Pallavi PALLAVI MISHRA
-
- 예술
गुलमोहर सी मोहब्बत
-
सुबह और चांद की गुफ़्तगू
सुबह ने जब सफर का हाथ थामा
दिन से गुजर जब शाम में पहुंची
तो मिली अंधेरे में उभरते हुए चाँद से
और बताने लगी मिलने वाले हर किरदार की कहानी
जिनके माथे पर सलवटें
पैरों में छाले
हाथों में खंजर
और जुबां पर तलवार है
पलकें पत्तों के जैसे सूखी है
आंखों पर उभरते बादल
दिल छलनी पर कांटे
सन्नाटे से भरा
पर अपनी है रफ्तार में हैं
एक किरदार पर इतनी बड़ी कहानी की रात गुजर गई ।
फिर चाँद ने चुपके से कहा
सुबह सुनो जैसे तुमने दिल की बात रखी और सुनाई। वैसे ही हर किरदार की गुफ़्तगू का हिस्सा हूँ मै। सबको सुनता हूं। देता हूं शीतलता और बढ़ाता हूँ ऊर्जा
रात गुजर चुकी है
सौंप रहा हूँ फिर से तुम्हारे किरदारों की कहानी
पल्लवी -