Bait Ul Ghazal - Urdu & Hindi Poetry

Bait Ul Ghazal
Bait Ul Ghazal - Urdu & Hindi Poetry

This podcast is dedicated to some of the great Urdu & Hindi poets from across the globe. We are just trying to keep their work alive through our efforts of spreading their beautiful creations of all times. You can follow us on our other social media handles. YouTube: https://www.youtube.com/channel/UCD3ZxrRzFakjbKD9e20WQzw Instagram: https://www.instagram.com/bait_ul_ghazal_/ Facebook: https://www.facebook.com/baitulghazal

  1. S03E09 Baba Bulleh Shah - Charhde Suraj Dhalde Dekhe

    1 SEPT

    S03E09 Baba Bulleh Shah - Charhde Suraj Dhalde Dekhe

    S03E09 Baba Bulleh Shah - Charhde Suraj Dhalde Dekhe चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे देखे जिना दा न जग ते कोई, ओ वी पुतर पलदे देखे। उसदी रहमत दे नाल बंदे पाणी उत्ते चलदे देखे! लोकी कैंदे दाल नइ गलदी, मैं ते पथर गलदे देखे। जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी, हथ खाली ओ मलदे देखे … कई पैरां तो नंगे फिरदे, सिर ते लभदे छावां, मैनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुकर मनावां! ~ Baba Bulleh Shah ___________________________________________ ik nukte vich gal mukdi eh. ik nukte vich gal mukdi eh. Phadd nukta, chodd hisaabaan nu, kar door kufar diyaan baabaan nu. Laah dozakh gor azaabaan nu, kar saaf dile diyaan khavaabaan nu. Gal aise ghar vich dhukkdi eh, Ek nukte vich gal mukdi ae ਫੜ ਨੁੱਕਤਾ ਛੋੜ ਹਿਸਾਬਾਂ ਨੂੰ, ਕਰ ਦੂਰ ਕੁਫ਼ਰ ਦਿਆਂ ਬਾਬਾਂ ਨੂੰ, ਲਾਹ ਦੋਜ਼ਖ ਗੋਰ ਅਜ਼ਾਬਾਂ ਨੂੰ, ਕਰ ਸਾਫ ਦਿਲੇ ਦਿਆਂ ਖ਼ਾਬਾਂ ਨੂੰ, ਗੱਲ ਏਸੇ ਘਰ ਵਿਚ ਢੁੱਕਦੀ ਏ, ਇਕ ਨੁੱਕਤੇ ਵਿਚ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਏ । Aiven mattha zameen ghasaida, lamma pa mahiraab dikhaida. Padh kalma lok hasaida, dil andar samajh na liaaida. Kadi baat sacchi vi lukdi eh, ik nukte vich gal mukdi eh ਐਵੇਂ ਮੱਥਾ ਜ਼ਮੀਂ ਘਸਾਈਦਾ, ਲੰਮਾ ਪਾ ਮਹਿਰਾਬ ਦਿਖਾਈ ਦਾ, ਪੜ੍ਹ ਕਲਮਾ ਲੋਕ ਹਸਾਈ ਦਾ, ਦਿਲ ਅੰਦਰ ਸਮਝ ਨਾ ਲਿਆਈ ਦਾ, ਕਦੀ ਬਾਤ ਸੱਚੀ ਵੀ ਲੁੱਕਦੀ ਏ ? ਇਕ ਨੁੱਕਤੇ ਵਿਚ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਏ । Kaee haaji ban ban aaye ji, gal neele jaame paaye ji, Haj baich takey le khaaye ji, bhala eh gal kinnu bhaaye ji. Kadey baat sacchi vi lukdi eh, ik nukte vich gal mukdi eh. ਕਈ ਹਾਜੀ ਬਣ ਬਣ ਆਏ ਜੀ, ਗਲ ਨੀਲੇ ਜਾਮੇ ਪਾਏ ਜੀ, ਹੱਜ ਵੇਚ ਟਕੇ ਲੈ ਖਾਏ ਜੀ, ਭਲਾ ਇਹ ਗੱਲ ਕੀਹਨੂੰ ਭਾਏ ਜੀ, ਕਦੀ ਬਾਤ ਸੱਚੀ ਭੀ ਲੁੱਕਦੀ ਏ ? ਇਕ ਨੁੱਕਤੇ ਵਿਚ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਏ । Ik jangal bahreen jaande ni, ik daana roz le khaande ni. Besamajh vajood thakkaande ni, ghar aavan ho ke maande ni. Aiven chilleyaan vich jind sukhdi eh, ik nukte vich gal mukdi eh. ਇਕ ਜੰਗਲ ਬਹਿਰੀਂ ਜਾਂਦੇ ਨੀ, ਇਕ ਦਾਣਾ ਰੋਜ਼ ਲੈ ਖਾਂਦੇ ਨੀ, ਬੇ ਸਮਝ ਵਜੂਦ ਥਕਾਂਦੇ ਨੀ, ਘਰ ਹੋਵਣ ਹੋ ਕੇ ਮਾਂਦੇ ਨੀ, ਐਵੇਂ ਚਿੱਲਿਆਂ ਵਿਚ ਜਿੰਦ ਮੁੱਕਦੀ ਏ, ਇਕ ਨੁੱਕਤੇ ਵਿਚ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਏ । Phadd murshad aabad khudai ho, vich masti beparvaahi ho, Be khwaahash be navaai ho, vich dil de khoob safai ho. Bulla baat sacchi kadon rukdi eh, ik nukte vich gal mukdi eh. ਫੜ ਮੁਰਸ਼ਦ ਆਬਦ ਖੁਦਾਈ ਹੋ, ਵਿੱਚ ਮਸਤੀ ਬੇਪਰਵਾਹੀ ਹੋ, ਬੇਖਾਹਸ਼ ਬੇਨਵਾਈ ਹੋ, ਵਿੱਚ ਦਿਲ ਦੇ ਖੂਬ ਸਫਾਈ ਹੋ, ਬੁੱਲ੍ਹਾ ਬਾਤ ਸੱਚੀ ਕਦੋਂ ਰੁਕਦੀ ਏ, ਇਕ ਨੁੱਕਤੇ ਵਿਚ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਏ । ~

    5 min
  2. S03E07 Saleem Kausar - Main Khayal Hoon Kisi Aur Ka, Mujhe Sochta Koi Aur Hai

    16 MAR

    S03E07 Saleem Kausar - Main Khayal Hoon Kisi Aur Ka, Mujhe Sochta Koi Aur Hai

    S03E07 Saleem Kausar - Main Khayal Hoon Kisi Aur Ka, Mujhe Sochta Koi Aur Hai मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है सर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूँ तो किसी के हर्फ़-ए-दुआ में हूँ मैं नसीब हूँ किसी और का मुझे माँगता कोई और है अजब ए'तिबार ओ बे-ए'तिबारी के दरमियान है ज़िंदगी मैं क़रीब हूँ किसी और के मुझे जानता कोई और है मिरी रौशनी तिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल से मुख़्तलिफ़ तो नहीं मगर तू क़रीब आ तुझे देख लूँ तू वही है या कोई और है तुझे दुश्मनों की ख़बर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं तिरी दास्ताँ कोई और थी मिरा वाक़िआ कोई और है वही मुंसिफ़ों की रिवायतें वही फ़ैसलों की इबारतें मिरा जुर्म तो कोई और था प मिरी सज़ा कोई और है कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं देखना उन्हें ग़ौर से जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई कि ये रास्ता कोई और है जो मिरी रियाज़त-ए-नीम-शब को 'सलीम' सुब्ह न मिल सकी तो फिर इस के मअ'नी तो ये हुए कि यहाँ ख़ुदा कोई और है _____________________________________ मुनव्वर राना इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं आप कश्ती हैं तो हम को पार होना चाहिए ऐरे-ग़ैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों आप को औरत नहीं अख़बार होना चाहिए ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए This podcast is dedicated to some of the great Urdu & Hindi poets from across the globe. I am just trying to keep their work alive through my efforts of spreading their beautiful creations of all times. You can reach me on our other social media handles. YouTube: https://www.youtube.com/@baitulghazalpodcast Instagram: https://www.instagram.com/bait_ul_ghazal_/ Faceboook: https://www.facebook.com/baitulghazal To find me on all podcast platforms, follow the links here: Apple Podcast: https://podcasts.apple.com/in/podcast/bait-ul-ghazal-urdu-hindi-poetry/id1620009794 Amazon Music: https://music.amazon.in/podcasts/02dd79fd-dd43-4f3a-87a5-3a5e1eb57d88/bait-ul-ghazal?ref=dm_sh_AO0QUvYWu4qP1l1AWNCDxvims Spotify: https://open.spotify.com/show/5Yi10EUvZIoJqkxBVXVlc6 Google Pod

    5 min
  3. S03E05 Jigar Moradabadi - Ik Lafz-e-Mohabbat Ka Adna Yeh Fasana Hai (Ik Aag Ka Dariya Hai, Aur Duub Ke Jaana Hai)

    14 JAN

    S03E05 Jigar Moradabadi - Ik Lafz-e-Mohabbat Ka Adna Yeh Fasana Hai (Ik Aag Ka Dariya Hai, Aur Duub Ke Jaana Hai)

    S03E05 Jigar Moradabadi - Ik Lafz-e-Mohabbat Ka Adna Yeh Fasana Hai जिगर मुरादाबादी इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का, अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है ये किस का तसव्वुर है, ये किस का फ़साना है जो अश्क है आँखों में, तस्बीह का दाना है दिल संग-ए-मलामत का, हर-चंद निशाना है दिल फिर भी मिरा दिल है, दिल ही तो ज़माना है हम इश्क़ के मारों का, इतना ही फ़साना है रोने को नहीं कोई, हँसने को ज़माना है वो और वफ़ा-दुश्मन, मानेंगे न माना है सब दिल की शरारत है, आँखों का बहाना है शाइ'र हूँ मैं, शाइ'र हूँ, मेरा ही ज़माना है फ़ितरत मिरा आईना, क़ुदरत मिरा शाना है जो उन पे गुज़रती है, किस ने उसे जाना है अपनी ही मुसीबत है, अपना ही फ़साना है क्या हुस्न ने समझा है, क्या इश्क़ ने जाना है हम ख़ाक-नशीनों की, ठोकर में ज़माना है आग़ाज़-ए-मोहब्बत है, आना है न जाना है अश्कों की हुकूमत है, आहों का ज़माना है आँखों में नमी सी है, चुप चुप से वो बैठे हैं नाज़ुक सी निगाहों में, नाज़ुक सा फ़साना है हम, दर्द-ब-दिल, नालाँ वो, दस्त-ब-दिल हैराँ ऐ इश्क़ तो क्या ज़ालिम, तेरा ही ज़माना है या वो थे ख़फ़ा हम से, या हम हैं ख़फ़ा उन से कल उन का ज़माना था, आज अपना ज़माना है ऐ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा, हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा आज एक सितमगर को, हँस हँस के रुलाना है थोड़ी सी इजाज़त भी, ऐ बज़्म-गह-ए-हस्ती आ निकले हैं दम-भर को, रोना है रुलाना है ये इश्क़ नहीं आसाँ, इतना ही समझ लीजे इक आग का दरिया है, और डूब के जाना है ख़ुद हुस्न-ओ-शबाब उन का, क्या कम है रक़ीब अपना जब देखिए अब वो हैं, आईना है शाना है तस्वीर के दो रुख़ हैं, जाँ और ग़म-ए-जानाँ इक नक़्श छुपाना है, इक नक़्श दिखाना है ये हुस्न-ओ-जमाल उन का, ये इश्क़-ओ-शबाब अपना जीने की तमन्ना है, मरने का ज़माना है मुझ को इसी धुन में है, हर लहज़ा बसर करना अब आए वो अब आए, लाज़िम उन

    8 min
  4. S03E04 Kaif Bhopali - Dagh Duniya Ne Diye, Zakhm Zamane Se Mile

    7 JAN

    S03E04 Kaif Bhopali - Dagh Duniya Ne Diye, Zakhm Zamane Se Mile

    S03E04 Kaif Bhopali - Dagh Duniya Ne Diye, Zakhm Zamane Se Mile Nida Fazli रात के बा'द, नए दिन की सहर आएगी दिन नहीं बदलेगा, तारीख़ बदल जाएगी हँसते हँसते, कभी थक जाओ, तो छुप के रो लो ये हँसी भीग के, कुछ और चमक जाएगी जगमगाती हुई सड़कों पे, अकेले न फिरो शाम आएगी, किसी मोड़ पे डस जाएगी और कुछ देर यूँही, जंग, सियासत, मज़हब और थक जाओ, अभी नींद कहाँ आएगी मेरी ग़ुर्बत को, शराफ़त का अभी नाम न दे वक़्त बदला, तो तिरी राय बदल जाएगी वक़्त नदियों को उछाले, कि उड़ाए पर्बत उम्र का काम गुज़रना है, गुज़र जाएगी ______________________________________ Aaj ke liye agli ghazal कैफ़ भोपाली दाग़ दुनिया ने दिए, ज़ख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफ़े ये, तुम्हें दोस्त बनाने से मिले हम तरसते ही, तरसते ही, तरसते ही रहे वो फ़लाने से, फ़लाने से, फ़लाने से मिले ख़ुद से मिल जाते तो, चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप, जो लोगों के मिलाने से मिले माँ की आग़ोश में कल, मौत की आग़ोश में आज हम को दुनिया में, ये दो वक़्त सुहाने से मिले कभी लिखवाने गए ख़त, कभी पढ़वाने गए हम हसीनों से, इसी हीले, बहाने से मिले इक नया ज़ख़्म मिला, एक नई उम्र मिली जब किसी शहर में, कुछ यार पुराने से मिले एक हम ही नहीं फिरते हैं, लिए क़िस्सा-ए-ग़म उन के ख़ामोश लबों पर भी, फ़साने से मिले कैसे मानें, कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़' उन के ख़त आज हमें, तेरे सिरहाने से मिले ______________________________________ This podcast is dedicated to some of the great Urdu & Hindi poets from across the globe. I am just trying to keep their work alive through my efforts of spreading their beautiful creations of all times. You can reach me on our other social media handles. YouTube: https://www.youtube.com/@baitulghazalpodcast Instagram: https://www.instagram.com/bait_ul_ghazal_/ Faceboook: https://www.facebook.com/baitulghazal To find me on all podcast platforms, follow the links here: Apple Podcast: https://podcasts.apple.com/in/podcast/bait-ul-ghazal-urdu-hindi-poetry/id1620009794 Amazon Music: https://music.amazon.in/podcasts/02dd79fd-dd43-4f3a-87a5-3a5e1eb57d88/bait-ul-ghazal?ref=dm_sh_AO0QUvYWu4qP1l1AWNCDxvims Spotify: https://open.spotify.com/show/5Yi10EUvZIoJqkxBVXVlc6 Google Podcast: https://podcasts.google.com/feed/aHR0cHM6Ly9hbmNob3IuZm0vcy85MTI1MzQ4OC9wb2RjYXN0L3Jzcw JioSaavn: https://www.saavn.com/s/show/bait-ul-ghazal/1/5,pS2oZETPM_ TuneIn Radio: http://tun.in/pljsv Urdu Shayari l Hindi Shayari l Poet

    6 min
  5. S03E03 Parveen Shakir - Kamal-e-Zabt Ko Khud Bhi Toh Aazmaungi

    17/12/2023

    S03E03 Parveen Shakir - Kamal-e-Zabt Ko Khud Bhi Toh Aazmaungi

    परवीन शाकिर कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी मैं अपने हाथ से, उस की दुल्हन सजाऊँगी सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में मैं अपने घर के, अँधेरों को लौट आऊँगी बदन के कर्ब को वो भी समझ न पाएगा मैं दिल में रोऊँगी, आँखों में मुस्कुराऊँगी वो क्या गया कि रिफ़ाक़त के सारे लुत्फ़ गए मैं किस से रूठ सकूँगी, किसे मनाऊँगी अब उस का फ़न तो किसी और से हुआ मंसूब मैं किस की नज़्म, अकेले में गुनगुनाऊँगी वो एक रिश्ता-ए-बेनाम भी नहीं लेकिन मैं अब भी, उस के इशारों पे सर झुकाऊँगी बिछा दिया था गुलाबों के साथ अपना वजूद वो सो के उट्ठे, तो ख़्वाबों की राख उठाऊँगी समाअ'तों में घने जंगलों की साँसें हैं मैं अब कभी, तिरी आवाज़, सुन न पाऊँगी जवाज़ ढूँड रहा था नई मोहब्बत का वो कह रहा था, कि मैं, उस को भूल जाऊँगी In this episode, I have recited poems by: https://www.instagram.com/farhat00076 https://www.instagram.com/yasirmustafvi9559 https://www.instagram.com/gulammanawwar https://www.instagram.com/kamranadil918 ______________________________________ This podcast is dedicated to some of the great Urdu & Hindi poets from across the globe. I am just trying to keep their work alive through my efforts of spreading their beautiful creations of all times. You can reach me on our other social media handles. YouTube: https://www.youtube.com/@baitulghazalpodcast Instagram: https://www.instagram.com/bait_ul_ghazal_/ Faceboook: https://www.facebook.com/baitulghazal To find me on all podcast platforms, follow the links here: Apple Podcast: https://podcasts.apple.com/in/podcast/bait-ul-ghazal-urdu-hindi-poetry/id1620009794 Amazon Music: https://music.amazon.in/podcasts/02dd79fd-dd43-4f3a-87a5-3a5e1eb57d88/bait-ul-ghazal?ref=dm_sh_AO0QUvYWu4qP1l1AWNCDxvims Spotify: https://open.spotify.com/show/5Yi10EUvZIoJqkxBVXVlc6 Google Podcast: https://podcasts.google.com/feed/aHR0cHM6Ly9hbmNob3IuZm0vcy85MTI1MzQ4OC9wb2RjYXN0L3Jzcw JioSaavn: https://www.saavn.com/s/show/bait-ul-ghazal/1/5,pS2oZETPM_ TuneIn Radio: http://tun.in/pljsv Urdu Shayari l Hindi Shayari l Poets l Poetry

    13 min

About

This podcast is dedicated to some of the great Urdu & Hindi poets from across the globe. We are just trying to keep their work alive through our efforts of spreading their beautiful creations of all times. You can follow us on our other social media handles. YouTube: https://www.youtube.com/channel/UCD3ZxrRzFakjbKD9e20WQzw Instagram: https://www.instagram.com/bait_ul_ghazal_/ Facebook: https://www.facebook.com/baitulghazal

You Might Also Like

To listen to explicit episodes, sign in.

Stay up to date with this show

Sign in or sign up to follow shows, save episodes and get the latest updates.

Select a country or region

Africa, Middle East, and India

Asia Pacific

Europe

Latin America and the Caribbean

The United States and Canada