510 episodes

योग-वेदान्त पर दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती जी के प्रवचन। प्रस्थानत्रयी, योगसूत्र, योगवासिष्ठ इत्यादि के अतिरिक्त श्रीरामचरित मानस, रामायण, महाभारत एवं पुराण इत्यादि की वेदान्तपरक व्याख्या।

दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्व‪त‬ Sadashiva Brahmendranand Saraswati

    • Religion & Spirituality

योग-वेदान्त पर दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती जी के प्रवचन। प्रस्थानत्रयी, योगसूत्र, योगवासिष्ठ इत्यादि के अतिरिक्त श्रीरामचरित मानस, रामायण, महाभारत एवं पुराण इत्यादि की वेदान्तपरक व्याख्या।

    एपिसोड 739. आयुर्वेद में सदाचार- अष्टांगहृदयम्, रोगानुत्पादनीय अध्याय

    एपिसोड 739. आयुर्वेद में सदाचार- अष्टांगहृदयम्, रोगानुत्पादनीय अध्याय

    "मन और शरीर के स्वाभाविक वेगों को नहीं रोकना चाहिए" - इस नियम की अपवादसहित व्याख्या।

    • 18 min
    एपिसोड 738. योगशास्त्र (अग्नि, अ.214 एवं पातञ्जल योगप्रदीप)

    एपिसोड 738. योगशास्त्र (अग्नि, अ.214 एवं पातञ्जल योगप्रदीप)

    एपिसोड 738, योगशास्त्र, यत्पिण्डे तत्ब्रह्माण्डे (अग्निपुराण, अध्याय 214)
    विषय सूची -
    1-नाडी़चक्र।
    2-मुख्यप्राण एवं नौ अन्य प्राणों के स्थान एवं कार्य।
    3-शरीर में उत्तरायण एवं दक्षिणायन।
    4-शरीर में त्रिदेवों और सूर्य चन्द्र इत्यादि की स्थिति एवं दिनरात, ग्रहण इत्यादि की घटनाएं।
    5-अजपा गायत्री

    • 15 min
    एपिसोड 737. सदाचारशतकम् 13 - पूजा-व्रत इत्यादि के सामान्य नियम

    एपिसोड 737. सदाचारशतकम् 13 - पूजा-व्रत इत्यादि के सामान्य नियम

    एपिसोड 737. सदाचार शतकम् 13
    *देवपूजन सम्बन्धी व्यतिक्रम एवं अशुद्वि इत्यादि का उपचार एवं व्रत सम्बन्धी सामान्य मार्गदर्शन*
    विषयसूची -
    1. पूजा का लोप हो जाने पर क्या करें।
    2. पूजनसामग्री के चूहा कीट इत्यादि द्वारा दूषित होने अथवा अशुद्ध मनुष्य द्वारा स्पर्श हो जाने पर क्या करें।
    3. *विशेष ध्यातव्य* - गौ का प्रत्येक अंग शुद्ध किन्तु मुख अशुद्ध होता है और घोडे़ का मुख शुद्ध कहा गया है।
    4. पूजन के समय मंत्र में त्रुटि हो जाने पर क्या करें।
    5. देवप्रतिमा हाथ से छूटकर गिर जाय तो क्या करें।
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    6. स्त्री दीर्घकालीन व्रत में अथवा साधारण व्रत में रजस्वला हो जाय तो क्या करे।
    6. व्रत में सूतक आ जाय तो क्या करें।
    8. ओषधि इत्यादि वह वस्तुयें जिनके सेवन से व्रतभंग नहीं होता।
    9. व्रत के समापन में सामान्यतया क्या करें।

    • 18 min
    एपिसोड 736. सदाचार शतकम् 12. सोलह संस्कार

    एपिसोड 736. सदाचार शतकम् 12. सोलह संस्कार

    एपिसोड 736. सदाचार शतकम्- 12. षोडश संस्कार
    विषयसूची -
    1. संस्कारों की कुल संख्या 48 या अल्प मतान्तर से 40 है जिसमें 16 प्रमुख हैं।
    2. सोलह संस्कारों के नाम।
    3.आरम्भ के नौ संस्कार चारों वर्णों के और स्त्री पुरुष सभी के होते हैं। किन्तु स्त्रियों और शूद्रों के मन्त्ररहित होते हैं।
    4. उक्त सोलह में से क्रमांक 10 से 13 तक के संस्कार (यज्ञोपवीत से समावर्तन तक) केवल त्रैवर्णिक पुरुषों का होता है।
    * उपनयन संस्कार के विना ओंकार, गायत्री अथवा अन्य किसी वैदिक मन्त्र के जप या स्वाहा, स्वधा, वषट्कार इत्यादि के उच्चारण का अधिकार नहीं। स्त्री शूद्र और विना यज्ञोपवीत वाले त्रैवर्णिक पूजा पाठ में मन्त्रका प्रयोग किये विना देवताओं को केवल नमस्कार कर सकते हैं। जैसे "श्री गणेशाय नमः" "शिवाय नमः"। इसमें ॐ नहीं लगा सकते।
    *14वां संस्कार - विवाह सभी वर्णों का होता है।शूद्र का विवाह संस्कार भी मन्त्ररहित होता है।
    *त्रैवर्णिक कन्या का विवाहसंस्कार मन्त्रसहित ही होता है, क्योंकि वह वर के साथ संयुक्त है।।
    *विवाह समान वर्ण में ही होना चाहिये, न अपने से उत्तम के साथ न अधम के साथ - "विवाहःसदृशैस्तेषां नोत्तमैर्नाधमैस्तथा" - अग्नि,151/13.
    *प्रश्न - शूद्र कन्या से कोई त्रैवर्णिक विवाह करे तो मन्त्ररहित होगा या मन्त्रसहित ? उत्तर - शूद्रा से त्रैवर्णिक का विवाह निन्द्य है। विवाह का संस्कार स्त्रीपुरुष के लिये संयुक्त होता है।अतः ऐसा विवाह विना मन्त्र के ही हो सकता है।
    प्रश्न - सवर्ण, अनुलोम और प्रतिलोम सम्बन्ध क्या हैं ? उत्तर - अपने वर्ण में विवाह करना सवर्ण सम्बन्ध है।अपने से नीचे वाले वर्ण की कन्या से विवाह करना अनुलोम सम्बन्ध है। अपने से ऊपर के वर्ण वाली कन्या से सम्बन्ध करना प्रतिलोम सम्बन्ध है जो निषिद्ध है, अतः इसे विवाह नहीं कह सकते। इसमें मन्त्ररहित अथवा मन

    • 12 min
    एपिसोड 735. सदाचार शतकम् 11. बृहस्पति स्मृति।

    एपिसोड 735. सदाचार शतकम् 11. बृहस्पति स्मृति।

    एपिसोड 735. सदाचार शतकम्- 11. भूमिदान की महिमा और भूमिहरण का दण्ड - बृहस्पति स्मृति के विशेष उल्लेख के साथ।
    * सुवर्णदान गोदान और भूमिदान।
    * भूमिदान का फल- विशेष वर्णन।
    * भूमि पर अन्यायपूर्वक कब्जा करने का फल।
    * ब्रह्मस्व हरण का फल।

    • 10 min
    एपिसोड 734. सदाचार शतकम् 8-10

    एपिसोड 734. सदाचार शतकम् 8-10

    एपिसोड 734. सदाचारशतकम् 8- 10
    *नाभि से ऊपर के सभी अङ्ग पवित्र माने गये हैं, उसमें भी मुख सर्वाधिक पवित्र है। क्योंकि यही शब्दब्रह्म को प्रकट करता है और यही समस्त शरीर का पोषण करता है।
    *ब्राह्मण की रचना का उद्देश्य।
    *आचारः परमो धर्मः।
    *वेदोऽखिलो धर्ममूलम्।
    *वेद और धर्मशास्त्र का अर्थ।
    *नास्तिक का अर्थ।
    *साक्ष्य के नियम - आधुनिक कुतर्कों का समाधान।
    *वेद ही परम प्रमाण हैं।
    *शास्त्रनियमों में मतभेद होने पर विकल्प - *तुल्यबलविरोधे विकल्पः*। * प्रमाणों की वरीयता का क्रम 1. वेद-वेदाङ्ग, 2.स्मृति, 3. इतिहास, (रामायण, महाभारत) 4. पुराण इत्यादि।

    • 17 min

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