에피소드 12개

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Kalam Bandagi jatin sachdeva

    • 예술

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    Doori

    Doori

    Aakhir Kab Humare Sapno ki potli.. Apno ki jimedaari ki bhaari potli taale dab jaati hai aur un sapno ko dam Kab ghut jaata hai pata nahi chalta….

    Aakhir kab hum usi jimedaari ko nibhane ke liye…apno se hi door par apne andar chota sa ghar liye chal dete hai par jaate jaate “ ghar waapsi ki umeed” ka daaman Kab peeche choot jaata hai pata hi nahi chalta….

    Wo Holi Rakhi aur Diwali Abhi sab ghar pe manate hai…..

    aksar chutti na mil Paane ke Bhane se Har baar Maa se aankhien Churatein hai

    Ab Kalai pe Rakhi aur diwali pe mithai hum khud se hi khud ko khilaate hai…

    Kya krey ghar jaane ki chahat par aksar Bachhat ke khyaal bhaari pad pe jaate hai
    Pata hi nahi chalta…


    Kharche badhte jaate hai …..
    Aur Hum sher badalte jaate hai…..
    Ghar ki doori aur Badhti chali jaati hai….
    Aur jaante hai paise kam hum khud kharch jaida hote chalte jaate hai…
    Aur ye bhi Khud ko,khud ko hi pata nahi chalta…

    • 1분
    Kurbaan

    Kurbaan

    माना लफ़्ज़ों के सहारे किसी रिश्ते की पहचान नहीं होती....
    पर सिर्फ लफ़्ज़ों के लारे भी ज़िंदगी कुर्बान नहीं होती....

    • 48초
    Rang

    Rang

    फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....
    कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....

    इंसान ने बांटे तो कहीं धर्मो के रंग है....
    ना बटां‍ उन फरिश्तों का फ़र्ज़...फिके पड़े उन कर्ज़ों के आगे कई रंग है....

    फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....
    कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....

    "मज़हबी" सरहदे बनाई हमने करी इंसानियत हर तर्ज पर भंग है....
    ना किया फर्क उन्होंने तब भी लड़ी सरहदों पर "फ़र्ज़ की जंग" है ....

    फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है....
    कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....

    मातृभूमि का कर्ज समझे वो "किए भंग कई अंग"है....
    दिया नया जीवन तुमको....पाया "दर्जा रब संग है"....

    फरिश्तों के दुनिया में कई रंग है...
    कभी खाकी में तो कभी पहने सफेद रंग है....

    • 1분
    Teri Mitti

    Teri Mitti

    🇮🇳मुबारक हो आज़ादी🇮🇳

    हिन्द से सिंध तक तिरंगे की शान है आज़ादी
    राम की दीवाली है और अल्लाह की रमज़ान है आज़ादी..
    गुरुपर्व का प्रकाश है और क्रिसमस के संग आयी सौगात है आज़ादी...

    मुबारक हो आज़ादी ...

    6 मौलिक अधिकारों में बटी और अंधे कानून में फंसी शान है आज़ादी.
    किताबो में "सेक्युलरिज्म (secularism) का ज्ञान और संघो के धार्मिक खेलो की असली पहचान है आज़ादी...

    मुबारक हो! आपसे आपकी पहचान छिनने वाली आज़ादी...

    सन 84 और गोधरा में ज़िंदा जलाए जाने वालों की पुकार है आज़ादी...
    बाबरी का नरसंहार और 90 में सुनी कश्मीरी पंडितों की गुहार है आज़ादी

    मुबारक हो! आपको , ऐसे नरसंहार की ये आज़ादी!

    चन ज़मीनों में उलझे ,कितने ज़मीरों का अहंकार है आज़ादी
    इंसानियत से ज्यादा धर्म की " Insaneiyat" में फंसे विचारो का घर संसार है आज़ादी

    मुबारक हो! आपको ऐसी छोटी सोच की ये आज़ादी...

    आज़ादी...?

    वतन की मिट्टी के लिए खुद मिट्टी में मिल जाने का नाम होती है आज़ादी...
    हर धर्म,रंग और भाषा को बराबर मिलने वाले सामान की पहचान होती है आज़ादी...
    भगत,शिवाजी,बोस,लक्ष्मीबाई और नजाने कितने शहीदों की शहादत का कर्ज होती है आज़ादी...
    अपने धर्मो का मान रख कर भी ...अपने इंसानियत के कर्म का फ़र्ज़ अदा कर जाना होती है आज़ादी....

    शायद इसे कहते है " असली स्वराज की आज़ादी..."

    मुबारक हो हम सब को "भारत की ये आज़ादी"...

    🇮🇳......जय हिन्द.....🇮🇳

    • 2분
    Love you Zindagi

    Love you Zindagi

    कभी गमो के पहाड़ तो कभी प्यार के समन्दर गहरे देखे है ...
    कभी सबका साथ तो कभी अकेलेपन की रात निहारें देखे है.

    हौसले ज़िन्दगी ने बुलंद हर बार देखें है......


    कभी अभिमान का साथ लिए तो चांद की तरह खुद पर भी दाग कई हज़ार देखे है.....
    कभी आत्मसम्मान का साथ लिए तो रिश्तों को खोते जारो जार देखे है ...


    हौसले ज़िन्दगी ने बुलंद हर बार देखें है......

    कभी टूटे हम कुदरत की मार से तो वक़्त को मरहम देते कई बार देखे है....
    कभी टूटे हम वक़्त की मार से तो "तुम्हारे साथ"से खड़े खुद को हर बार देखे है.....

    हौसले ज़िन्दगी ने बुलंद हर बार देखें है....

    • 1분
    Qismat

    Qismat

    " किस्मत की उलझनों में सिमटी" .. इस रिश्ते की ये भी कैसी ज़िन्दगी है ...
    दो दिलों के इस रिश्ते में चाहकर भी दो दिल एक साथ नहीं... ये भी भला कैसी बंदगी है ...

    लम्हे अच्छे थे या बुरे .. इन सबसे रिश्तों को कोई मात नहीं...
    तुझे पा भी लूं आज तो ..तुझमें पहले जैसी कोई बात नहीं...

    कभी तुम थे तो हम नहीं...शायद वाक़िफ तुझसे मेरी मजबूरियां रही....
    पर आज हम है और तुम नहीं..शायद वाक़िफ हमसे तेरी ये दूरियां रही...

    कितने दूर हो कर भी पास है ना हम.. शायद वक्त की यही रीत रही...
    वक़्त से पहले और किस्मत से ज़्यादा.. ना मिलना ही इस कहानी की प्रीत रही ...

    • 1분

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