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Your weekly dose of Hindi-Hindwi poetry... The goal is to read a poem the way poem should be read. :)

Aah se Upja Gaan Mohit Mishra

    • Kunst

Your weekly dose of Hindi-Hindwi poetry... The goal is to read a poem the way poem should be read. :)

    किसको नमन करूँ मैं - रामधारी सिंह दिनकर Kisko Naman Karun Main-Ramdhari Singh Dinkar

    किसको नमन करूँ मैं - रामधारी सिंह दिनकर Kisko Naman Karun Main-Ramdhari Singh Dinkar

    तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ?
    मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ?
    किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ?
    भू के मानचित्र पर अंकित त्रिभुज, यही क्या तू है ?
    नर के नभश्चरण की दृढ़ कल्पना नहीं क्या तू है ?
    भेदों का ज्ञाता, निगूढ़ताओं का चिर ज्ञानी है
    मेरे प्यारे देश ! नहीं तू पत्थर है, पानी है
    जड़ताओं में छिपे किसी चेतन को नमन करूँ मैं ?

    भारत नहीं स्थान का वाचक, गुण विशेष नर का है
    एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल भर का है
    जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है
    देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्कर है
    निखिल विश्व को जन्मभूमि-वंदन को नमन करूँ मैं !
    खंडित है यह मही शैल से, सरिता से सागर से
    पर, जब भी दो हाथ निकल मिलते आ द्वीपांतर से
    तब खाई को पाट शून्य में महामोद मचता है
    दो द्वीपों के बीच सेतु यह भारत ही रचता है
    मंगलमय यह महासेतु-बंधन को नमन करूँ मैं !

    दो हृदय के तार जहाँ भी जो जन जोड़ रहे हैं
    मित्र-भाव की ओर विश्व की गति को मोड़ रहे हैं
    घोल रहे हैं जो जीवन-सरिता में प्रेम-रसायन
    खोर रहे हैं देश-देश के बीच मुँदे वातायन
    आत्मबंधु कहकर ऐसे जन-जन को नमन करूँ मैं !

    उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है
    धर्म-दीप हो जिसके भी कर में वह नर तेरा है
    तेरा है वह वीर, सत्य पर जो अड़ने आता है
    किसी न्याय के लिए प्राण अर्पित करने जाता है
    मानवता के इस ललाट-वंदन को नमन करूँ मैं !

    • 5 min.
    Saaye Mein Dhoop-Dushyant kumar साये में धूप - दुष्यंत कुमार

    Saaye Mein Dhoop-Dushyant kumar साये में धूप - दुष्यंत कुमार

    साये में धूप की कुछ चुनिंदा ग़ज़लें आपकी ख़िदमत में

    • 16 min.
    परशुराम की प्रतीक्षा खण्ड 1,2,3 Parshuram ki Pratiksha Khand 1,2,3

    परशुराम की प्रतीक्षा खण्ड 1,2,3 Parshuram ki Pratiksha Khand 1,2,3

    गरदन पर किसका पाप वीर ! ढोते हो ?
    शोणित से तुम किसका कलंक धोते हो ?

    उनका, जिनमें कारुण्य असीम तरल था,
    तारुण्य-ताप था नहीं, न रंच गरल था;
    सस्ती सुकीर्ति पा कर जो फूल गये थे,
    निर्वीर्य कल्पनाओं में भूल गये थे;

    गीता में जो त्रिपिटक-निकाय पढ़ते हैं,
    तलवार गला कर जो तकली गढ़ते हैं;
    शीतल करते हैं अनल प्रबुद्ध प्रजा का,
    शेरों को सिखलाते हैं धर्म अजा का;

    सारी वसुन्धरा में गुरु-पद पाने को,
    प्यासी धरती के लिए अमृत लाने को
    जो सन्त लोग सीधे पाताल चले थे,
    (अच्छे हैं अबः; पहले भी बहुत भले थे।)

    हम उसी धर्म की लाश यहाँ ढोते हैं,
    शोणित से सन्तों का कलंक धोते हैं।

    खण्ड-2हे वीर बन्धु ! दायी है कौन विपद का ?
    हम दोषी किसको कहें तुम्हारे वध का ?

    यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें ?
    दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें।
    पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है,
    हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है।

    घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है,
    लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है,
    जिस पापी को गुण नहीं; गोत्र प्यारा है,
    समझो, उसने ही हमें यहाँ मारा है।

    जो सत्य जान कर भी न सत्य कहता है,
    या किसी लोभ के विवश मूक रहता है,
    उस कुटिल राजतन्त्री कदर्य को धिक् है,
    यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं वधिक है।

    चोरों के हैं जो हितू, ठगों के बल हैं,
    जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं,
    जो छल-प्रपंच, सब को प्रश्रय देते हैं,
    या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं;

    यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
    भारत अपने घर में ही हार गया है।

    है कौन यहाँ, कारण जो नहीं विपद् का ?
    किस पर जिम्मा है नहीं हमारे वध का ?
    जो चरम पाप है, हमें उसी की लत है,
    दैहिक बल को कहता यह देश गलत है।

    नेता निमग्न दिन-रात शान्ति-चिन्तन में,
    कवि-कलाकार ऊपर उड़ रहे गगन में।
    यज्ञाग्नि हिन्द में समिध नहीं पाती है,
    पौरुष की ज्वाला रोज बुझी जाती है।

    ओ बदनसीब अन्धो ! कमजोर अभागो ?
    अब भी तो खोलो नयन, नींद से

    • 14 min.
    प्रणति राम धारी सिंह दिनकर pranati by Ramdhari Sinh Dinkar

    प्रणति राम धारी सिंह दिनकर pranati by Ramdhari Sinh Dinkar

    प्रणति-1कलम, आज उनकी जय बोल

    जला अस्थियाँ बारी-बारी
    छिटकाई जिनने चिंगारी,
    जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल ।
    कलम, आज उनकी जय बोल ।

    जो अगणित लघु दीप हमारे
    तूफानों में एक किनारे,
    जल-जलाकर बुझ गए, किसी दिन माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल ।
    कलम, आज उनकी जय बोल ।

    पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
    उगल रहीं लू लपट दिशाएं,
    जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल ।
    कलम, आज उनकी जय बोल ।

    अंधा चकाचौंध का मारा
    क्या जाने इतिहास बेचारा ?
    साखी हैं उनकी महिमा के सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल ।
    कलम, आज उनकी जय बोल ।

    प्रणति-2नमन उन्हें मेरा शत बार ।

    सूख रही है बोटी-बोटी,
    मिलती नहीं घास की रोटी,
    गढ़ते हैं इतिहास देश का सह कर कठिन क्षुधा की मार ।
    नमन उन्हें मेरा शत बार ।

    अर्ध-नग्न जिन की प्रिय माया,
    शिशु-विषण मुख, जर्जर काया,
    रण की ओर चरण दृढ जिनके मन के पीछे करुण पुकार ।
    नमन उन्हें मेरा शत बार ।

    जिनकी चढ़ती हुई जवानी
    खोज रही अपनी क़ुर्बानी
    जलन एक जिनकी अभिलाषा, मरण एक जिनका त्योहार ।
    नमन उन्हें मेरा शत बार ।

    दुखी स्वयं जग का दुःख लेकर,
    स्वयं रिक्त सब को सुख देकर,
    जिनका दिया अमृत जग पीता, कालकूट उनका आहार ।
    नमन उन्हें मेरा शत बार ।

    वीर, तुम्हारा लिए सहारा
    टिका हुआ है भूतल सारा,
    होते तुम न कहीं तो कब को उलट गया होता संसार ।
    नमन तुम्हें मेरा शत बार ।

    चरण-धूलि दो, शीश लगा लूँ,
    जीवन का बल-तेज जगा लूँ,
    मैं निवास जिस मूक-स्वप्न का तुम उस के सक्रिय अवतार ।
    नमन तुम्हें मेरा शत बार ।
    प्रणति-3आनेवालो ! तुम्हें प्रणाम ।

    'जय हो', नव होतागण ! आओ,
    संग नई आहुतियाँ लाओ,
    जो कुछ बने फेंकते जाओ, यज्ञ जानता नहीं विराम ।
    आनेवालो ! तुम्हें प्रणाम ।

    टूटी नहीं शिला की कारा,
    लौट गयी टकरा कर धारा,
    सौ धिक्कार तुम्हें यौवन के वेगवंत निर्झर उद्दाम ।
    आनेवालो ! तुम्हें प्रणाम ।

    फिर डंके पर चोट पड़ी है,
    मौत चुनौती

    • 4 min.
    Some Couplets of Munnavvar Rana. मुन्नव्वर राना की चुनिंदा शायरियाँ

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    Enjoy

    • 4 min.
    गीत कैसे लिखें? How to write songs in HINDI / URDU/ HINDWI ?

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    Dr. Jyotsana Sharma is an avid scholar and a well published poet. She had agreed to tell us fundamentals of Geet writing and this is the audio of the same video recording.

    • 52 min.

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