नमस्ते, प्रणाम 🙏 । सभी लोगों को jay श्री राम! कलियुग के प्रथम चरण में सभी का स्वागत है। सभी सुंदर आत्माओं का कल्याण हो। शान्ति और प्रेम हर दिशा में फैले। क्योंकि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। मन में शांति और सुकून चाहिए तो नदी का किनारा ठंडी हवा और उगता सूरज घंटियों की आवाज मन्त्रों का उच्चारण। शब्दों का मौन वातावरण का शून्य होना यही शांति है। जहाँ केवल आप और बृहद चेतना हो जिससे आप मन की बात कह sake। ये स्थान है अभी भी धरा पर वो काशी है। आज की कहानी कलियुग में धर्म की रक्षा के प्रतीक हनुमान जी की। जिनका रूप केसरिया नहीं काला है। ये ऐसा क्यूँ है? इस मंदिर को केवल शरद पूर्णिमा पर आम जन के लिए क्यूँ खोला जाता है। जानने के लिए सुनिए अपने होस्ट और दोस्त बनारसी सिंह का ये पॉडकास्ट- कल थी काशी आज है बनारस। जिंदा शहर बनारसी। इंसान जिसे छू ले बन जाए पारस। वही है अपना शहर काशी वाराणसी उर्फ बनारस। बचपन में जब दादी नानी कहानी सुनाते तब की कोई बात याद हो न हो लेकिन कहानी क्या थी ये याद रहता है। बस उसी तरह अपने शहर की 1000 कहानी कहने का छोटा सा प्रयास है ये पॉडकास्ट जो हम सभी को जोड़ने और हम एक हैं यही बताने के लिए बनाया जा रहा। हम दिखते अलग हैं पर अंदर से सब समान हैं। सभी पास उतना ही समय वही लक्ष्य और उतना ही सामर्थ है। उसको जानने के लिए इन् कहानियो का सहारा काफी है। दोस्ती भगवान से करो लेकिन पहले अपने हितैषी तो बनो। इसमें कुछ अन्य प्रसिद्ध कुंडों की जानकारी भी है। शॉर्ट स्टोरी के साथ। उसे भी जाने। आगे अब कुछ महान लोगों की कहानी। जिनमे काशी बसा है। जो काशी में बसे हैं।
المعلومات
- البرنامج
- تاريخ النشر١٠ أكتوبر ٢٠٢٢ في ٦:٠٣ ص UTC
- مدة الحلقة٣٥ من الدقائق
- الموسم٣
- الحلقة٦٦
- التقييمملائم