" किस्मत की उलझनों में सिमटी" .. इस रिश्ते की ये भी कैसी ज़िन्दगी है ... दो दिलों के इस रिश्ते में चाहकर भी दो दिल एक साथ नहीं... ये भी भला कैसी बंदगी है ... लम्हे अच्छे थे या बुरे .. इन सबसे रिश्तों को कोई मात नहीं... तुझे पा भी लूं आज तो ..तुझमें पहले जैसी कोई बात नहीं... कभी तुम थे तो हम नहीं...शायद वाक़िफ तुझसे मेरी मजबूरियां रही.... पर आज हम है और तुम नहीं..शायद वाक़िफ हमसे तेरी ये दूरियां रही... कितने दूर हो कर भी पास है ना हम.. शायद वक्त की यही रीत रही... वक़्त से पहले और किस्मत से ज़्यादा.. ना मिलना ही इस कहानी की प्रीत रही ...
Information
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- PublishedAugust 2, 2020 at 1:38 PM UTC
- Length2 min
- Season1
- Episode9
- RatingClean