12 ज्योतिर्लिंग की कथाएँ

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

Abonnés uniquement
असुरराज रावण बहुत बड़ा शिवभक्त था। उसकी इच्छा थी कि भगवान शिव स्वयं लंका में आकर बसें। इसी इच्छा से वह कैलाश पर्वत पहुँचा और वर्षों तक घोर तपस्या करता रहा। जब भगवान शिव प्रकट नहीं हुए, तो रावण ने अपनी भक्ति की चरम सीमा पार कर दी, उसने अपने नौ सिर अग्निकुंड में अर्पित कर दिए। जैसे ही वह अपना दसवां सिर चढ़ाने वाला था, भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर बोले, “मैं तुम्हें अपना आत्मलिंग देता हूँ।” लेकिन उस आत्मलिंग के साथ साथ भगवान शिव ने रावण को एक चेतावनी भी दी। तो चलिये, आखिर रावण को भगवान शिव ने क्या चेतावनी दी और क्यों, यह जानने के लिए सुनते हैं “वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग” की कथा। To know more, visit our website: https://chimesradio.com