कम से कम एक दरवाज़ा | सुधा अरोड़ा
चाहे नक़्क़ाशीदार एंटीक दरवाज़ा हो
या लकड़ी के चिरे हुए फट्टों से बना
उस पर खूबसूरत हैंडल जड़ा हो
या लोहे का कुंडा
वह दरवाज़ा ऐसे घर का हो
जहाँ माँ बाप की रज़ामंदी के बग़ैर
अपने प्रेमी के साथ भागी हुई बेटी से
माता पिता कह सकें -
'जानते हैं, तुमने ग़लत फ़ैसला लिया
फिर भी हमारी यही दुआ है
ख़ुश रहो उसके साथ
जिसे तुमने वरा है
यह मत भूलना
कभी यह फ़ैसला भारी पड़े
और पाँव लौटने को मुड़ें
तो यह दरवाज़ा खुला है तुम्हारे लिए'
बेटियों को जब सारी दिशाएँ
बंद नज़र आएँ
कम से कम एक दरवाज़ा हमेशा खुला रहे उनके लिए!
Información
- Programa
- FrecuenciaCada día
- Publicado29 de enero de 2025, 00:30 UTC
- Duración2 min
- Episodio670
- ClasificaciónApto