에피소드 32개

*कहानीनामा( Hindi stories),
*स्वकथा(Autobiography)
*कवितानामा(Hindi poetry)
,*शायरीनामा(Urdu poetry)
★"The Great" Filmi show (based on Hindi film personalities)




मशहूर कलमकारों द्वारा लिखी गयी कहानी, कविता,शायरी का वाचन व संरक्षण
★फिल्मकारों की जीवनगाथा
★स्वास्थ्य संजीवनी

Kahani Wali Kudi !!!(कहानी वाली कुड़ी‪)‬ Sukhnandan Bindra

    • 예술

*कहानीनामा( Hindi stories),
*स्वकथा(Autobiography)
*कवितानामा(Hindi poetry)
,*शायरीनामा(Urdu poetry)
★"The Great" Filmi show (based on Hindi film personalities)




मशहूर कलमकारों द्वारा लिखी गयी कहानी, कविता,शायरी का वाचन व संरक्षण
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    रसीदी टिकट Epi --19 (Rasidi Ticket ,Amrita pritam's Biography)

    रसीदी टिकट Epi --19 (Rasidi Ticket ,Amrita pritam's Biography)

    मैं जब रोमानिया से बल्गारिया जा रही थी ,रात बहुत ठंडी थी ,पास में अपने कोट के सिवाय कुछ नहीं था ,वही घुटने जोड़ कर ऊपर तान लिया था ,फिर भी जब उसे सर करर और खींचती थी ,तो पैरों में ठिठुरन लगती थी। न जाने कब मुझे नींद आ गयी। लगा ,सारे शरीर में गर्मी आ गयी हैं। बाकी रात खूब गर्माइश में सोती रही .......



    नायक को जानती हूँ ,उस दिन से ,जिस दिन उसे साधुओं के एक डेरे में चढ़ाया गया था। बहुत बरसों की बात ,पर अब भी ध्यान आ जाती है ,तो बहुत तराशे हुए नक़्श वाला उसका सांवला चेहरा ,उसकी सारी उदासी के समेत आँखों के सामने आ जाता है


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    • 10분
    रसीदी टिकट ,भाग-18 Rasidi Ticket,Amrita pritams's Biography,EPI-18)

    रसीदी टिकट ,भाग-18 Rasidi Ticket,Amrita pritams's Biography,EPI-18)

    यह मेरी ज़िन्दगी में पहला समय था, जब मैंने जाना कि दुनिया में मेरा भी कोइ दोस्त है, हर हाल में दोस्त ,और पहली बार जाना कि कविता केवल इश्क़ के तूफ़ान से ही नहीं निकलती ,यह दोस्ती के शांत पानियों में से भी तैरती हुई आ सकती है।

    उस रात को उसने नज़्म लिखी थी --"मेरे साथी ख़ाली जाम ,तुम आबाद घरों के वासी ,हम हैं आवारा बदनाम "..... और ये नज़्म उसने मुझे रात को कोइ ग्यारह बजे फ़ोन पर सुनाई ,और बताया.....

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    • 12분
    रसीदी टिकट, भाग -17 (Rasidi Ticket ,Amrita Pritam's biography,epi-17)

    रसीदी टिकट, भाग -17 (Rasidi Ticket ,Amrita Pritam's biography,epi-17)

    .गर्मी हो या सर्दी मैं बहुत से कपडे पहन कर नहीं सो सकती। सो रही थी ,जब यह फोन आया था। उसी तरह रजाई से निकल कर फोन तक आयी थी। लगा ,शरीर का मांस पिघल कर रूह में मिल गया है ,और मैं प्योर नेकेड सोल वहां खड़ी हूँ.......








    उस रेतीले स्थान पर दो तम्बू लगे हुए थे। मेरी आँखों के सामने तम्बू के अंदर का दृश्य फ़ैल गया। मैं देखता हूँ कि इसमें एक पुरुष है जिसे मैं भली-भांति पहचनता हूँ ,जिसके भाव और विचार एक यंत्र की भांति मेरे अंदर ट्रांसमिट हो जाते हैं। उसके सामने तीन तरह के वस्त्र पहने हुए ,पर एक ही चेहरे की तीन युवतियां खड़ी हुई हैं। पुरुष परेशान हो गया ,क्योंकि उनमें से एक उसकी प्रेमिका थी। ......


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    • 10분
    रसीदी टिकट -भाग -16 (Rasidi ticket, Amrita pritam's biography, epi-16)

    रसीदी टिकट -भाग -16 (Rasidi ticket, Amrita pritam's biography, epi-16)

    समरकंद में मैंने भी ऐसी ही बात वहां के लोगों से पूछी थी कि आपका इज़्ज़त बेग़ जब हमारे देश आया और उसने एक सुन्दर कुम्हारन से प्रेम किया ,तो हमने में कई गीत लिखे। क्या आपके देश में भी उसके गीत हैं ? तो वहां एक प्यारी सी औरत ने जवाब दिया ,हमारे देश में तो एक अमीर सौदागर का बेटा था ,और कुछ नहीं। प्रेमी तो वह आपके देश जाकर बना ,सो गीत आपको ही लिखने थे ,हम कैसे लिखते ....





    यूं तो हर देश एक कविता के समान है ,जिसके कुछ अक्षर सुनहरे रंग के हो जाते हैं और उसका मान बन जाते , कुछ लाल सुर्ख हो जारी हैं...


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    • 11분
    रसीदी टिकट -भाग -15 (Rasidi ticket,Amrita pritam's biography ,epi--15)

    रसीदी टिकट -भाग -15 (Rasidi ticket,Amrita pritam's biography ,epi--15)

    इथोपिया के प्रिंस का मन छलक उठा "आप कवि लोग भाग्यशाली हैं वास्तविक संसार नहीं बसता तो कल्पना का संसार बसा लेते हैं ,मैं बीस बरस वॉयलान बजाता रहा ,साज़ के तारों से मुझे इश्क़ है ,पर युद्ध के दिनों में मेरे दाहिने हाथ में गोली लग गयी थी ,अब मैं वॉयलान नहीं बजा सकता ,संगीत जैसे मेरी छाती में जम गया है। .... इतिहास चुप है। ..... मैं भी कल से चुप हूँ। ..... संगीत के आशिक़ हाथ को गोलियां क्यों लगती हैं ,इसका उत्तर किसी के पास नहीं है

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    • 11분
    रसीदी टिकट --भाग 14 (Rasidi Ticket ,Amrita Pritam's biography epi-14

    रसीदी टिकट --भाग 14 (Rasidi Ticket ,Amrita Pritam's biography epi-14

    टॉलस्टॉय की एक सफ़ेद कमीज़ टंगी हुई है। पलंग की पट्टी पर मैं एक हाथ रखे खड़ी थी कि ....... दाहिने हाथ की खिड़की से हल्की सी हवा आयी ..... और ुउस टंगी हुई कमीज की बांह मेरी बांह से छू गयी ..... एक पल के लिए जैसे समय की सूईयाँ पीछे लौट गयीं , 1966 से 1910 पर आ गयीं और मैंने देखा शरीर पर सफ़ेद कमीज पहन  कर वहां दीवार के पास टॉलस्टॉय खड़े हैं। .... फिर लहू की  हरकत ने शांत होकर देखा .....  कमरे में कोई  नहीं था और बाएं हाथ  की दीवार पर केवल एक कमीज टंगी हुई थी -----अमृता प्रीतम ,रसीदी टिकट 


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    • 10분

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