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भगवान, ईश्वर, खुदा..... नाम चाहे कोई भी हो सब का अर्थ पूर्ण आत्मा से है। पूर्णआत्मा अर्थात परमात्मा... जैसे भगवान कृष्ण जिस समय, जिस भाव, जिस चरित्र में भी खड़े हुए वह क्षण स्वयं में ही पूर्ण हो गया। एक संपूर्ण चरित्र, और जब कोई परम आत्मा कोई शरीर, कोई भी शरीर धारण करके धरती पर अवतरित होती है तो एक दिव्या रोशनी सरीखे ज्ञान का पथ सदा-सदा के लिए पीछे छोड़ जाती है , हमें तो सिर्फ उस पर चलना है और रास्ते में शांति और प्रेम खुद-ब-खुद साथ हो जाएंगे।
ऐसा ही दिव्य पथ है- श्रीमद्भगवद्गीता
चलिए मिलकर इस परम ग्रंथ को जानने की और इस पथ पर चलने की कोशिश करते हैं।

रुचि"हर्ष"
#ruchikikalam

RuchiHarsh RuchiHarsh

    • Общество и культура

भगवान, ईश्वर, खुदा..... नाम चाहे कोई भी हो सब का अर्थ पूर्ण आत्मा से है। पूर्णआत्मा अर्थात परमात्मा... जैसे भगवान कृष्ण जिस समय, जिस भाव, जिस चरित्र में भी खड़े हुए वह क्षण स्वयं में ही पूर्ण हो गया। एक संपूर्ण चरित्र, और जब कोई परम आत्मा कोई शरीर, कोई भी शरीर धारण करके धरती पर अवतरित होती है तो एक दिव्या रोशनी सरीखे ज्ञान का पथ सदा-सदा के लिए पीछे छोड़ जाती है , हमें तो सिर्फ उस पर चलना है और रास्ते में शांति और प्रेम खुद-ब-खुद साथ हो जाएंगे।
ऐसा ही दिव्य पथ है- श्रीमद्भगवद्गीता
चलिए मिलकर इस परम ग्रंथ को जानने की और इस पथ पर चलने की कोशिश करते हैं।

रुचि"हर्ष"
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    धुंधले रास्तों पर सूर्य जरूर मिलेगा।

    धुंधले रास्तों पर सूर्य जरूर मिलेगा।

    होता है ना कभी-कभी मन बहुत परेशान होता है ऐसा लगता है कुछ भी समझ नहीं आ रहा है ,हम अपने निर्णय नहीं ले पाते हैं और धुंधले ले रास्तों में खो जाते हैं पर मन में यह विश्वास रखना की आगे जाकर सूर्य की रोशनी मिलेगी और वाकई में आगे जाकर सूर्य की रोशनी होती है। हमारा जो मन है वो हमें डराता है कि आगे और अंधेरा है पर ऐसा नहीं होता आगे उजाला है विश्वास है खुशी है तो इसलिए मुश्किल रास्तों पर भी कदम बढ़ाते रहना सबसे ज्यादा जरूरी है।

    • 2 мин.
    तेल खत्म होने से पहले ही बाती बुझ गई .... पर क्यों?

    तेल खत्म होने से पहले ही बाती बुझ गई .... पर क्यों?

    तेल खत्म होने से पहले ही बाती बुझ गई न दिये की ना तेल की ना हवा की ना किसी और की ये करनी थी बाती ने जलने की जीने की इच्छा ही छोड़ दी तो कितना जरूरी है मन के अंदर इच्छा शक्ति का होना जीने के लिए नया कुछ सीखने के लिए नए एहसासों से जुड़ने के लिए और जिंदगी में नई लड़ाइयां लड़ने के लिए भी....

    • 2 мин.
    खुद का ही हाथ थाम कर

    खुद का ही हाथ थाम कर

    गलत हालातो में, वक्त की बेरुखी में खुद का ही हाथ थाम कर कुछ देर सब्र रख जिंदगी की बेरुखी का रुख भी बदल जाएगा।

    • 3 мин.
    जिंदगी भाग रही है और हम कहीं पीछे रह गए हैं

    जिंदगी भाग रही है और हम कहीं पीछे रह गए हैं

    फिर यूं ही लगता है कि खुद का हाथ थाम कर खुद ही बैठ जाएं और खुद ही से कहें कि इतनी भी हड़बड़ी नहीं है जिंदगी को महसूस कर ..जिंदगी को महसूस कर और मुस्कुराते हुए जीता चल

    • 2 мин.
    चलो खुले मन से जीते हैं

    चलो खुले मन से जीते हैं

    बदलना जीवन का स्वभाव है तो क्यों ना बदलाव को महसूस करके जीए और जिंदगी के पौधे को विश्वास और प्यार से सींचें।

    • 2 мин.
    Sometimes...

    Sometimes...

    होता कहां है आसान टूट कर समझ जाना मुश्किल सा लगता है शायद ही जिंदगी को गले लगाना पर फिर भी सोचती हूं हिम्मत जुटा उन हौसलों को आवाज दूं और फिर संवर जाऊं।

    • 3 мин.

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