Maitreya Vaibhav Maitreya
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- Sociedad y cultura
कुछ मेरी अपनी लिखी रचनाओ का संग्रह। कुछ वो जो दिल को अच्छी लगी और उन्हें अपनी आवाज़ देने का मन किया ।
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दस्तक
ये कविता उन यादों के मुतालिक लिखी है जो अक्सर हमारे ज़ेहन में उठती हैं। कोई तरीका नही ढूंढ पाया हूँ मैं इन से पीछा छुड़ाने का।
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आदमी बुलबुला है पानी का
My first recording dedicated to Gulzaar Sahaab. Lyrics taken from his famous poetry "Aadmi Bulbula hai paani ka"
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