तुम्हारे हिस्से की मोहब्बत - सर्वजीत Tumhare Hisse Ki Mohabbat - Hindi Poem by Sarvajeet D Chandra

UNPEN - Poetry, Songs & Stories by Sarvajeet D Chandra in Hindustani & English

तुम्हारे हिस्से की मोहब्बत - सर्वजीत

तुम भूल जाओ बेशक ,याद करो न कभी

उजड़े घर में तुम्हारी खुशबू अब भी आती है

तुम्हारा दीदार, सूखे सावन जैसा इंतज़ार

तुम्हारे हिस्से की तन्हाई अभी बाकी है

तुम छोड़ दो मुझे बेबस ,मँझधार में कहीं

तुम्हारी बेवफ़ाई में विवशता नज़र आती है

सूनी रात, सूने तारों से लिपटा आसमान

तुम्हारे हिस्से की रुसवाई अभी बाकी है

ख़ुदा ने उड़ा दिया साथ बैठे दो परिंदों को

झूलती हुई डाल में तुम्हारी याद ताजी है

ना मिलीं तुम, छान लिया मोहल्ला, आसमाँ

तुम्हारे हिस्से की जुदाई अभी बाकी है

यह सच है कि हमारे इश्क में वो शिद्दत नहीं

मैं हूँ आवारा मदहोश, तू एक हसीं साक़ी है

बेशकीमती नहीं, चलो दो कौड़ी की सही

तुम्हारे हिस्से की मोहब्बत अभी बाकी है

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