4 Folgen

मुझे आजाद रहने दो,​
तुम्हारी उस हर सोच से,​
जो तुम्हे मुझसे मिलते ही उकसाती है ​
बनाने के लिए एक खाका मेरा!​

डब्बों से आज़ाद , मेरे ख्याल, मेरी कवितायेँ!

KahiAnkahi With Astha Deo Astha Deo

    • Kunst

मुझे आजाद रहने दो,​
तुम्हारी उस हर सोच से,​
जो तुम्हे मुझसे मिलते ही उकसाती है ​
बनाने के लिए एक खाका मेरा!​

डब्बों से आज़ाद , मेरे ख्याल, मेरी कवितायेँ!

    Yun Tum chup na raho

    Yun Tum chup na raho

    यूँ तुम चुप न रहो!
    कह दो तुम,

    यूँ  चुप न रहो,

    चुप रहने को यूँ मान न दो,

    सहने को अब सम्मान न दो !

    चुप रहना क्यों जरूरी है,

    सहने की क्या मजबूरी है,

    कहने का जो एक तरीका हो,

    बातों में जो एक सलीका हो,

    सच भी तब मीठा लगता है,

    जीवन नहीं रीता लगता है!

    बोलो जो दिल की बातें हो,

    कह दो जो मीठी यादें हो,

    कह लो वो किस्से गिरने के,

    गुम  होने और न मिलने के,

    बातों का यूँ अपमान न हो,

    चुप रहने का सम्मान न हो!

    बच्चों की बातों में है सपने,

    बड़ों की बातें में है अपने,

    साथ मिलो और मिलके कहो,

    जो बातें दिल के अंदर हो,

    यूँ अंदर तुम घुटते न रहो,

    पानी हो तो दरिया सा बहो!

    हो न बातें अगर तुम्हारे पास,

    नहीं  जरूरी तुम खुद को बदलो,

    पर सपनों को और अपनों को,

    शब्दों का इक  जामा तो दो,

    कह दो जब दिल में उल्लास हो,

    या फिर जब भी मन उदास हो।

    कुछ बातें ऐसी भी होंगी,

    जो दिल में चुभ रही होंगी,

    उनको अपनों या अपने से,

    कहके अब किस्सा खत्म करो ,

    फिर हलके दिल संग उड़ान भरो,

    जा कर अपने क्षितिज को छू लो!

    सच को अपने सुन लेते हैं,

    सच्चाई को सपने चुन लेते हैं,

    सहने में अगर जहाँ शक्ति हो  ,

    वहां अत्याचार की न अंधभक्ति हो,

    सही गलत की पहचान जो हो,

    ईमानदारी का सम्मान ही हो !

    अपना सच कह दो तुम,

    यूँ अब तुम चुप न रहो,

    चुप रहने को यूँ मान न दो,

    सहने को अब सम्मान न दो !

    • 6 Min.
    Soch K dabbe

    Soch K dabbe

    kyonki dabbon mein chizein band hoti hain log nahin!

    मुझे आजाद रहने दो,​
    तुम्हारी उस हर सोच से,​
    जो तुम्हे मुझसे मिलते ही उकसाती है ​
    बनाने के लिए एक खाका मेरा!​

    मेरे छोटे से शहर का होगा,​
    एक आम सा साँचा दिल में तुम्हारे,​
    तुम अब तक मेरे खुले दिमाग को,​
    अच्छे से जान कहाँ पाए हो ?​

    वो सौ साल पुराना स्कूल मेरा,​
    पिछड़ा सा लगता होगा तुमको,​
    पर मेरी हज़ारों किताबों से भरी,​
    उसकी लाइब्रेरी क्या अंदाज़ा है तुमको?​

    मेरे लफ़्ज  जब अलग से  लगे तुम्हें  ,​
    समझना अपनी जड़ों को छोड़ा नहीं मैंने अब तक ,​
    किसी अलग विषय पर बात कर लेना मुझसे,​
    पहनावे को पहचान मत समझना तब तक!​

    मोजार्ट की  समझ मुझ में न हो शायद,​
    मेरे श्लोक या आयतें ही मेरा ज्ञान हो,​
    गुलज़ार की नज्में जगजीत की आवाज़,​
    यहीं मेरे लिए पुरकश सुकून का  नाम हो! ​

    ​बहुत मुश्किल हुई है मुझको,​
    इतने बरस खुद को खुद सा ही  रखने में,​
    तोड़ दो अपने वह खाके, सांचे सारे,​
    मुझे सोच के डब्बों  से आजाद रहने दो!​

    • 5 Min.
    Sunday

    Sunday

    Ek acchi kavita, ek acche din ko dedicated!:)

    • 3 Min.
    KahiAnkahi With Astha Deo (Trailer)

    KahiAnkahi With Astha Deo (Trailer)

    • 57 s

Top‑Podcasts in Kunst

Augen zu
ZEIT ONLINE
Besser lesen mit dem FALTER
FALTER
Zwei Seiten - Der Podcast über Bücher
Christine Westermann & Mona Ameziane, Podstars by OMR
Fiete Gastro - Der auch kulinarische Podcast
Tim Mälzer / Sebastian E. Merget / RTL+
Glad We Had This Chat with Caroline Hirons
Wall to Wall Media
eat.READ.sleep. Bücher für dich
NDR