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विचार बिन्दू सकारात्मकता की बात करता है, मानवता, नैतिक मूल्यों को बढ़ाबा देने की बात करता है, उसे हीं प्रचारित-प्रसारित करने की बात करता है. और इस दिशा में जो कुछ भी सहायक हो सकता है यथा साहित्य, जीवनी, विद्वानों- दार्शनिकों के उद्धरण, सफलता स्टोरी, देश-समाज से सम्बंधित लेख उन्हें हम प्रमुखता से प्रकाशित-प्रसारित करते हैं. हम संवाद की बात करते हैं. उन सभी वस्तुओं पर जिस पर संवाद की आवश्यकता है, हम संवाद करना चाहते हैं – संवाद के लिए वगैर किसी भेद-भाव लोगों को आमंत्रित करते हैं.

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विचार बिन्दू सकारात्मकता की बात करता है, मानवता, नैतिक मूल्यों को बढ़ाबा देने की बात करता है, उसे हीं प्रचारित-प्रसारित करने की बात करता है. और इस दिशा में जो कुछ भी सहायक हो सकता है यथा साहित्य, जीवनी, विद्वानों- दार्शनिकों के उद्धरण, सफलता स्टोरी, देश-समाज से सम्बंधित लेख उन्हें हम प्रमुखता से प्रकाशित-प्रसारित करते हैं. हम संवाद की बात करते हैं. उन सभी वस्तुओं पर जिस पर संवाद की आवश्यकता है, हम संवाद करना चाहते हैं – संवाद के लिए वगैर किसी भेद-भाव लोगों को आमंत्रित करते हैं.

    इंशाजी बहूत दिन बीत चुके | कविता – इब्ने इंशा | स्वर – प्रवीण झा

    इंशाजी बहूत दिन बीत चुके | कविता – इब्ने इंशा | स्वर – प्रवीण झा

    शेर मोहम्मद खान एक पाकिस्तानी शायर हुए. जो जालंधर में पैदा हुए और उनकी मृत्यु कराची पाकिस्तान में हुई. शेर मोहम्मद खान पंजाबी, हिंदी, उर्दू में  कविताएँ लिखते रहें हैं, गीत लिखते रहे, ट्रेवल ब्लॉग लिखते रहे और वो न्यूज पेपर काँलमनिस्ट भी थे. शेर मोहम्मद खान को लोग उनके नाम से नहीं बल्कि “इब्ने इंशा” के नाम से जानते हैं, जी वही ‘इब्ने इंशा’ जिनकी मशहूर नज्म है “कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा, कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा”  विचारबिंदु के पॉडकास्ट में सुनिए  इब्ने इंशा की एक कविता “इंशाजी बहूत दिन बीत चुके” सुनिए प्रवीण झा जी के स्वर में.


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    • 6分
    उम्मीद अब भी बाकी है | कविता - रविशंकर उपाध्याय | स्वर - सोमू आनंद

    उम्मीद अब भी बाकी है | कविता - रविशंकर उपाध्याय | स्वर - सोमू आनंद

    इस कवि के पास 'उम्मीद अब भी बाकी है' यह बड़े सूकून की बात है


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    • 1分
    मारे जाएँगे | कविता - राजेश जोशी | स्वर - सोमू आनंद

    मारे जाएँगे | कविता - राजेश जोशी | स्वर - सोमू आनंद

    जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएँगे

    कठघरे में खड़े कर दिये जाएँगे
    जो विरोध में बोलेंगे
    जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएँगे

    बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
    उनकी कमीज से ज्‍यादा सफ़ेद
    कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे, मारे जाएँगे

    धकेल दिये जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
    जो चारण नहीं होंगे
    जो गुण नहीं गाएंगे, मारे जाएँगे

    धर्म की ध्‍वजा उठाने जो नहीं जाएँगे जुलूस में
    गोलियां भून डालेंगी उन्हें, काफिर करार दिये जाएँगे

    सबसे बड़ा अपराध है इस समय निहत्थे और निरपराधी होना
    जो अपराधी नहीं होंगे, मारे जाएँगे


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    • 1分
    हम दीवानों की क्या हस्ती | कविता - भगवतीचरण वर्मा | स्वर - राजा रवि

    हम दीवानों की क्या हस्ती | कविता - भगवतीचरण वर्मा | स्वर - राजा रवि

    हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले
    मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले

    आए बनकर उल्लास कभी, आँसू बनकर बह चले अभी
    सब कहते ही रह गए, अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले


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    • 1分
    सबसे ख़तरनाक | कविता - पाश | स्वर - राजा रवि

    सबसे ख़तरनाक | कविता - पाश | स्वर - राजा रवि

    सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
    तड़प का न होना
    सब कुछ सहन कर जाना
    घर से निकलना काम पर
    और काम से लौटकर घर आना
    सबसे ख़तरनाक होता है
    हमारे सपनों का मर जाना


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    • 2分
    इस पार उस पार | कविता - हरिवंशराय बच्चन | स्वर - राजा रवि

    इस पार उस पार | कविता - हरिवंशराय बच्चन | स्वर - राजा रवि

    इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा!
    यह चाँद उदित होकर नभ में कुछ ताप मिटाता जीवन का,
    लहरालहरा यह शाखा‌एँ कुछ शोक भुला देती मन का,
    कल मुर्झानेवाली कलियाँ हँसकर कहती हैं मगन रहो,
    बुलबुल तरु की फुनगी पर से संदेश सुनाती यौवन का,
    तुम देकर मदिरा के प्याले मेरा मन बहला देती हो,
    उस पार मुझे बहलाने का उपचार न जाने क्या होगा!
    इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा!


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    • 5分

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