रामायण

रामायण - EP 10 - श्री राम सीता विवाह

अयोध्या के राजमहल में शुभ समाचार पहुँचता है कि राम के साथ साथ भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का विवाह भी निश्चित हो गया है। तीनों रानियों की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं है। यहाँ से मंथरा की कुटिल बुद्धि काम करना शुरू कर देती है। वो कैकेयी को भरत के स्वागत के लिये अलग से विशेष प्रबन्ध करने का परामर्श देती है। वो कैकेयी से अपने पिता व कैकेय देश के राजा अश्वपति को सन्देश भेजने को कहती है। उधर जनकपुरी में मंगल गीतों के बीच राम समेत चारों राजकुमार लग्न मण्डप में पहुँचते हैं। भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा, देवी पार्वती व सरस्वती भी मनुष्य रूप धारण इस महान अवसर के साक्षी बनते हैं। राजा जनक राम के चरण पखार कर कन्यादान करते हैं। राम का सीता, भरत का माण्डवी, लक्ष्मण का उर्मिला और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति के साथ पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न होता है। चारों नव जोड़े पिता दशरथ और गुरू वशिष्ठ से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। रानी सुनयना बेटी की विदाई की इस घड़ी पर अपनी वेदना व्यक्त करती हैं। राजा जनक में भी यही भाव है। वे राजा दशरथ के पास याची की भाँति पहुचते हैं और उनसे बेटी की विदाई को कुछ दिन टालने और बारात को मिथिला में रूकने का निवेदन करते हैं। दशरथ उनके मनचाहे दिवसों तक मिथिला में रहने का वचन देते हैं।

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