बहुत समय पहले, एक तपस्वी ब्राह्मण सुधर्मा और उनकी पत्नी सुदेहा संतान की चाह में जीवन बिता रहे थे। वर्षों की पीड़ा के बाद, सुदेहा ने अपने पति का विवाह अपनी छोटी बहन घुश्मा से करवा दिया। घुश्मा शिवभक्ति में लीन रहने वाली, अत्यंत विनम्र और धार्मिक स्त्री थीं। उन्होंने प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर, पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा की, और नज़दीकी तालाब में उनका विसर्जन करती रहीं।
जब उनका व्रत पूर्ण हुआ, तो उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। पूरे परिवार में आनंद छा गया, पर सुदेहा के मन में ईर्ष्या घर कर गई। जब वह इस खुशी को सह नहीं सकी, तो एक रात उसने घुश्मा के पुत्र की हत्या कर, उसके टुकड़े उसी तालाब में फेंक दिए जहाँ घुश्मा लिंग विसर्जन करती थीं।
सुबह यह देख सब स्तब्ध रह गए। पर घुश्मा डगमगाईं नहीं। उन्होंने आँसू पोछे और फिर भगवान शिव की पूजा में बैठ गईं।
तो चलिये, घुश्मा को इंसाफ और अपनी निस्वार्थ भक्ति का परिणाम मिला या नहीं, यह जानने के लिए सुनते हैं “घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग” की कथा।
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- Published29 July 2025 at 23:00 UTC
- Episode12