Zehan Ayan Sharma
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- Arts
Zehan is a weekly podcast where Ayan Sharma recites his poems.
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Tu Likhe Ya Na Likhe
तू लिखे या ना लिखे
तू लिखे या ना लिखे, मसरूफ़ होना चाहिए।
अनकहे से वाक्य को, मशहूर होना चाहिए।
बेज़ुबानी बात के हर, मेज़बानी अक्षरों को
काले गहरे पन्नों पर, महफूज़ होना चाहिए।।
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Kyun Hoon
क्यों हूँ
ओढ़कर छांव रहबर का भी, आहिस्ता क्यों हूँ?
अबस मैं अजनबी इस दौड़ का, हिस्सा क्यों हूँ?
तबस्सुम सी नज़र से, नज़्में अक्सर मुझसे पूछे है,
हरएक अन्जाम में मैं, हार का किस्सा क्यों हूँ?
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Kafi Hai
काफी है
महफ़िल तेरी, शिरक़त मेरी, बेशक़ बड़ी ज़हमत।
तेरे ही नाम में चर्चा मेरा, गुमनाम काफी है।।
मेरी हैं गर्द सी गुस्ताखियां, और ग़ैरती से ग़म।
मगर हों दिल में तेरी धड़कनें, एहसास काफी है।।
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Zehanaseeb
ज़हे-नसीब
ख़ुदा शौक़ीन है "ज़ेहन" की ज़हे-नसीब नज़्मों का।
मौसम शांत हो अक्सर कर वो बूंदे गिराया है।।
अपनी खामोशियों को यूं जो पन्नो पर उतारा है।
बनेंगे अश्क़ के कारण या कुर्बत भी गवारा है।
बख़ूबी जानता हर इक अदद कमज़ोरियाँ मेरी।
आँखे बंद थी, सोया था, सपनों से जगाया है।।
बहुत शौक़ीन है अल्लाह बख़ूबी ख़ुद लिखाया है।।
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Baaki Hai
बाकी है
बेपरवाहियाँ मेरी, उसी परवरिश का हिस्सा हैं,
जहाँ मुलाकात में बिछड़ने का, रिवाज़ बाकी है।
ये बूंदे हैं बस जो, कहकाशीं रातों में गिर आयीं,
अभी मिलना मेरा, घुलना तेरा, बरसात बाकी है।। -
Mubarak
मुबारक़
समूचे भूधरा को, घरघटा नें घेर रखा है,
महज़ सपना तेरा सपना, तुझे सपना मुबारक़।
तेरी आंखें जो चाहे, जलते नभ का अंश भी देखे,
महज़ चंदा दिखा शीतल, तुझे चंदा मुबारक़।।
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