोष और विजय दोनों का किरदार इस समुदाय के प्रति अपनी सोच को बदलते हैं लेकिन एक लंबे प्रोसेस के बाद। विजय और उनके रिश्वतखोर पिता के बीच का टसल भी अच्छा निकल कर आया है। 

 

मर्डर इन माहिम कुछ बहुत अलग या नया शायद ऑफर नहीं करती है पर सब्सक्रिप्शन मोड में आए जिओ सिनेमा पर कम से कम कुछ देखने लायक जरूर पेश करती है। सिरीज़ यकीनन आपको होल्ड करके रखती है।

 

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