खबर एक ही है, सिर्फ एक- मौसम!

अपन तो कहेंगे

नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, क्या इंसान फिर पाषाण काल की ओर लौटेगा। ये सोचकर एक बार को तो लगता है कि जब हम अलट्रा मॉडर्न एज की ओर बढ़ चले हैं तो फिर ये कैसे संभव हो सकता है। लेकिन सालों साल हमारी अपनी आदतों के चलते अब हम तेजी से फिर उसी ओर लौटते हुए हैं जहां से हजारों हजार साल पहले अफ्रीका में इथोपिया से बाहर निकलकर होमो सेपियन ने अनुकूल मौसम और हालात के मद्देनजर पूरी धरती को खंगाल डाला था और आज हम मौसम और प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण दर बदर होने के लिए मजबूर होते जा रहे हैं और इसकी साक्षात गवाही के लिए 62 साल के एक अमेरिकी पत्रकार पॉल सालोपेक पिछले 11 सालों से पूरी धरती को नापने का प्रण लिए उसी रास्ते से पदयात्रा पर हैं जिस रास्ते को 60 हजार या 90 हजार साल पहले होमो सेपियन ने अपनाया था। ऐसे में सवाल ये कि आज जब प्रतिकूल हालात बनते जा रहे हैं तो फिर आने वाली पीढ़ियों का क्या होगा । इसीलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में आज मेरे विचार का शीर्षक है। खबर एक ही है, सिर्फ एक- मौसम!

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