Kalam Bandagi

jatin sachdeva
Kalam Bandagi

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الحلقات

  1. ٠٦‏/٠١‏/١٤٤٢ هـ

    Rang

    फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है.... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है.... इंसान ने बांटे तो कहीं धर्मो के रंग है.... ना बटां‍ उन फरिश्तों का फ़र्ज़...फिके पड़े उन कर्ज़ों के आगे कई रंग है.... फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है.... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है.... "मज़हबी" सरहदे बनाई हमने करी इंसानियत हर तर्ज पर भंग है.... ना किया फर्क उन्होंने तब भी लड़ी सरहदों पर "फ़र्ज़ की जंग" है .... फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है.... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है.... मातृभूमि का कर्ज समझे वो "किए भंग कई अंग"है.... दिया नया जीवन तुमको....पाया "दर्जा रब संग है".... फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है... कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....

    ٢ من الدقائق
  2. ٢٦‏/١٢‏/١٤٤١ هـ

    Teri Mitti

    🇮🇳मुबारक हो आज़ादी🇮🇳 हिन्द से सिंध तक तिरंगे की शान है आज़ादी राम की दीवाली है और अल्लाह की रमज़ान है आज़ादी.. गुरुपर्व का प्रकाश है और क्रिसमस के संग आयी सौगात है आज़ादी... मुबारक हो आज़ादी ... 6 मौलिक अधिकारों में बटी और अंधे कानून में फंसी शान है आज़ादी. किताबो में "सेक्युलरिज्म (secularism) का ज्ञान और संघो के धार्मिक खेलो की असली पहचान है आज़ादी... मुबारक हो! आपसे आपकी पहचान छिनने वाली आज़ादी... सन 84 और गोधरा में ज़िंदा जलाए जाने वालों की पुकार है आज़ादी... बाबरी का नरसंहार और 90 में सुनी कश्मीरी पंडितों की गुहार है आज़ादी मुबारक हो! आपको , ऐसे नरसंहार की ये आज़ादी! चन ज़मीनों में उलझे ,कितने ज़मीरों का अहंकार है आज़ादी इंसानियत से ज्यादा धर्म की " Insaneiyat" में फंसे विचारो का घर संसार है आज़ादी मुबारक हो! आपको ऐसी छोटी सोच की ये आज़ादी... आज़ादी...? वतन की मिट्टी के लिए खुद मिट्टी में मिल जाने का नाम होती है आज़ादी... हर धर्म,रंग और भाषा को बराबर मिलने वाले सामान की पहचान होती है आज़ादी... भगत,शिवाजी,बोस,लक्ष्मीबाई और नजाने कितने शहीदों की शहादत का कर्ज होती है आज़ादी... अपने धर्मो का मान रख कर भी ...अपने इंसानियत के कर्म का फ़र्ज़ अदा कर जाना होती है आज़ादी.... शायद इसे कहते है " असली स्वराज की आज़ादी..." मुबारक हो हम सब को "भारत की ये आज़ादी"... 🇮🇳......जय हिन्द.....🇮🇳

    ٢ من الدقائق
  3. ٠٢‏/٠٩‏/١٤٤١ هـ

    Kinare

    **Part 1 - रुक जाऊं अगर तेरे कहने पर तो समझ जाना कि बिसरा अभी भी कुछ बाकी है ... थम जाऊं अगर तेरे थामने पर तो समझ जाना कि साथ अभी भी कुछ बाकी है.... ना बेहके दिल अगर बेहकाने पर भी तो समझ जाना कि शायद मेरे लौट आने की आस अभी भी कुछ बाकी है ... ❣️ **Part 2 - माना बिसरा भी कुछ बाकी था.. बचा साथ भी जीने के लिए काफी था.. बेहकाया दिल को भी दिलासों से .."क्या" तेरे आने की आस में बैठे रहना ही काफी था.. ख़ामोशियों को कोशिश बना... ज़िन्दगी से फिर रूबरू हो रहे है हम... छोडा़ तूने मझधार में हमें... पर अब शायद खुद ही "किनारा बन पार" हो रहे है हम... लौट आओगे भी तो बहुत आगे बढ़ चले है हम... उस "अधूरे रिश्ते की कच्ची पगडंडी" को छोड़ किसी रिश्ते की "मजबूत" राहों पे फिर से दौड़ चले है हम...❣️.

    ٢ من الدقائق

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