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☸️🌷🌷🌷🙏🙏🙏DHAMMAPADA, which is a latter collection and compilation of Buddha's specific teachings to the individuals and small groups of people at sporadic incidents during his long his long course of wandering-cum-teaching ventures. धम्मपद पालि साहित्य का एक अमूल्य ग्रन्थ रत्न है। यद्यपि तथागत भगवान गौतम सम्यकसमबुद्धाजी ने आपने जीवनकाल में सत्वों के अध्याशय, रुचि एवं क्षमता के अनुरूप अनन्त देशनायें दी हैं, लेकिन उन सब उपदेशों का केन्द्रबिन्दु चित्त या मन का विश्लेषण करणा ही है। धम्मपद नामक यह लघु ग्रन्थ एक प्रकार से तथागत के सभी उपदेशों का सार है। जो अत्यन्त सरल, सुबोध एवं सर्वजनग्राह्य ह

DHAMMAPADA Pali-Hindi।।धम्मपद पालि-हिन्द‪ी‬ BUDDHIST DHAMMA SANSKAR

    • Religión y espiritualidad

☸️🌷🌷🌷🙏🙏🙏DHAMMAPADA, which is a latter collection and compilation of Buddha's specific teachings to the individuals and small groups of people at sporadic incidents during his long his long course of wandering-cum-teaching ventures. धम्मपद पालि साहित्य का एक अमूल्य ग्रन्थ रत्न है। यद्यपि तथागत भगवान गौतम सम्यकसमबुद्धाजी ने आपने जीवनकाल में सत्वों के अध्याशय, रुचि एवं क्षमता के अनुरूप अनन्त देशनायें दी हैं, लेकिन उन सब उपदेशों का केन्द्रबिन्दु चित्त या मन का विश्लेषण करणा ही है। धम्मपद नामक यह लघु ग्रन्थ एक प्रकार से तथागत के सभी उपदेशों का सार है। जो अत्यन्त सरल, सुबोध एवं सर्वजनग्राह्य ह

    ☸️*धम्मपद*☸️ *१. यमक-वग्गो* *गाथा क्र. १:४* *४.*

    ☸️*धम्मपद*☸️ *१. यमक-वग्गो* *गाथा क्र. १:४* *४.*

    ☸️*धम्मपद*☸️
    *१. यमक-वग्गो*
    *गाथा क्र. १:४*
    *४.* *अक्कोच्छि मं अवधि मं अजिनि मं अहासि मे ।*
    *ये च तं नुपनय्हन्ति वेरं तेसूपसम्मति ।।४।।*
    *अनुवाद:* मुझे गाली दी, मुझे मारा, मुझे पराजित किया, - ऐसा जो मन में नहीं सोचता, उसी का वैर (शत्रु) शांत होता है ।। ४।।

    • 5 min
    . धम्मपद १. यमक-वग्गो गाथा क्र. १:३:३* *गाथा क्र. १:३*

    . धम्मपद १. यमक-वग्गो गाथा क्र. १:३:३* *गाथा क्र. १:३*

    ☸️ *धम्मपद* ☸️
    *१. यमक-वग्गो*
    *गाथा क्र. १:३*
    *३.* *अक्कोच्छि मं अवधि मं अजिनि मं अहासि मे ।*
    *ये च तं उपनय्हन्ति वेरं तेसं न सम्मति ।।३।।*
    *अनुवाद:* मुझे गाली दी, मुझे मारा, मुझे हरा दिया, मुझे लुट लिया- ऐसी बातें जो सोचते रहते हैं, मन में बांधे रखते हैं, उनका वैर कभी शांत नहीं होता ।। ३।।

    • 5 min
    ☸️ *धम्मपद* ☸️ *१. यमक-वग्गो* *गाथा क्र. १:२*

    ☸️ *धम्मपद* ☸️ *१. यमक-वग्गो* *गाथा क्र. १:२*

    ☸️ *धम्मपद* ☸️
    *१. यमक-वग्गो*
    *गाथा क्र. १:२*
    *२.* *मनोपुब्बड़ग्मा धम्मा मनोसेट्ठा मनोमया।*
    *मनसा चे पसन्नेन भासति वा करोति वा।*
    *ततोनं सुखमन्वेति छाया' व अनपायिनी ।।२।।*
    *अनुवाद:* सभी धर्म (चैतसिक अवस्थायें) पहले मन में उत्पन्न होते हैं, मन ही प्रधान है, वे सभी मनोमय हैं। यदि कोई व्यक्ति साफ मन से बोलता है, या कर्म करता है, सुख उस व्यक्ति की कभी न छोड़ने वाली छाया के सदृश पीछा करता है।। १।।

    • 8 min
    ☸️DHAMMAPAD introduction //☸️धम्मपद प्रस्तावना 🌷🙏🙏🙏

    ☸️DHAMMAPAD introduction //☸️धम्मपद प्रस्तावना 🌷🙏🙏🙏

    ☸️DHAMMAPAD introduction //☸️धम्मपद प्रस्तावना 🌷🙏🙏🙏

    • 5 min

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