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देश के विकास के लिए तटस्थ होकर वैचारिक क्रांति में सहभागी बने
मताधिकार
बिहार के शिक्षकों, युवाओं एवं सरकारीकर्मियों के नाम एक अपील
कविता-पाठ
जय शंकर प्रसाद की कविता-- 'बीती विभावरी जाग री! '
काव्य पाठ
चुप रही दिल्ली
चाणक्य शिखा बांध लो!
समय की पुकार सुनिए सरकार!
समय की पुकार
मेरी कविता: कुर्सी -कुर्सी
अनोखी जंग के गवाह