अ॒भि त्वा॑ देव सवित॒रीशा॑नं॒ वार्या॑णाम्। सदा॑वन्भा॒गमी॑महे॥ - ऋग्वेद 1.24.3
पदार्थ -
हे (सवितः) पृथिवी आदि पदार्थों की उत्पत्ति वा (अवन्) रक्षा करने और (देव) सब आनन्द के देनेवाले जगदीश्वर ! हम लोग (वार्य्याणाम्) स्वीकार करने योग्य पृथिवी आदि पदार्थों की (ईशानम्) यथायोग्य व्यवस्था करने (भागम्) सब के सेवा करने योग्य (त्वा) आपको (सदा) सब काल में (अभि) (ईमहे) प्रत्यक्ष याचते हैं अर्थात् आप ही से सब पदार्थों को प्राप्त होते हैं॥
-------------------------------------------
(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)
(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)
--------------------------------------------------------------
हमसे संपर्क करें: agnidhwaj@gmail.com
--------------------------------------------
Information
- Show
- FrequencyUpdated daily
- Published11 July 2022 at 23:30 UTC
- Length6 min
- RatingClean