क्या आप बिहार की उस कहानी को जानते हैं, जब निर्दोष लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया जाता था? वजह थी छोटे-छोटे झगड़े, जो बाद में जाति की लड़ाई बन गए. 1977 से शुरू हुई ये खूनी जंग दो दशक तक बिहार के गांवों में सुलगती रही. कभी नक्सल कहे गए, कभी ज़मींदार लेकिन मरे हमेशा गरीब और निर्दोष. हर गांव में एक किस्सा था, हर रात में एक डर,और हर सुबह किसी मां की चीत्कार गूंजती थी. इस लड़ाई में कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई, कितने परिवार उजड़ गए और आखिर इसका अंत कैसे हुआ? ‘क्राइम ब्रांच’ में सुनिए अरविंद ओझा से.
प्रड्यूसर : अंकित द्विवेदी
साउंड मिक्सिंग : रोहन भारती
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- FrequencyUpdated weekly
- Published14 October 2025 at 14:35 UTC
- Length19 min
- RatingClean