Pradeep Soni Pradeep Soni
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Lekhshala: Express the inexpressible
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फ़ैन होय हा ।। पंजाबी कविता ।। लेखशाला
कभी कभी ज़िंदगी कि राहों में ख़्याल अक्षर हो जाते है. समय के किसी दौर में दिल्ली से बैंगलोर जाते हुए ट्रेन कि सामने वाली सीट पर बैठी कन्या कि ख़ूबसूरती को चिन्हित करती चंद पंक्तियाँ.
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