सर्द रात में उसकी बेटी बुखार से बुरी तरह से तप रही थी लेकिन उसकी जेब में इतना पैसा भी नहीं था कि एक चादर ख़रीद सकता. बेटी अपनी कंपकपी छुपा रही थी ताकि बूढ़ा बाप अपनी बेबसी पर कम शर्मिंदा हो लेकिन उसके कांपते हुए होंठ उसका साथ नहीं दे रहे थे. बाप उठा और कब्रिस्तान की तरफ चल दिया - सुनिए कहानी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
Informations
- Émission
- Chaîne
- FréquenceChaque semaine
- Publiée15 décembre 2024 à 05:56 UTC
- Durée12 min
- ClassificationTous publics