Happy Mother's Day! GreyMatters Podcast
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Life doesn't come with a manual, it comes with a mother. And how true it is! Today we celebrate the incredible journey of motherhood, today we celebrate mothers.
मां ~ ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम ने कहा है “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि।” यानी मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। इस एक अक्षर का संबोधन पूरी सृष्टि का श्रेष्ठ संबोधन है, इस एक संबोधन में मानव जीवन के लिए जरूरी सारे भाव हैं ~ प्रेम, अपनापन, करुणा।
मां एक सुखद अनुभूति है, एक शीतल आवरण की तरह जो हमें हर परेशानी, दुख, चिंता से बचाने को कोशिश करती है। मांओं का होना, हमें जीवन के हर लड़ाई से लड़ने की ताकत देता है। मां जिंदगी का विश्वास होती है, मां जीवन का संबल होती है, सराहा होती है, मां जीवन की आस होती है, मां ही तो जीवन का सार होती है।
मुन्नवर राणा की एक शेर है ~
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
और सच में उपमाओं से परे है मां, शब्दों में उसकी व्याख्यान करना संभव नहीं।
मां होने का अर्थ ख़ुद मां बनने के बाद पता चलता है, देखने से मातृत्व आसान जरूर लगता है, पर सच में ऐसा नहीं होता है। जब छोटे थे तो लगता था कि क्यों मां छोटी छोटी चीजों पे बोलती है, मां को अक्सर कहते थे कि अब हम बच्चे नहीं हैं, बड़े हो गए हैं, अपना ध्यान रख सकते हैं। कई सवाल और शिकायत थे मां के लिए, अब जब खुद मां बन गए हैं तो सारे शिकायत और सवाल खत्म होंगे। खुद मां बनने के बाद आप अपनी मां को ज्यादा बेहतर समझते हैं।
याद कीजिए, आपके जन्मदिन या त्योहारों में मां की बनाई वो मिठाई या छोले ~ आप किसी भी फाइव स्टार में चले जाएं, मां के हाथ का स्वाद नहीं मिल पाएगा। मां के हाथों की बनी हुई स्वेटर में हम कितने सुंदर लगते थे, और याद है कहीं जाने से पहले मां का हम सबको काला टीका लगाना ताकि नजर न लगे। ये माएं भी न कमाल होती हैं।
Life doesn't come with a manual, it comes with a mother. And how true it is! Today we celebrate the incredible journey of motherhood, today we celebrate mothers.
मां ~ ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम ने कहा है “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि।” यानी मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। इस एक अक्षर का संबोधन पूरी सृष्टि का श्रेष्ठ संबोधन है, इस एक संबोधन में मानव जीवन के लिए जरूरी सारे भाव हैं ~ प्रेम, अपनापन, करुणा।
मां एक सुखद अनुभूति है, एक शीतल आवरण की तरह जो हमें हर परेशानी, दुख, चिंता से बचाने को कोशिश करती है। मांओं का होना, हमें जीवन के हर लड़ाई से लड़ने की ताकत देता है। मां जिंदगी का विश्वास होती है, मां जीवन का संबल होती है, सराहा होती है, मां जीवन की आस होती है, मां ही तो जीवन का सार होती है।
मुन्नवर राणा की एक शेर है ~
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
और सच में उपमाओं से परे है मां, शब्दों में उसकी व्याख्यान करना संभव नहीं।
मां होने का अर्थ ख़ुद मां बनने के बाद पता चलता है, देखने से मातृत्व आसान जरूर लगता है, पर सच में ऐसा नहीं होता है। जब छोटे थे तो लगता था कि क्यों मां छोटी छोटी चीजों पे बोलती है, मां को अक्सर कहते थे कि अब हम बच्चे नहीं हैं, बड़े हो गए हैं, अपना ध्यान रख सकते हैं। कई सवाल और शिकायत थे मां के लिए, अब जब खुद मां बन गए हैं तो सारे शिकायत और सवाल खत्म होंगे। खुद मां बनने के बाद आप अपनी मां को ज्यादा बेहतर समझते हैं।
याद कीजिए, आपके जन्मदिन या त्योहारों में मां की बनाई वो मिठाई या छोले ~ आप किसी भी फाइव स्टार में चले जाएं, मां के हाथ का स्वाद नहीं मिल पाएगा। मां के हाथों की बनी हुई स्वेटर में हम कितने सुंदर लगते थे, और याद है कहीं जाने से पहले मां का हम सबको काला टीका लगाना ताकि नजर न लगे। ये माएं भी न कमाल होती हैं।
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