Saccha Jeevan

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  1. 25/05/2020

    चंगा करने की सामर्थ।

    चंगा करने की सामर्थ। तब पतरस ने कहा , चाँदी और सोना तो मेरे पास नहीं , परन्तु जो मेरे पास है वह तुझे देता हूँ : यीशु मसीह नासरी के नाम में चल फिर ( प्रेरितो के काम ३ ; ६ ) । मसीही बीमार नही है , जो चंगा होने की इच्छा कर रहा है । दुःखद , किंतु बहुतो की यही समझ रही है । नये जन्मे होकर , आपके पास परमेश्वर का " अविनाशी " जीवन है । जैसा यीशु ने कहा , मसीही के पास चंगा करने की सामर्थ है ; वह परमेश्वर के द्वारा चंगाई को विश्व तक ले जाने के लिए बुलाया गया है । वचनो का अध्ययन कीजिए और आप देखेंगे कि यीशु ने यही किया ; बाइबल कहती है वह भलाई करता फिरा और उन सबको चंगा करता फिरा जो शैतान के सताए हुए थे ( प्रेरितो के काम १०;३८ ) । प्रेरितो ने भी यही किया ; उन्होंने बीमारो को चंगाई दी । उदाहरण के लिए, प्रेरितो के काम के तीसरे अध्याय में पतरस और यूहन्ना के विषय में हमने पढ़ा , कि मंदिर में जाते समय वे एक पंगु भिखारी की ओर आकर्षित हो गए, जो कि मंदिर के द्वार पर बैठा था। और मंदिर में आने जाने वाले हर व्यक्ति से भीख मांग रहा था । पतरस का प्रत्त्युतर बहुत ही उत्साहजनक था ; उसने कहा , “ ... चाँदी और सोना तो मेरे पास नहीं , परन्तु जो मेरे पास है वह तुझे देता हूँ : यीशु मसीह नासरी के नाम में चल फिर । " और उसने उसका दाहिना हाथ पकड़कर उसे उठाया ; और तुरन्त उसके पाँवों और टखनों में बल आ गया ” ( प्रेरितो के काम ३ ; ६-७ ) । ध्यान दीजिए कि पतरस को उसको जो देना था वह “ प्रार्थना " या प्रार्थना करने की सामर्थ नही थी । यहीं पर कुछ मसीहो से चूक हो जाती है ; उन्हें लगता है कि परमेश्वर ने हमे “ बीमारी के लिए प्रार्थना करने का अधिकार दिया है " ; नही ! उसने हमे बीमारो को चंगा करने का अधिकार दिया है । मत्ती १० ; १ को पढ़िए , यह कहता है , " फिर उसने ( यीशु ) अपने बारह चेलों को पास बुलाकर , उन्हें अशुध्द आ

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  2. 25/05/2020

    विश्वास का जानना।

    विश्वास का “ जानना " । अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय , और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है ( इब्रानियो ११ ; १ ) । प्रभु के साथ हमारा संबंध विश्वास का है । इससे अंतर नही पडता है कि आप बाहर से कैसा “ महसूस करते है ; भौतिक भावनाओं का इससे कोई लेनादेना नहीं है । अधिकतर , उसके साथ और उसका हमारा अनुभव मानविय शब्दो के द्वारा नहीं बताया जा सकता ; किंतु फिर भी यह एक गहरा आंतरिक “ ज्ञान है " , आपकी आत्मा में एक जागरुकता । यह मरकुस ५ में मुझे उस महिला की बात याद दिलाता है जिसको लहू की परेशानि थी । वह बारह साल से रक्त बहने की परेशानि से पीड़ित थी , और डॉक्टर भी उसकी सहायता नही कर पा रहे थे । बाइबल कहती है , “ वह यीशु की चर्चा सुनकर भीड़ में उसके पीछे से आयी और उसके वस्त्र को छू लिया ... और तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया , और उसने अपनी देह में जान लिया कि मैं उस बीमारी से चंगी हो गई हूँ ". ( मरकुस ५ ; २७-२९ ) । उसे कैसे पता था कि वह “ भावना ” जो उसने अपने शरीर में महसूस की थी वह चंगाई की थी ? यह उसका काम करता हुआ विश्वास था ! बाइबल नही कहती है “ उसने लहू को रुकते हुए देखा ” , किंतु यह कि , “ उसने अपने शरीर में जान लिया कि वह चंगी हो गई थी । " यह विश्वास की भावना है । उसी तरिके से प्रेरितो के काम के तीसरें अध्याय में मंदिर के सुंदर नामक द्वार पर लंगड़े व्यक्ति के साथ भी यही हुआ । जब पतरस ने उसको चंगाई दी , बाइबल कहती है , कि उसके टखनो और हड्डियो में बल आ गया ( प्रेरितो के काम ३ ; ७ ) । हड्डियों में भावना नहीं होती , तो यह एक भौतिक “ भावना ” नही हो सकती । किंतु कुछ उसके पैरो और हड्डियो में गया , और परमेश्वर जानता था , और उसने कहा कि उसके हड्डियो और टखनो में बल आ गया । परिणाम यह हुआ कि वह मनुष्य कूदा और चलने लगा । उसका विश्वास कार्य कर रहा था ; उसने उत्तर दिया , और उसके उ

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  3. 25/05/2020

    पिता का प्रेम

    पिता का प्रेम। क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया , ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो , परन्तु अनन्त जीवन पाए ( यूहन्ना ३ ; १६ ) । आपने एक बच्चे की तरह अवश्य ही ऊपर के वचन को याद किया होगा , जैसा मैंने किया था । बच्चों के रूप में हम से यह बुलवाया जाता था , किंतु जैसे ही मैं बड़ा हो गया, और भाषा की महत्ता को समझने लगा , शब्दो की महत्ता को , तो मैं उन विचारो पर मनन किए बिना नहीं रह पाया, जो इस वचन में बताए गए है। और यह कि वास्तव में इसका अर्थ क्या है । वह कहता है , " क्योंकि परमेश्वर ने जगत से इतना प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया , ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो . . . . " । यह महामई परमेश्वर की सार्वभौमिक घोषणा है ; यह विश्व के लिए कानूनी संदेश है , एक कानूनी निर्देश । सच्चाई में यह एक नियम है । परमेश्वर ने हर एक से इतना प्रेम किया , उसने हम से इतना प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया । अब उसी वचन में मैंने पिता के प्रेम का प्रचुर प्रवाह और प्रदर्शन देखा । उस में बहुत सारे संदेश है । यह सोचिये : उसने आपके स्थान में यीशु को दे दिया , इसका अर्थ है कि वह आपसे उतना ही प्रेम करता है जितना वह यीशु से करता है । इसका अर्थ है कि आप परमेश्वर के लिए मूल्यवान है । अगर परमेश्वर ने आपसे इतना प्रेम किया , तो आप अवश्य ही उसके लिए कुछ है ; अन्यथा , उसने आपके बदले में इतना बड़ा दाम नही चुकाया होता । इसके अतिरिक्त , वह आपसे प्रेम करता है का अर्थ है, कि वह आपके ऊपर हर दिन निगाह रखे हए है : वह आपके साथ हर क्षण, और रास्ते के हर कदम में है । आपसे जुड़ी हर वस्तु का उसे ख्याल है । इस बात को आपको जीवन में असाधारण आत्म विश्वास देना चाहिए : एक सोचने का नया तरीका । वह सीमा जहाँ तक वह उसके प्रेम को दिखा

    4 min
  4. 14/04/2020

    अब तक की सबसे बड़ी कहानी ।

    अब तक की सबसे बड़ी कहानी । अर्थात् परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया , और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल - मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है । ( २कुरिंथियो ५ ; १९ ) । कलीसिया में बहुत से लोग वास्तव में यीशु मसीह के सुसमाचार को नहीं समझते है । आप सुसमाचार को समझकर इसकी सच्चाई के द्वारा उत्साहीत और विवश हुए बिना नहीं रह सकते । यह एक धारणा नही है ; यह एक परीयो की कहानी नही है ; सुसमाचार वास्तविक और अद्भुत है । इसके विषय में सोचीए : मसीह यीशु पापीयो को बचाने के लिए आया ; परमेश्वर शरीर में इस विश्व में आया , पापी मनुष्य का स्थान लेने के लिए । वह कूस पर लटकाया गया , गाढ़ा गया और मृत्यु से जी उठा और वह आज भी जीवित है । जो कुछ उसने कूस पर किया वह पूरे विश्व के लिए था । जब वह कूस पर मरा , हम उसमें मरे । जब वह गाढ़ा गया हम उस में गाढ़े गए । जब परमेश्वर ने उसको जीवित किया, हम उसके साथ जीवित किए गए । आज , क्योंकि वह जीवित है तो हम भी जीवित है । कितनी अद्भुत कहानी ! जो पाप से अज्ञात था वही हमारे लिए पाप बना, ताकि हम उसमें होकर परमेश्वर की सत्यनिष्ठा बन जाएँ ! हमारा आरंभिक वचन कहता है , “ अर्थात् परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल - मिलाप कर लिया , और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया, और उस ने मेल - मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है " । मैं सुसमाचार की सच्चाई के द्वारा विवश हूँ कि कभी हम सब मरे हुए थे , परमेश्वर के जीवन से कटे हुए थे , अब हम मसीह में जीवित है । कितनी अद्भुत आशा ! कितना अद्भुत संदेश ! पूरे विश्व में ऐसा कुछ भी नहीं है ; यह अब तक की सबसे बढ़ी कहानी है । यह आने वाले कल जितनी ताजी है ! यह सोचना कि यह वही सुसमाचार है जिसको हमारे पूर्वज अब्राहम , इसहाक , याकूब देख रहे थे ! यही वह सुसमाचार है जो मूसा , दाऊद , औ

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  5. 13/04/2020

    मृत्यु और पुनरुत्थान में हमारा प्रतिस्थापन ।

    मृत्यु और पुनरुत्थान में हमारा प्रतिस्थापन । परंतु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया , वह हमारे अधर्म के कामो के कारण कुचला गया ; हमारी ही शांति के लिये उस पर ताडना पडी . . . ( यशायाह ५३ ; ५ ) । प्रभु यीशु ने कष्ट उठाया और कूस के दर्द और लज्जा को भी सहा , अपने खुद के पापो या अपने लिए नही किंतु हमारे लिए । उसने हमारा स्थान लिया और हमारे बदले में पापो का दंड उठाया । जब वह कूस पर था ,तो हमारे पापो के बोझ के तले वह दर्द में चिल्लाया , " . . . हे मेरे परमेश्वर , हे मेरे परमेश्वर , तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया ? ( मरकुस १५ ; ३४ ) । परमेश्वर ने यीशु से अपना मुँह मोड लिया क्योंकि हमारे पाप उस पर लादे गए थे । हबक्कूक १ ; १३ हमे बताता है कि परमेश्वर पवित्र है और वह अधर्म को नहीं देख सकता । हमारे पापो के कारण पिता से दूर होना ही वह बात थी, जो यीशु कभी नही चाहता था , जिसके लिए उसने गतसमनी के बगीचे में प्रार्थना की , " . . . पिता , यदि हो सके तो यह कटोरा मुझ से टल जाए , तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं , परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो ” ( मत्ती २६ ; ३९ ) । परमेश्वर की इच्छा प्रबल हुई ; यीशु क्रूस पर मरा , और नरक में गया । वह दर्द से गुजरा । जब उसने सब आवश्यक दंड सह लिया , तो बाइबल कहती है कि वह आत्मा में सत्यनिष्ठ ठहरा ( १ तीमुथियुस ३ ; १६ ) , और वह जीवन में वापिस लाया गया । वह हमारी निर्दोषता के लिए जीवन में वापिस उठाया गया : “ वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया , और हमारे सत्यनिष्ठ ठहरने के लिये जिलाया भी गया " ( रोमियो ४ ; २५ ) । निर्दोष होने का मतलब है बाईज्जत बरी होना ; सत्यनिष्ठ घोषित किया जाना । वह मृत्यु में और उसी तरह पुनरुत्थान में भी हमारा प्रतिस्थापन था । जब वह मरा , आप उसके साथ मरे ; जब वह गाढ़ा गया तो आप उसके साथ गाढ़े गए, और जब परमेश्वर ने उसे मरे हुओ में से जिंदा किया तो आ

    3 min
  6. 13/04/2020

    अपने हृदय को सही वचनो से भरो।

    अपने हृदय को सही वचनो से भरो। यदि कोई अपने आप को भक्त समझे और अपनी जीभ पर लगाम न दे , पर अपने हृदय को धोखा दे , तो उसकी भक्ति व्यर्थ है । ( याकूब १ ; २६ ) । अपने हृदय को धोखा देने का अर्थ है कि आप अपनी आत्मा को एक झूठ में विश्वास दिलाते है । यही वह है जो पौलुस ने २ तीमुथियुस २ ; २५ में बताया , उनके विषय में बात करते हुए जो अपना ही विरोध करते है । उदाहरण के लिए , एक मसीही जो लगातार कमी , बीमारी , कमजोरी , हार की बात करता है वह अपना विरोध कर रहा है । वह अपने हृदय को धोखा दे रहा है , क्योंकि वह मसीह की इच्छा और उसके सुसमाचार के प्रावधानो के विरोध में बात कर रहा है । ऐसे वचन उसकी आत्मा में बीजो की तरह जाएंगे और अगर वे निकाले नहीं गए , तो वे बढ़ेंगे, और परिणामो को पैदा करेंगे । मरकुस ४ ; २६ - २७ में यीशु के वचनो को याद कीजिए : " . . . परमेश्वर का राज्य ऐसा है , जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे , और रात को सोए और दिन को जागे , और वह बीज ऐसे उगे और बढ़े कि वह न जाने " । बीज बोनेवाले को केवल बीज बोने की आवश्यकता थी , और वह बीज वचन है , और मनुष्य का हृदय वह भूमि है जो उसको ग्रहण करता है ( मरकुस १४ ; १४ - १५ ) । इसलिए , अपने हृदय में सांसारिक वचनो को बोलकर गलत बीजो को मत बोईये । उन वस्तुओ को बोलिए जो आपको परमेश्वर के द्वारा मुक्त रूप से दी गई है , “ जिनको हम मुनष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं , परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में , आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते है " ( १कुरिंथियो २ ; १३ ) । परमेश्वर ने आपके लिए महान वस्तुओ को तैयार किया है । उसने आपको वह सब दे दिया है जिसकी आपको सत्यनिष्ठा के एक महिमामय और श्रेष्ठ जीवन के लिए जरूरत है । ये वस्तुएँ वचन में दर्शायी गई है और पवित्र आत्मा के द्वारा आपकी आत्मा में दिखाई जाती है , जो परमेश्वर की गहरी वस्त

    3 min
  7. 08/04/2020

    निरंतर प्रगति।

    निरंतर प्रगति। परन्तु सत्यनिष्ठों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान हैं , जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है ( नीतिवचन ४ ; १८ ) । एक वस्तु जो आप अपने जीवन में देखना चाहते है, वह है निरंतर सफलता । जब मैं कहता हूँ , “ कि मैं हमेशा आगे और ऊपर उठ रहा हूँ ” , तो यह अतिश्योक्ति या एक ऐसी वस्तु की घोषणा नही है; जो मैं चाहता हूँ कि हो जाएँ : नही ! यह मेरे जीवन की वास्तविकता है , जो कि परमेश्वर के वचन के द्वारा संभव बनाई गई है । मैं हमेशा प्रगति कर रहा हूँ , मसीह में हमारा यही जीवन है । _ _ _ आप बहुत सिलसिरेवार हो सकते है , अपने काम , सेवकाई और अपने जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति करते हुए । क्योंकि मसीही के लिए , परिस्थितिवश समृद्ध होना समृद्धि नहीं है । कुछ लोग समृद्ध हो सकते है उस समय की परिस्थिती के कारण । जब आर्थिक स्थितीयाँ उनके अनुकूल होती है , तो वे अच्छा करते है , लेकिन जब एक बदलाव आता है , तो उनकी समृद्धि नीचे चली जाती है । यह काफी नही है । अब्राहम , इसहाक और याकूब का अध्ययन कीजिए , वे समृद्ध हुए , परमेश्वर के साथ चले , उनके समय की आर्थिक परिस्थितीयो के बावजूद । उत्पत्ति २६ ; १२ - १४ बात करता है कि कैसे इसहाक अकाल के समय में बहुत समृद्ध हुआ , कि पूरा देश उससे जलने लगा : “ फिर इसहाक ने उस देश में जोता बोया , और उसी वर्ष में सौ गुणा फल पाया ; और यहोवा ने उसको आशीष दी , और वह बढ़ा और उसकी उन्नति होती चली गई , यहाँ तक कि वह अति महान् पुरुष हो गया । जब उसके भेड़ , बकरी , गाय - बैल , और बहुत से दास - दासियाँ हुईं ; तब पलिश्ती उससे डाह करने लगे " । हम में से हर व्यक्ति के लिए ऐसा ही होना चाहिए , क्योंकि हम अब्राहम का वंश है । परमेश्वर और जीवन के विषय में हर वस्तु जो उसने हमें दी है उसमें निरंतरता ही दिखती है । इसलिए , अनियमित सफलता के साथ समझौता करना मना क

    3 min
  8. 07/04/2020

    परमेश्वर का सटीक चित्रण।

    परमेश्वर का सटीक चित्रण। वही सब वस्तुओं में प्रथम है , सारी वस्तुएं यीशु के द्वारा बनी है । और वही शरीर का सिर है , चर्च का : जो कि शुरूवात है और मृत्यु में से जी उठा पहलौठा है ; और वह सारी वस्तुओं में शिरोमणि है । क्योंकी परमेश्वर को यह पसंद आया कि उसमें सारी परिपूर्णता निवास करे ( कुलुस्सियो १ ; १७ - १९ ) । वचनो के अनुसार , दैवियता की संपूर्णता यीशु मसीह में रहती है । परमेश्वर के विषय में हर वस्तु यीशु मसीह में रहती है । जब फिलिप्पुस यीशु मसीह के चेलें ने कहा , हमें पिता को दिखाओ , तो उसने उत्तर दिया , " जिस किसी ने मुझको देखा है उसने पिता को देखा है ” ( यूहन्ना १४ ; ८ - ९ ) । जो सबकुछ पिता है और पिता के पास है , वह सब यीशु मसीह में है । जो सबकुछ पवित्र आत्मा है और जो पवित्र आत्मा के पास है , वह यीशु मसीह में है । यीशु मसीह परमेश्वर है , उसने कहा , " मैं पिता में हूँ , और पिता मुझमें है ” ( यूहन्ना १४ ; ११ ) । तब उसने यूहन्ना १४ ; ३० में कहा , " मैं और पिता एक है । "कुछ लोग कहते है , " हीक है , यीशु परमेश्वर नहीं है ; " यह ऐसा इसलिए है कि वे अज्ञानी है । कुलुस्सियो २ ; ९कहता है , उसी में परमेश्वर की सारी संपूर्णता सदेह निवास करती है । " इसका अर्थ है कि यीश मसीह परमेश्वर का शरीर है । जब यीशु बाईबल के दिनों में गलीयों में से चला , तो यह परमेश्वर था जो यीशु मसीह में चल रहा था । कितनी अदभुत वास्तविकता । इब्रानियो १ ; ३ कहता है कि वो परमेश्वर की महीमा की चमक है और उसके व्यक्तित्व का सटीक छाप है । यीशु परमेश्वर की महिमा की बाहरी चमक है । यह परमेश्वर का प्रकाश है । क्या आपने ध्यान दिया कि इब्रानियो १ ; ३ में जो “ व्यक्ति " शब्द है , वह बहुवचन नही है , यह कहता है , “ जो उसकी महिमा का प्रकाश है , उसके व्यक्तित्व का सटीक चित्रण है " । जिसका अर्थ है कि परमेश्वर के त्रियक में यीशु मसीह ही ह

    3 min
  9. 07/04/2020

    आपका जीवन वास्तविक संदेश है ।

    आपका जीवन वास्तविक संदेश है । ये सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं , जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल - मिलाप कर लिया , और मेल - मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है ( २कुरिंथियो ५ ; १८ ) । नये जन्मे के रूप में , आपको सुसमाचार सुनाने के लिए भेजा गया है, कि आप मसीह के उद्धार के संदेश को अपने विश्व; और उसके परे ले जाएं । किंतु क्या आप जानते है कि जो वस्तुएँ आप मसीह के गवाह के रूप में कहते है , उससे कही बढ़कर आपका जीवन वास्तविक संदेश है ? जब लोग आपको देखते है , तो आपकी मसीह के संबंध में उनके लिए क्या गवाही होगी ? आपका जीवन सच्चा संदेश है । दूसरे शब्दो में , जो सीखाते हो उसे सबसे पहले आपके जीवन में दिखना आवश्यक है । अधिकतर कहा जाता है , “ अभ्यास करो जो तुम प्रचार करते हो " ; किंतु उसका उलटा , उसका प्रचार करो जो अभ्यास करते हो , भी सही है । सुसमाचार के उस संदेश के साथ किसी दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करना , जिसने आपके जीवन को प्रभावित नही किया है , एक मुश्किल काम है । इसलिए , उस व्यक्ति के रूप में जो दैविय जीवन का संदेश ले जाने के लिए अभिषिक्त है , उस संदेश के प्रभाव को आपके व्यक्तित्व की गुणवत्ता में अवश्य ही दिखना चाहिए । लोगो को आपको देखकर आपके प्रचार के परिणामो को देखना चाहिए । यह शुरु होता है जब आप स्वंय के लिए वचन को पचाते है , इसको समझते है, और हर स्थिती में वचन को करते है । परमेश्वर के वचन के लिए पूरी तरह से समर्पित हो जाईये; कि वह आपके जीवन और आपके चरित्र को परिवर्तित करे , और आपकी एक सत्यनिष्ठा का जीवन जीने में सहायता करें । उस तरिके से , आप निश्चित ही सत्यनिष्ठा के फलो को लाएँगे । २कुरिंथियो ३ ; ६ कहता है कि परमेश्वर " . . . जिसने हमें नई वाचा ( मसीह के द्वारा उध्दार ) के सेवक होने के योग्य ( हमें उपयुक्त और सक्षम और लायक बनाते हुए ) भी किया , शब्द ( कानूनी ल

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  10. 07/04/2020

    Aap ki aatma me prameshwar ka wachan

    आपकी आत्मा में वचन । और उद्धार का टोप , और आत्मा की तलवार , जो परमेश्वर का वचन है , ले लो ( इफिसियो ६ ; १७ ) । २कुरिंथियो १० ; ३ कहता है , क्योंकि यद्यपि हम शरीर में चलते फिरते हैं , तौभी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते " । हम एक भौतिक लड़ाई में नहीं है ; यह आत्मिक है , और हमारा हथियार परमेश्वर का वचन है ; आत्मा की तलवार । जैसे ही आप परमेश्वर के वचन को मुक्त करते है - परमेश्वर के रेहमा को - आप आत्मा के स्तर में लड़ाई के लिए आगे बढ़ रहे है । सामर्थ मुक्त होती है, जो शत्रु को हिला देती है । मनन का यही कारण है । आपके मुंह में परमेश्वर का वचन शक्तिशाली है . मनन के बाद - अत्यधिक मनन के बाद । इस तरह के मनन के दौरान , आपका पूरा ध्यान वचन पर होता है । आप किसी भी प्रकार के व्यवधान को नहीं आने देते है । यही अंतर है उस व्यक्ति में जो अपने सिर से वचनो को बोल रहा है ।और जो वचन को बोल रहा है ; क्योंकि वे उसके अंदर रहते है । यही वह वस्तु थी जिसने दाऊद को बाकी सारे इस्त्राएलियो से अलग किया । वे सब खतना किए हुए थे और वाचा के बारे में जानते थे किंतु वे गोलियत के सामने थरथरा गए । कोई भी उस दानव का सामना नहीं कर पाया । किंतु जब दाऊद दिखाई दिया , तो उसने आश्चर्य किया कि क्यूँ हर व्यक्ति गोलियत से डरा हुआ है और उसने कहा , " . . . वह खतनारहित पलिश्ती क्या है कि जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारे " ( १शमूएल १७ ; २६ ) । वह कह रहा था , “ हम खतना किए हुए है और खतना के द्वारा , हम परमेश्वर की श्रेणी में है । किंतु यह व्यक्ति खतनारहित है ; परमेश्वर उसकी ओर नही है ! " खतने का दाऊद के लिए वह अर्थ था जिसके विषय में दूसरे नहीं जानते थे । यही होता है जब वचन आपकी आत्मा में होता है । यीशु ने कहा , आपके पेट से जीवित जल की धाराएं बहेंगी । फूट पडेगी , बाढ़ की तरह - जीवित जल की ( यूहन्ना ७ ; ३८ ) । कुलुस्सियो ३ ; १६ कहता है , “ मसीह के वचन को अ

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