सवेरे सवेरे आंखें मलता सूरज ,अंधेरे की चादर हटाती भोर की पहली किरण ,चिड़ियों की चहचहाहट ,कोयल की कूक, कल कल बहता झरना और खिलती कलियां यादों के एहसास को और भी तरोताजा कर देते हैं एक ऐसा ही एहसास इस छोटी सी कविता में
المعلومات
- البرنامج
- تاريخ النشر٧ ذو القعدة ١٤٤٢ هـ في ١٠:٣٣ ص UTC
- مدة الحلقة٢ من الدقائق
- التقييمملائم