☸️ *धम्मपद* ☸️ *१. यमक-वग्गो* *गाथा क्र. १:२* *२.* *मनोपुब्बड़ग्मा धम्मा मनोसेट्ठा मनोमया।* *मनसा चे पसन्नेन भासति वा करोति वा।* *ततोनं सुखमन्वेति छाया' व अनपायिनी ।।२।।* *अनुवाद:* सभी धर्म (चैतसिक अवस्थायें) पहले मन में उत्पन्न होते हैं, मन ही प्रधान है, वे सभी मनोमय हैं। यदि कोई व्यक्ति साफ मन से बोलता है, या कर्म करता है, सुख उस व्यक्ति की कभी न छोड़ने वाली छाया के सदृश पीछा करता है।। १।।
Informações
- Podcast
- Publicado30 de abril de 2021 às 23:29 UTC
- Duração8min
- Temporada1
- Episódio3
- ClassificaçãoLivre