Journalist Sartaj MOHAMMAD SARTAJ ALAM
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Journalist : Bylines The Guardian, The Telegraph.UK, Firstpost, The Quint,
Author by profession, Shayar (poet) by Choice,
Report on oppressed people whose voices are needed to heard, like victims of discrimination, starvation, lynching etc.
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मज़दूर के हालात पर मेरी नज़्म "क्या फर्क़ पड़ता है"
मेरी नज़्म "क्या फर्क़ पड़ता है…" समर्पित है हर उन मज़दूरों को, जो गुमनाम हो गए उन आशियानों को तामीर करते करते जहां आज रसूखदारों के ठहाके गुंजते हैं. यह नज़्म समर्पित है उन कोल माइंस के कामगारों को जिनके बदन से स्वतंत्रता पूर्व से आज़ादी पश्चात तक लहू की एक एक बूंद सोख ली गई, बचा तो सिर्फ कोयला हो चुका जिस्म. यह नज़्म हर उन मज़दूरों को समर्पित है जिनकी सिसकियां नोटबंदी से लेकर तालाबंदी के आखरी लम्हे तक खुद के देश में पराया बना दिए जाने की तारीख लिखेंगी। जय हिंद जय भारत