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1: कड़क चाय, एपिसोड-1 | अपनी पुरखिनों के संघर्ष को सलाम करने का दिन है अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिव‪स‬ Kadak Chai

    • Gesellschaft und Kultur

हर दिन तो महिलाओं का है, फि‍र कोई एक खास दिन क्‍यों? क्‍या किसी फैशन ब्रांड की सेल या रेस्‍तरां पर मिलने वाली छूट का नाम है 8 मार्च? न, यह कुछ और भी है। ये उस गूंगी समझी जाने वाली गुड़िया की जीत की कहानी है, जिससे यूरोप के प्रगतिशील देशों में भी आधी तनख्‍वाह पर काम लिया जाता था। हमारी पुरखिनें न लड़ती तो हम आज भी दोयम दर्जे की नागरिक होतीं।  हेल्‍थ शॉट्स हिंदी पॉडकास्‍ट ‘कड़क चाय’ के इस पहले एपिसोड में सोशल एक्टिविस्‍ट और लेखिका प्रो. सुजाता अपनी पिछली पीढ़ी के इसी संघर्ष को कर रहीं हैं बयां।

हर दिन तो महिलाओं का है, फि‍र कोई एक खास दिन क्‍यों? क्‍या किसी फैशन ब्रांड की सेल या रेस्‍तरां पर मिलने वाली छूट का नाम है 8 मार्च? न, यह कुछ और भी है। ये उस गूंगी समझी जाने वाली गुड़िया की जीत की कहानी है, जिससे यूरोप के प्रगतिशील देशों में भी आधी तनख्‍वाह पर काम लिया जाता था। हमारी पुरखिनें न लड़ती तो हम आज भी दोयम दर्जे की नागरिक होतीं।  हेल्‍थ शॉट्स हिंदी पॉडकास्‍ट ‘कड़क चाय’ के इस पहले एपिसोड में सोशल एक्टिविस्‍ट और लेखिका प्रो. सुजाता अपनी पिछली पीढ़ी के इसी संघर्ष को कर रहीं हैं बयां।

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