
Hindi Ramayan Episode 21: सीता का राम के साथ जाने का निर्णय (Sita decides to go with Ram)
पिछली कथा में, हमने देखा कि कैसे रानी कैकेयी ने अपने जीवन के दो सबसे निर्णायक वरदानों का स्मरण कर, राजा दशरथ से राम के लिए वनवास और भरत के लिए राज्य माँग लिया। वह क्षण केवल एक माँ का निर्णय नहीं था—वह एक ऐसा प्रहार था, जिसने अयोध्या के हृदय को कंपा दिया, और राजा दशरथ को मौन विलाप में धकेल दिया।
आज की कथा वहाँ से आगे बढ़ती है, जहाँ यह वज्रघात केवल राजमहल तक सीमित नहीं रहता। आज हम देखेंगे कि जब यह समाचार अयोध्या की प्रजा तक पहुँचता है, तो हर गली, हर चौक, हर हृदय आह भर उठता है। जो राम को केवल राजा नहीं, धर्म का अवतार मानते थे—वे यह सुनकर स्तब्ध रह जाते हैं कि उन्हें वन भेजा जा रहा है। और फिर, सीता की आवाज़ और चयन आता है। सीता, जो केवल पत्नी नहीं, बल्कि राम के धर्म की छाया हैं—वह भी उनके साथ वन जाने का निर्णय लेती हैं। आज की कथा में आप सुनेंगे—जनता की करुण पुकार, माता कौशल्या का वियोग, और सीता का अडिग निर्णय, जो यह दर्शाता है कि जब धर्म के रथ पर राम चल पड़ते हैं, तो परिवार और समाज—दोनों उनके साथ हो लेते हैं। यह एक ऐसी यात्रा है, जहाँ आत्मा का दीपक जलता है और मानवता एक नई राह खोजती है।
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Informações
- Podcast
- FrequênciaSemanal
- Publicado7 de julho de 2025 às 09:34 UTC
- Duração31min
- Temporada2
- Episódio5
- ClassificaçãoLivre